त्रिपुरा पुलिस ने ‌दिल्ली के दो वकीलों के खिलाफ यूएपीए के तहत केस दर्ज किया, दोनों सांप्रदायिक हिंसा पर फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट जारी करने वाली टीम का हिस्‍सा थे

LiveLaw News Network

5 Nov 2021 7:56 AM GMT

  • त्रिपुरा पुलिस ने ‌दिल्ली के दो वकीलों के खिलाफ यूएपीए के तहत केस दर्ज किया, दोनों सांप्रदायिक हिंसा पर फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट जारी करने वाली टीम का हिस्‍सा थे

    त्रिपुरा पुलिस ने दो वकीलों के खिलाफ यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया है। दोनों वकील त्रिपुरा में हाल ही में हुई में सांप्रदायिक हिंसा पर एक फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट प्रकाशित करने वाली टीम का हिस्‍सा थे।

    पश्चिम अगरतला पुलिस ने पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज के मुकेश और नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स के अंसार इंदौरी को नोटिस भेजा है। ये दोनों वकील दिल्ले में रहते हैं। नोटिस में बताया गया है कि उनकी सोशल मीडिया पोस्ट और बयानों पर उनके खिलाफ यूएपीए की धारा 13 (गैरकानूनी गतिविधियों के लिए सजा) के तहत मामला दर्ज किया गया है।

    नोटिस से एक दिन पहले वकीलों ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की थी, जिसे फेसबुक लाइव के माध्यम से प्रसार‌ित किया गया था। प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट जारी की गई थी-त्रिपुरा में मानवता पर हमला-मुस्लिम लाइव्स मैटर।

    रिपोर्ट में बताया गया है कि त्रिपुरा में 12 मस्जिदों, मुसलमानों की 9 दुकानों और तीन घरों पर हमले किए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट के वकील एहतेशाम हाशमी ने फैक्ट फाइंडिंग टीम का नेतृत्व किया था। एडवोकेट अमित श्रीवास्तव (समन्वय समिति, लॉयर्स फॉर डेमोक्रेसी) टीम के अन्य सदस्य थे।

    टीम ने घटनाओं की जांच, पीड़ितों को मुआवजा, क्षतिग्रस्त धार्मिक स्थलों की मरम्मत आदि के लिए हाईकोर्ट के रिटार्यर्ड जज की अध्यक्षता में एक जांच समिति बनाने की मांग की। गौरतलब है कि टीम ने उन लोगों और संगठनों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की भी मांग की थी, जिन्होंने लोगों को भड़काने के लिए सोशल मीडिया में भड़काऊ और गलत पोस्ट किए।

    पश्चिम अगरतला पुलिस ने नोटिस में कहा है कि एडवोकेट मुकेश और अंसार इंदौरी की सोशल मीडिया पोस्ट और बयानों ने धार्मिक समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा दिया है, शांति को भंग किया है।

    पुलिस ने वकीलों से "सोशल मीडिया पर किए गएमनगढ़ंत और झूठे बयानों/ टिप्पणियों को तुरंत हटाने" के लिए कहा, हालांकि नोटिस में यह नहीं बताया गया है कि पुलिस को किन पोस्ट पर आपत्त‌ि है। इसके अलावा, मुकेश और इंदौरी को 10 नवंबर को पश्चिम अगरतला पुलिस स्टेशन के उप-निरीक्षक के समक्ष पेश होने के लिए कहा गया था।

    दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41 के तहत भेजे गए नोटिस में धारा 153 ए/153 बी (धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा, आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना), 469 (नुकसानदेह जानकारी के उद्देश्य से जालसाजी), 503 (आपराधिक धमकी), 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान) और 120B (आपराधिक साजिश के लिए सजा) जैसे अन्य अपराधों का जिक्र भी किया गया है।



    "हम हैरान हैं"

    लाइव लॉ से बात करते हुए मुकेश ने नोटिस पर हैरानी जताई। उन्होंने कहा, "हम वकील हैं..हम भारत के कानून का पालन करने वाले नागरिक हैं।"

    उन्होंने कहा कि फैक्ट फाइंडिंग टीम ने पीड़ितों को कानूनी सहायता देने के इरादे से त्रिपुरा का दौरा किया था। उन्होंने कहा कि कई जगहों पर टीम को स्थानीय पुलिस और प्रशासन का सहयोग मिला।

    उन्होंने स्पष्ट किया, "हम प्रशासन के खिलाफ नहीं हैं। हम पीड़ितों की मदद के लिए कुछ तथ्यों पर लोगों का ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं।"

    उन्होंने कहा कि रिपोर्ट में स्थानीय पुलिस द्वारा हिंसा को रोकने के लिए की गई कुछ कार्रवाइयों की सराहना की गई है। मुकेश ने कहा कि वह किसी भी संभावित भ्रम या गलतफहमी को दूर करने के लिए जांच अधिकारी के समक्ष रुख स्पष्ट करने के लिए कानूनी प्रक्रिया का पालन करेंगे।

    अधिवक्ता अंसार इंदौरी ने एक ट्वीट पोस्ट कर यूएपीए के तहत अधिवक्ताओं को निशाना बनाने की निंदा की और नोटिस वापस लिए जाने की मांग की।

    इंदौरी ने द वायर को बताया कि उनके खिलाफ इस तरह के आरोप लगाकर राज्य सरकार "अपनी अक्षमता को छिपाने की कोशिश कर रही है"।

    उन्होंने कहा, "हमारे मामले में जो हुआ है, उससे यह स्पष्ट है कि यह सच्चाई को मुख्यधारा से साझा करने से रोकने का एक प्रयास है। इसके अलावा, यह हमें चुप कराने और हमारी आवाज को दबाने का प्रयास है।"

    यूएपीए की धारा 13 "गैरकानूनी गतिविधि" के अपराध से संबंधित है, जिसमें सात साल तक के कारावास की सजा है।

    त्रिपुरा पुलिस ने "दुर्भावनापूर्ण प्रचार" के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी दी

    गुरुवार को त्रिपुरा पुलिस को अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से उन ट्विटर यूजर्स को कई जवाब पोस्ट ‌किए, जिन्होंने पुलिस जांच की आलोचना करते हुए ट्वीट किए थे।


    पुलिस ने ट्व‌िटर पर कहा, "हाल ही में सांप्रदायिक घटनाओं को अंजाम देने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने में त्रिपुरा पुलिस की निष्पक्षता पर संदेह जाहिर करते हुए सोशल मीडिया में किए गए कुछ पोस्ट पर ध्यान दिया गया है। यह दोहराया जाता है कि पुलिस पूरी तरह से निष्पक्ष और वैध तरीके से इन मामलों की जांच कर रहा है।"

    पुलिस ने चेतावनी दी कि "दो धार्मिक समूहों के बीच घृणा पैदा करने की दृष्टि से दुर्भावनापूर्ण प्रचार फैलाने में शामिल" लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। पुलिस ने कहा कि उन्होंने अब तक हिंसा के सिलसिले में लगभग 71 लोगों को गिरफ्तार किया है और कथित भड़काऊ सोशल मीडिया पोस्ट पर पांच आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं।

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