पड़ोसियों के बीच विवाद में महिला के शील भंग के मामले दर्ज करने की प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने की जरूरत: दिल्ली हाईकोर्ट

Avanish Pathak

11 Jun 2022 6:14 AM GMT

  • दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि पड़ोसियों के बीच विवाद के कारण एक महिला के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 354 और 509 के तहत शील भंग के मामले दर्ज करने की प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने की जरूरत है।

    जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने भारतीय दंड संहिता की धारा 354, 452, 506, 509, 354बी और 34 के तहत दर्ज एफआईआर को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की। मामले की सुनवाई में शिकायतकर्ता ने कहा कि दोनों पक्ष पड़ोसी थे और कुछ गलतफहमी को लेकर विवाद पैदा हो गया था, जिसके बाद क्रॉस एफआईआर दर्ज की गई थी।

    मामले वर्ष 2017 में दर्ज किए गए थे और आरोप पहले ही तय किए जा चुके थे। इस प्रकार, न्यायालय ने नोट किया कि एफआईआर को रद्द करने के लिए समझौता करने के लिए पक्षकारों द्वारा अदालत में आने में देरी हुई, जिससे जांच एजेंसी के समय और न्यायिक समय की बहुत अधिक खपत हुई।

    अदालत ने कहा, "पड़ोसियों के बीच विवादों को निपटाने के लिए धारा 354/509 के तहत मामले दर्ज करने की प्रवृत्ति बढ़ रही है और इस पर अंकुश लगाने की जरूरत है।"

    न्यायालय ने पक्षकारों को आगाह करते हुए और परामर्श देते हुए एफआईआर को इस शर्त पर रद्द कर दिया कि सभी आरोपी लॉयर्स वेलफेयर फंड, तीस हजारी कोर्ट्स में 10,000 रुपये जमा करेंगे। इस प्रकार, याचिका का निस्तारण किया गया।

    केस टाइटल: तरुण और अन्य बनाम राज्य (एनसीटी दिल्ली) और अन्य।

    साइटेशन: 2022 लाइव लॉ (दिल्ली) 559

    आदेश पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

    Next Story