COVID-19 के दौरान आईसीयू ड्यूटी की दहशत से कम उम्र में दिल का दौरा पड़ने का खतरा: राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य को स्वास्थ्य कार्यकर्ता की पत्नी को मुआवजा जारी करने का आदेश दिया

Avanish Pathak

25 Oct 2023 3:34 PM GMT

  • COVID-19 के दौरान आईसीयू ड्यूटी की दहशत से कम उम्र में दिल का दौरा पड़ने का खतरा: राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य को स्वास्थ्य कार्यकर्ता की पत्नी को मुआवजा जारी करने का आदेश दिया

    राजस्थान हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में माना कि 'एक स्वास्थ्य कार्यकर्ता के लिए बीमा योजना', जो महामारी के दरमियान अग्रिम पंक्ति पर कार्यरत था, की 'राज्य की ओर से व्यापक व्याख्या ' की आवश्यकता है, इसलिए, हाईकोर्ट इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि जब एक स्वास्थ्य कार्यकर्ता दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु के समय तक सक्रिय रूप ये COVID-19 ड्यूटी पर था तो प्रधान मंत्री गरीब कल्याण पैकेज के तहत अन्य शर्तों और तकनीकीताओं को 'व्यापक रूप से समझा जाना चाहिए'।

    प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज के आवेदन के संबंध में, अदालत ने कहा कि अप्रैल, 2021 में स्वास्थ्य कार्यकर्ता की मृत्यु का दावा सामान्य आकस्मिक दावे के दायरे में नहीं आता है,

    "विचाराधीन योजना/नीति स्पष्ट रूप से किसी सामान्य सड़क दुर्घटना से संबंधित नहीं है, न ही यह जीवन के लिए कोई आकस्मिक कवर आदि है। वर्तमान योजना/नीति विशेष रूप से स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को यह आश्वस्त करने के लिए बनाई गई है कि महामारी के डर के चरम माहौल में, अपने जीवन को जोखिम में डालते हुए, अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते समय उनके परिवार का ख्याल रखा जाएगा। यह नीति आघात की स्थिति में स्वास्थ्य कार्यकर्ता के लिए एक आवश्यक कदम थी, जबकि उन्होंने अपना जीवन आसन्न जोखिम में डाल दिया था।"

    रिट याचिका में प्राथमिक विवाद यह था कि क्या 36 वर्षीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता की मृत्यु योजना के तहत दावों की दूसरी श्रेणी, यानी 'कोविड-19 संबं‌‌धित कर्तव्य के कारण जीवन की आकस्मिक हानि के लिए व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा दावा फॉर्म' के तहत कवर की जाती है।'

    जस्टिस पुष्पेंद्र सिंह भाटी की खंडपीठ ने फैसले में कहा कि दिसंबर 2016 से एम्स जोधपुर की गहन चिकित्सा इकाई में संविदा के आधार पर कार्यरत युवा नर्सिंग अधिकारी, याचिकाकर्ता के पति को हुए दिल के दौरे को 'स्वैच्छिक' या संयोग से' नहीं माना जा सकता है।

    अदालत ने कहा कि 'विनाशकारी और दर्दनाक महामारी की स्थिति' ने ऐसे युवा व्यक्ति की अप्राकृतिक मौत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई होगी, जबकि कोई अन्य मौजूदा बीमारी या चिकित्सीय स्थिति नहीं थी।

    अदालत ने टिप्पणी की कि वर्तमान उदाहरण ऐसा नहीं है जहां केवल 'जोखिम कवरेज' के सुरक्षा जाल के लिए एक योजना शुरू की गई थी; स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा प्रधान मंत्री गरीब कल्याण पैकेज की शुरुआत और 03.04.2020 को योजना के तहत स्वास्थ्य कर्मियों को शामिल करने के पीछे का उद्देश्य स्वास्थ्य कर्मियों के लिए एक सुरक्षा नेटवर्क बनाना और इसे उन स्वास्थ्य कर्मियों के परिवार के सदस्यों के ‌लिए वित्तीय ढाल के रूप में तैनात करना था, जो खतरनाक परिस्थितियों में काम कर रहे थे। यह भी बताया गया कि एम्स, जोधपुर द्वारा मृत्यु प्रमाण पत्र तुरंत 23-04-2021 को जारी किया गया था जो याचिकाकर्ता के मामले और अस्पताल में उसकी निरंतर काम करने की स्थिति को और मजबूत करता है, जिसके बाद 17-05-2021 को मृतक का डेथ समरी तैयार किया गया।

    इसलिए, अदालत ने निदेशक, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं, राजस्थान सरकार के आदेश को रद्द करना उचित समझा, जिसमें प्रस्तुत दस्तावेजों को अपर्याप्त बताते हुए पचास लाख रुपये के दावे पर विचार करने से इनकार कर दिया गया था। हाईकोर्ट ने अब प्रतिवादी को योजना/पैकेज के तहत याचिकाकर्ता पत्नी के आवेदन पर विचार करने और तीन महीने की अवधि के भीतर दावा राशि जारी करने का निर्देश दिया है।

    केस टाइटल: सुशीला पत्नी राजेश कुमार बनाम यूनियन ऑफ इंडिया, अतिरिक्त सचिव और मिशन निदेशक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण और अन्य के माध्यम से।

    केस नंबर: एसबी सिविल रिट याचिका संख्या 6106/2022

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