'यह हमारे सभी आदेशों की अवमानना है': गुजरात उच्‍च न्यायलय ने भरूच COVID अस्पताल में आग लगने की घटना पर गुजरात सरकार को फटकार लगाई

LiveLaw News Network

12 May 2021 2:19 AM GMT

  • यह हमारे सभी आदेशों की अवमानना है: गुजरात उच्‍च न्यायलय ने भरूच COVID अस्पताल में आग लगने की घटना पर गुजरात सरकार को फटकार लगाई

    Gujarat High Court

    गुजरात हाईकोर्ट ने मंगलवार को राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाई।

    न्यायालय ने किसी अप्रिय घटना से बचने के लिए सरकार को सभी अस्पतालों में अग्नि सुरक्षा के मानदंडों के अनुपालन के न्यायिक आदेशों को लागू करने में विफल पाया और सरकार के रवैये पर कठोर टिप्पणियां की।

    हाल ही में भरूच अस्पताल में आग लगने से हुई 18 मौतों के मद्देनजर जस्टिस बेला त्रिवेदी और जस्टिस भार्गव डी करिया की खंडपीठ ने कहा कि सतर्कता नहीं बरतने पर राज्य की ओर से यह अवमानना ​​है।

    जस्टिस करिया ने कहा, "आपकी हर कार्रवाई कागज पर होती है। आप हमेशा सर्वोच्च प्राधिकरण के माध्यम से पत्र जारी करते हैं। लेकिन उच्च प्राधिकरण के इस प्रकार के आदेश के बाद निचले प्राधिकरण क्या कार्रवाई करते हैं, या न्यायालय के आदेश का उल्लेख राज्य के हलफनामे में नहीं किया जाता है।"

    उन्होंने कहा कि न्यायालय को मुख्य रूप से उन कदमों की चिंता है, जो भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए उठाए जा रहे हैं।

    उन्होंने कहा, "न्यायालय की चिंता यह है कि ऐसी घटनाओं को फिर से होने से रोकने के लिए आप क्या उपाय करने जा रहे हैं? हमने अग्नि सुरक्षा मानकों के अनुपालन के लिए कई आदेश जारी किए हैं, लेकिन कुछ भी नहीं हो रहा है। इस घटना में अतीत में इस आदेश के तहत पारित सभी आदेशों की अवमानना ​​की गई है।"

    डिवीजन बेंच, एडवोकेट अमित एम पांचाल की अर्जी पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने कोर्ट से आग्रह किया था कि वह पटेल वेलफेयर अस्पताल के संबंध में रिपोर्ट मांगे, जहां एक मई को भोर में यह घटना हुई थी।

    सुप्रीम कोर्ट और गुजरात हाईकोर्ट द्वारा अग्नि सुरक्षा मानकों के अनुपालन के लिए बार-बार जारी किए गए निर्देशों का पालन नहीं करने के कारण, पांचाल ने कहा कि 16 रोगियों और 2 नर्सिंग कर्मचारियों ने COVID-19 अस्पताल में अपनी जान गंवा दी।

    उन्होंने कहा कि दुर्भाग्यपूर्ण घटना से ठीक एक दिन पहले, यानी 30 अप्रैल को अस्पताल का निरीक्षण किया गया था और अधिकारियों को अच्छी तरह पता था कि अस्पताल की इमारत के पास फायर एनओसी नहीं है।

    न्यायालय ने यह भी उल्लेख किया कि मामले के जवाब में राज्य सरकार ने जो हलफनामा दायर किया था, वह इस हद तक अस्पष्ट था कि इसमें उल्लेख नहीं किया गया था कि अस्पताल का दौरा किसने किया और किसने पाया कि एनओसी थी या नहीं।

    इस बिंदु पर, सरकार के वकील कमल त्रिवेदी ने दावा किया कि अस्पताल में COVID-19 इलाज की सुविधा, अधिकारियों को सूचित किए बिना, चुपके से स्थापित की गई थी। इसलिए, स्थानीय अधिकारियों की ओर से फायर एनओसी जारी नहीं की जा सका था।

    इस पर जस्टिस बेला ने पूछा, "यह कैसे संभव है? राज्य की जानकारी के बिना एक अस्पताल COVID-19 रोगियों का इलाज कैसे कर रहा था? यदि ऐसी स्थिति है तो तो राज्य (COVID-19) अस्पताल में भर्ती रोगियों के आंकड़ों को कैसे जुटा रहा है?"

    बेंच ने भरूच नगर पालिका, सीडीएमओ भरूच, अस्पताल ट्रस्ट और इसके नोडल अधिकारी को अग्नि सुरक्षा के लिए नोटिस जारी किए।

    बेंच ने कहा, "किसी को जवाबदेह बनाना होगा।"

    पांचाल ने यह भी कहा कि जस्टिस डीए मेहता आयोग की रिपोर्ट सार्वजनिक स्तर पर प्रकाशित की जानी चाहिए। आयोग ने गुजरात के दो अस्पतालों, पहली नवंबर 2020 में राजकोट और दूसरी अगस्त 2020 में अहमदाबाद, में आग लगने की घटनाओं की जांच की थी।

    त्रिवेदी ने कहा कि जांच आयोग के प्रावधानों के अनुसार, रिपोर्ट को विधानसभा में प्रस्तुत करना आवश्यक है।

    उन्होंने कहा, "रिपोर्ट को छुपाने का कोई सवाल ही नहीं है। अन्यथा हमें कोई आयोग नहीं बनाना चाहिए था।"

    केस टाइटिल: अहमदाबाद मेडिकल एसोसिएशन बनाम गुजरात राज्य

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