त्रिपुरा हाईकोर्ट ने राज्य में हो रही हिंसा पर स्वत: संज्ञान लिया, राज्य से पूछा, हिंसा रोकने के लिए क्या कदम उठाए

LiveLaw News Network

30 Oct 2021 4:41 AM GMT

  • त्रिपुरा हाईकोर्ट ने राज्य में हो  रही हिंसा पर स्वत: संज्ञान लिया, राज्य से पूछा, हिंसा रोकने के लिए क्या कदम उठाए

    Tripura Violence- High Court Takes Suo Moto Cognizance

    त्रिपुरा हाईकोर्ट ने उत्तरी त्रिपुरा जिले उनाकोटी जिले के साथ-साथ सिपाहीजाला जिले में हिंसा के मुद्दे पर स्वत: संज्ञान लेते हुए राज्य को इसके द्वारा उठाए गए निवारक उपायों पर अपना जवाब (10 नवंबर 2021 को या उससे पहले) दाखिल करने के लिए कहा और पूछा कि सांप्रदायिक उन्माद भड़काने की साजिश को नाकाम करने के लिए राज्य की क्या योजना है।

    मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महंती और न्यायमूर्ति एस. तलपात्रा की खंडपीठ ने राज्य के भीतर शांति व्यवस्था बहाल करने के लिए विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा उठाए गए कदमों की सराहना की। कोर्ट ने राज्य के भीतर शांति और व्यवस्था बहाल करने के लिए प्रिंट मीडिया द्वारा निभाई गई 'सक्रिय सकारात्मक भूमिका' को भी स्वीकार किया।

    राज्य सरकार द्वारा दायर एक संक्षिप्त नोट में सांप्रदायिक सद्भाव लाने के लिए उसके द्वारा उठाए गए कुछ महत्वपूर्ण कदमों के साथ-साथ ऐसी हिंसा के अपराधी के खिलाफ कार्रवाई का संकेत देते हुए कोर्ट ने जोर देकर कहा कि उसकी एकमात्र चिंता त्रिपुरा के सभी नागरिकों की के जीवन, उनकी संपत्ति और स्वतंत्रता को लेकर है।

    न्यायालय ने यह भी रेखांकित किया कि राज्य पर कानून और व्यवस्था बनाए रखने के साथ-साथ नागरिकों को उनके जीवन, आजीविका और संपत्तियों की सुरक्षा के लिए सुरक्षा प्रदान करने की जिम्मेदारी है।

    इसके अलावा इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि विभिन्न स्थानों पर जहां सांप्रदायिक हिंसा है, विभिन्न शांति समितियों का गठन किया गया है।

    न्यायालय ने ऐसे कदमों का और विस्तार करने का आह्वान किया और इस प्रकार देखा:

    "राज्य न केवल जिला स्तर पर बल्कि उप-मंडल स्तर पर और यदि आवश्यक हो तो पंचायत स्तर पर भी शांति समितियां बनाने पर विचार कर सकता है और हम सभी राजनीतिक दलों से ऐसी शांति प्रक्रिया में पूरी तरह से भाग लेने का आह्वान करते हैं ताकि लोगों का विश्वास हो सके। राज्य में शांति बहाल हो सके और अप्रिय घटना से उपयुक्त तरीके से निपटा जा सके।"

    इसके अतिरिक्त यह देखते हुए कि 26 अक्टूबर 2021 को हुई हिंसा और उससे पहले हुई घटनाओं के अनुसार विभिन्न मामले दर्ज किए गए हैं। अदालत ने राज्य से एक हलफनामा दायर करने का आह्वान किया, जिसमें बताया गया कि जांच किस चरण में चल रही है और जैसा कि क्या इस तरह से किसी आरोपी को पकड़ा गया है।

    कोर्ट ने राज्य को इस संबंध में तत्काल कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया है ताकि उन लोगों की आजीविका जल्द से जल्द बहाल की जा सके जिन्होंने अपनी आय का स्रोत खो दिया है।

    कोर्ट ने शांति बनाए रखने में मीडिया की भूमिका की सराहना करते हुए मीडिया से हर समय सतर्क रहने और जिम्मेदारी से अपने कर्तव्य का निर्वहन जारी रखने को कहा।

    न्यायालय ने राज्य के लिए महाधिवक्ता के प्रस्तुतीकरण पर भी अपनी चिंता व्यक्त की कि लोगों को भड़काने के लिए सोशल मीडिया पर कुछ ऐसे लेख या दृश्य फुटेज शेयर किए जा रहे हैं, जिनसे या तो छेड़छाड़ की गई है या वे त्रिपुरा राज्य से संबंधित नहीं हैं।

    न्यायालय ने राज्य को ऐसे सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के खिलाफ उचित कार्रवाई शुरू करने का निर्देश दिया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इस तरह के झूठे, काल्पनिक और या मनगढ़ंत समाचार लेख या दृश्य फुटेज सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर न आएं और यदि ऐसा हुआ है तो जल्द ही ऐसे फुटेज डिलीट किए जाएं।

    कोर्ट ने आगे कहा,

    "यह अदालत आज से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों से भी जिम्मेदारी से काम करने का आह्वान करती है। मीडिया को सच्चाई प्रकाशित करने के लिए अपनी गतिविधियों के एक हिस्से के रूप में हर अधिकार है। इसे असत्य फैलाने और सांप्रदायिक उन्माद फैलाने के लिए इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।"

    केस टाइटल - कोर्ट ऑन ओन मोशन

    आदेश की प्रति डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें




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