वकीलों के काम से दूर रहने के कारण पैदा हो रहे 'निरर्थक मुकदमे' का संज्ञान लेने का समय आ गया है: इलाहाबाद हाईकोर्ट
LiveLaw News Network
4 Oct 2021 4:45 PM IST
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में एक याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें एक मामले के समयबद्ध निस्तारण की मांग की गई थी। कोर्ट ने कहा, "अब ऐसे सभी मामलों का संज्ञान लेने का समय आ गया है, जहां वकीलों के काम से दूर रहने के कारण निरर्थक मुकदमेबाजी हो रही है।"
जस्टिस विवेक कुमार बिड़ला की पीठ गुरुदीन नामक एक व्यक्ति की रिट याचिका पर सुनवाई कर रही थी , जिसमें उत्तर प्रदेश भूमि राजस्व अधिनियम की धारा 34 के तहत म्यूटेशन के एक मामले को निर्धारित अवधि में शीघ्र निस्तारण करने की मांग की गई थी।
कोर्ट ने कहा कि समय आ गया है जब बार काउंसिल ऑफ स्टेट के साथ-साथ बार काउंसिल ऑफ इंडिया को वकीलों के काम से दूर रहने के मुद्दे पर विचार करना चाहिए और इस संबंध में उचित प्रस्ताव/दिशानिर्देश पारित करना चाहिए।
न्यायालय के समक्ष प्रस्तुतियां
याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि कई तारीखें तय की गई थीं, लेकिन निचली अदालत 2019 में पारित हाईकोर्ट के आदेश का पालन करते हुए मामले के शीघ्र निपटान के निर्देश का पालन करके मामले का फैसला नहीं कर सकी।
आगे यह भी प्रस्तुत किया गया कि पीठासीन अधिकारी कई तारीखों पर उपस्थित नहीं रहे, और इस प्रकार, मामले के निपटान में देरी हो रही थी, इसलिए मामले को तय अवधि के भीतर निपटाने का निर्देश जारी किया जाए।
न्यायालय की टिप्पणियां
न्यायालय ने आदेश पत्र का अवलोकन किया और पाया कि न्यायालय में उपस्थित न होने का कारण यह बताया गया था कि पीठासीन अधिकारी प्रशासनिक कारणों से व्यस्त थे।
न्यायालय ने इस मुद्दे पर कहा, "यह सामान्य ज्ञान है कि ऐसे न्यायालयों के पीठासीन अधिकारियों को कभी-कभी, मौके पर उपस्थित रहने या वरिष्ठ अधिकारियों के कार्यालय में उपस्थित रहने आदि विभिन्न कार्यों में भाग लेना पड़ता है, दूसरे शब्दों में, शारीरिक रूप से अपने कार्यालय से बाहर रहना पड़ता है या या प्रशासनिक कारणों से व्यस्त रहना पड़ता है। इसलिए, प्रशासनिक कारणों से पीठासीन अधिकारी के व्यस्त होने का कारण व्यापक रूप से समझा जा सकता है, हालांकि यह जानबूझकर मामले को स्थगित करने का आधार नहीं हो सकता है।"
कोर्ट ने आगे इस बात पर जोर दिया किया अब यह पता लगाने का समय आ गया है कि देरी का बड़ा कारण वकीलों की ओर से तो नहीं था....।
इस संबंध में कोर्ट ने प्रफुल्ल कुमार बनाम यूपी राज्य और अन्य के मामले में की गई अपनी टिप्पणियों का उल्लेख किया और इसे राजस्व पक्ष के वकीलों के काम न करने का एक शानदार उदाहरण बताया ।
कोर्ट ने उस मामले में कहा था, "वकील अदालत के कामकाज को हल्के में नहीं ले सकते क्योंकि एक तरफ तो वकीलों ने अपनी पेशेवर फीस ली होगी और उसके बाद वे काम से परहेज कर रहे हैं और दूसरी तरफ, वे संबंधित अदालत को निर्देश देने की मांग कर रहे हैं कि वह एक विशिष्ट अवधि के भीतर मामले का फैसला करें।"
महत्वपूर्ण रूप से यह देखते हुए कि यह एक ऐसा मामला है जहां इस न्यायालय से आदेश प्राप्त करने के बाद भी वकील काम से परहेज कर रहे थे और उसके बाद उन्होंने फिर से आगे के निर्देश की मांग करते हुए न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, अदालत ने कहा, "कई बार अवमानना की कार्रवाई शुरू कर दी जाती है। आमतौर पर, इस तरह के मामलों में इस न्यायालय का अनुभव यह है कि शुरू में अवमानना याचिकाओं को भी विपरीत पक्ष को मामले का फैसला करने/इस न्यायालय के आदेश का पालन करने का एक और अवसर देकर निपटाया जाता है। कई बार, फिर से वकील पेश नहीं होते हैं और दूसरी अवमानना याचिका दायर की जाती है, जिसमें आमतौर पर पीठासीन अधिकारियों को नोटिस जारी किए जाते हैं। ऐसे में अधिवक्ता एक ओर अपनी पेशेवर फीस वसूलते हैं और दूसरी ओर इस न्यायालय के इस मामले में बहस करने के निर्देश के बाद भी हड़ताल या संबंधित बार एसोसिएशन की ओर से किसी भी कारण से काम से परहेज करने के लिए दिए गए आह्वान के आधार पर मामले में बहस नहीं करते हैं। इसलिए, इस न्यायालय के समक्ष वादी को कोई उपयोगी राहत दिए बिना अर्थहीन मुकदमेबाजी उत्पन्न होती है।"
अंत में, न्यायालय ने रजिस्ट्री को आदेश की प्रति भेजने के लिए निम्नलिखित निर्देश जारी किए:
-आज से 15 दिनों की अवधि के भीतर संबंधित बार एसोसिएशन को ताकि बार एसोसिएशन और संबंधित बार एसोसिएशन के विद्वान सदस्यों को अदालत के कामकाज और वादियों की दुर्दशा के बारे में जागरूक किया जा सके, जिनसे उन्होंने पेशेवर फीस ली है।
-इस मुद्दे पर वकीलों को संवेदनशील बनाने के उद्देश्य से क्षेत्र के सभी जिला न्यायाधीशों और आयुक्तों और राजस्व मंडल को सभी बार एसोसिएशनों को अग्रेषित करने के लिए।
-यूपी बार काउंसिल और बार काउंसिल ऑफ इंडिया को भी विचार और आवश्यक कार्रवाई के लिए।
केस का शीर्षक - गुरुदीन बनाम यूपी राज्य और 2 अन्य