जिस क्षण धर्म सड़क पर आता है, वह धर्म नहीं रह जाता हैः न्यायमूर्ति पंकज नकवी ने अपने सेवानिवृत्ति भाषण में कहा
LiveLaw News Network
23 Aug 2021 11:30 AM IST
इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति पंकज नकवी का लगभग ग्यारह साल का कार्यकाल 21 अगस्त को समाप्त हो गया और अपने सेवानिवृत्ति भाषण में, उन्होंने अपने पिता की शिक्षाओं और उन मूल्यों को याद किया जो उनके पिता ने उन्हें दिए थे।
न्यायमूर्ति नकवी ने कहा, ''मेरे लिए सेवानिवृत्ति एक वकील और न्यायाधीश दोनों के रूप में मेरे पेशेवर करियर को प्रभावित करने वाले सभी व्यक्तियों और व्यक्तित्वों के प्रति धन्यवाद और आभार व्यक्त करने का अवसर है।''
न्यायमूर्ति नकवी अपने अंतिम कार्य दिवस पर हाईकोर्ट प्रशासन द्वारा उनके सम्मान में आयोजित विदाई समारोह में बोल रहे थे।
''संविधान हमारा बाइबिल है, हम संविधान के लिए जी सकते हैं और मर सकते हैं।''
''मैं एक अंतर-धार्मिक विवाह से पैदा हुई संतान हूं।''
न्यायमूर्ति नकवी ने शुरू में कहा कि वह एक अंतर-धार्मिक विवाह से पैदा हुई संतान हैं और उसके बाद अपने पिता को याद करते हुए न्यायमूर्ति नकवी ने कहा कि उनके पिता ने उन्हें 2 बुनियादी मूल्य दिए। पहला यह कि मानवतावाद के धर्म से बढ़कर कोई धर्म नहीं है और दूसरा, अपने दृष्टिकोण में हमेशा धर्मनिरपेक्ष रहें।
''आप एक अच्छे हिंदू नहीं हो सकते, आप एक अच्छे मुसलमान नहीं हो सकते, जब तक कि आप एक अच्छे इंसान नहीं हैं... धर्म बहुत ही व्यक्तिगत चीज है, इसे घर की चार दीवारों के भीतर ही सीमित रहना चाहिए। जैसे ही धर्म सड़क पर आता है, वह धर्म नहीं रह जाता है। आज जब मैं पीछे मुड़कर इन शब्दों को देखता हूं कि इनके मूल्य कितने सही हैं।''
अच्छा वकील बनाम सफल वकील
अपने कैंपस लॉ सेंटर, दिल्ली के दिनों को याद करते हुए, न्यायमूर्ति नकवी ने कहा कि वह भाग्यशाली हैं कि उन्हें प्रोफेसर उपेंद्र बक्सी और डॉ मूलचंद्र शर्मा ने पढ़ाया है।
उन्होंने एक घटना का भी उल्लेख किया जिसमें वरिष्ठ वकील केके वेणुगोपाल (वर्तमान में भारत के अटॉर्नी जनरल) सीएलसी में ''एक सफल वकील बनने के लिए आवश्यक प्रोफेशनल कौशल'' विषय पर व्याख्यान देने आए थे।
''जब वह व्याख्यान देने आए, तो उन्होंने विषय को 'एक अच्छे वकील बनने के लिए आवश्यक प्रोफेशनल कौशल' में बदल दिया, उस समय मुझे समझ में नहीं आया कि इसका क्या मतलब है, लेकिन जब मैंने बार में प्रवेश किया, तो मुझे एक अच्छे वकील और एक सफल वकील के बीच का अंतर समझ में आया। मेरा निरंतर प्रयास एक अच्छा वकील बनने का रहा है और मेरा आज कल से बेहतर है। मैं हमेशा वकीलों से कहता हूं कि आपका आज कल से बेहतर होना चाहिए।''
जस्टिस नकवी ने यह भी कहा कि चैंबर सिस्टम गिर रहा है और ऐसी व्यवस्था गुरुकुल की तरह है और यह एक वकील की यात्रा का एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा है।
न्यायमूर्ति नकवी ने कहा, ''वकील तो कुर्सी को भी संबोधित करना नहीं जानते हैं, इसके लिए कुछ करने की जरूरत है।''
न्यायमूर्ति नकवी के कुछ उल्लेखनीय आदेश
एक महत्वपूर्ण फैसले में, पिछले साल 11 नवंबर को न्यायमूर्ति पंकज नकवी और न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की खंडपीठ ने विशेष रूप से कहा था कि ''अपनी पसंद के व्यक्ति के साथ रहने का अधिकार चाहे वह किसी भी धर्म का हो, जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार के अंतर्निहित है।''
महत्वपूर्ण रूप से, बेंच ने टिप्पणी की थी,
''हम यह समझने में विफल हैं कि यदि कानून एक ही लिंग के दो व्यक्तियों को भी शांति से एक साथ रहने की अनुमति देता है, तो न तो कोई व्यक्ति और न ही परिवार और न ही राज्य उन दो बालिग व्यक्तियों के संबंधों पर आपत्ति कर सकता है, जो अपनी मर्जी से साथ रह रहे हैं।''
प्रियांशी उर्फ कुमारी शमरेन व अन्य बनाम यू.पी. राज्यव अन्य (रिट सी नंबर 14288/2020) और श्रीमती नूरजहां बेगम उर्फ अंजलि मिश्रा व एक अन्य बनाम यूपी राज्य (रिट सी नंबर 57068/2014)के मामले में दिए गए फैसलों को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने कहा कि,
''इनमें से किसी भी फैसले में दो परिपक्व व्यक्तियों के एक साथी को चुनने की स्वतंत्रता या अपनी मर्जी से एक व्यक्ति के साथ रहने की उनकी पसंद की स्वतंत्रता के अधिकार पर विचार नहीं किया गया है।''
कोर्ट ने आगे फैसला सुनाया, ''हम नूरजहां और प्रियांशी के फैसलों को अच्छा कानून नहीं मानते हैं।''
एक इंटरफेथ कपल को राहत देते हुए, न्यायमूर्ति पंकज नकवी और न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की पीठ ने पिछले साल कहा था कि महिला ने ''व्यक्त किया है कि वह अपने पति (सलमान उर्फ करण) के साथ रहना चाहती है, वह बिना किसी प्रतिबंध या तीसरे पक्ष द्वारा उत्पन्न की गई किसी भी बाधा के बिना अपनी पसंद के अनुसार कहीं भी रहने के लिए स्वतंत्र है।''
पिछले साल, उनकी पीठ ने गैरकानूनी धर्मांतरण निषेध अध्यादेश, 2020 के तहत यूपी पुलिस द्वारा दर्ज किए गए मामले में एक व्यक्ति की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी।
जस्टिस पंकज नकवी और विवेक अग्रवाल की खंडपीठ ने यूपी पुलिस को सुनवाई की अगली तारीख तक आरोपी नदीम के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने को कहा था। कोर्ट ने कहा था कि,
''पीड़ित निश्चित रूप से वयस्क है जो उसकी भलाई को समझती है। उसे और साथ ही याचिकाकर्ता को निजता का मौलिक अधिकार है और व्यस्क होने के नाते वह अपने कथित संबंधों के परिणामों से अवगत हैं।''
जस्टिस नकवी के बारे में
न्यायमूर्ति नकवी ने 1984 में दिल्ली विश्वविद्यालय से कानून में स्नातक की उपाधि प्राप्त की और 24 जनवरी 1985 को उन्हें एक वकील के रूप में नामांकित किया गया।
उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट में सिविल साइड में प्रैक्टिस की और 21 नवंबर, 2011 को एक अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत हुए और 06 अगस्त, 2013 को स्थायी न्यायाधीश के रूप में शपथ ली।