यदि यह क्लॉज नहीं है कि अंतरिती पर भरणपोषण का दायित्व होगा, संपत्ति हस्तांतरण को वरिष्ठ नागरिक अधिनियम की धारा 23 के तहत शून्य नहीं माना जा सकताः मद्रास हाईकोर्ट

Avanish Pathak

15 Dec 2022 5:07 PM IST

  • God Does Not Recognize Any Community, Temple Shall Not Be A Place For Perpetuating Communal Separation Leading To Discrimination

    मद्रास हाईकोर्ट

    मद्रास हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम के तहत कुछ संपत्ति हस्तांतरण को शून्य घोषित करने का प्रावधान है, लेकिन संपत्ति का समझौता तब तक रद्द नहीं किया जा सकता जब तक कि यह अधिनियम की शर्तों को पूरा नहीं करता है।

    माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम की धारा 23(1) में कहा गया है,

    "जहां कोई वरिष्ठ नागरिक, जिसने इस अधिनियम के प्रारंभ होने के बाद उपहार के जरिए या अन्यथा, अपनी संपत्ति स्थानांतरित कर दी है, इस शर्त के अधीन कि जिसे संपत्ति ट्रांसफर की गई है यानि अंतरिती,, अंतरणकर्ता को बुनियादी सुविधाएं और मूलभूत भौतिक आवश्यकताएं प्रदान करेगा और यदि अंतरिती ऐसी सुविधाओं और भौतिक आवश्यकताओं को प्रदान करने से इनकार करता है या विफल रहता है, संपत्ति का कथित हस्तांतरण धोखाधड़ी या ज़बरदस्ती या अनुचित प्रभाव के तहत किया गया माना जाएगा और हस्तांतरणकर्ता के विकल्प पर ट्रिब्यूनल उसे शून्य घोषित कर सकता है।"

    राजस्व मंडल अधिकारी द्वारा भरणपोषण संबंधी आवेदन पर विचार करने के लिए जस्टिस आर सुब्रमण्यन ने कहा कि चूंकि सेटलमेंट डीड में ऐसे क्लॉज नहीं शामिल है, जिसके तहत जिसके साथ समझौता किया गया है या अंतरिती पर जिसने समझौता किया है या अंतरणकर्ता के भरणपोषण का दायित्व ना डाला गया हो, प्राधिकरण सेटलमेंट डीड विलेख को रद्द करने संबंधी आवेदन पर विचार नहीं कर सकता है।

    कोर्ट ने कहा,

    दो आवश्यक पूर्व शर्तें हैं, अधिनियम के आने के बाद दस्तावेज़ को निष्पादित किया जाना चाहिए और इसमें सेटलर या ट्रांसफेरर के भरणपोषण के लिए सेटली या ट्रांसफ़ेरी पर एक दायित्व डालने वाला खंड होना चाहिए।

    जाहिर है, इस तरह के खंड विचाराधीन दस्तावेज़ में अनुपस्थित हैं इसलिए, माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम, 2007 की धारा 23 के तहत प्राधिकरण दस्तावेज़ को रद्द करने के लिए एक आवेदन पर विचार नहीं कर सकता है।

    अदालत ने इस प्रकार उल्लेख किया कि भरणपोषण अधिनियम के अनुसार डीड को रद्द करने के लिए आरडीओ के समक्ष दिया गया आवेदन सुनवाई योग्य नहीं था। साथ ही, अदालत ने वादी को अपने बेटे से भरण-पोषण की मांग के लिए उपयुक्त प्राधिकारी से संपर्क करने की स्वतंत्रता भी दी। इसके अलावा उन्हें सेटलमेंट डीड को रद्द करने के लिए सिविल कोर्ट में जाने की भी छूट दी गई थी।

    केस टाइटल: एस सेल्वराज सिम्पसन बनाम डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर और अन्य

    साइटेशन: 2022 लाइवलॉ (Mad) 507

    केस नंबर : WP NO 32650 OF 2022

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