बीआरएस विधायकों की खरीद-फरोख्त का मामला: सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई से जांच शुरू नहीं करने को कहा

Avanish Pathak

13 March 2023 12:16 PM GMT

  • बीआरएस विधायकों की खरीद-फरोख्त का मामला: सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई से जांच शुरू नहीं करने को कहा

    सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सीबीआई को मौखिक रूप से कहा कि वह बीआरएस विधायकों की खरीद-फरोख्त के मामले की जांच ना शुरु करे।

    जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एमएम सुंदरेश की खंडपीठ मामले की जांच को राज्य सरकार की ओर से नियुक्त विशेष जांच दल से सीबीआई को स्थानांतरित करने के तेलंगाना हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ राज्य पुलिस की याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

    जस्टिस खन्ना ने कहा,

    "हम स्पष्ट कर रहे हैं। मामले के विचाराधीन होने तक जांच जारी नहीं रखनी चाहिए अन्यथा यह निष्फल हो जाएगी। यह थंब रूल है। जांच जारी न रखें। अन्यथा, हमें अंतरिम आदेश पारित करने होंगे।”

    तेलंगाना पुलिस की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट दुष्यंत दवे ने पीठ को बताया कि जांच अभी तक केंद्रीय एजेंसी को नहीं सौंपी गई है। उन्होंने कहा, “मैंने मुख्य सचिव से पूछा है। सीबीआई ने टेकओवर नहीं किया है।”

    उल्लेखनीय विधायकों की खरीद-फरोख्त का आरोप केंद्र की सत्ताधारी पार्टी भाजपा पर लगा है। मामले में भाजपा की ओर से सीनियर एडवोकेट महेश जेठमलानी ने किया।

    यह देखते हुए कि मामले की सुनवाई लंबी चल सकती है, पीठ ने इसे 'गैर-विविध दिन' (नोटिस के बाद या स्थगित मामलों के लिए आरक्षित) पर सूचीबद्ध करने का फैसला किया।

    जस्टिस खन्ना ने कहा,

    "31 जुलाई से शुरू होने वाले सप्ताह में गैर-विविध दिन पर सूचीबद्ध किया। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा है कि उन्होंने सीबीआई को जांच से संबंधित कागजात और दस्तावेज नहीं सौंपे हैं।"

    पृष्ठभूमि

    उल्लेखनीय है कि 26 अक्टूबर को तेलंगाना की तंदूर सीट से विधायक पायलट रोहित शेट्टी तीन व्यक्तियों के खिलाफ ‌शिकायत की थी। उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें बीआरएस कैंडिडेट के रूप में चुनाव नहीं लड़ने और भाजपा में शामिल होने के लिए सौ करोड़ रुपये ऑफर किए गए थे। साथ ही उन्हें केंद्र सरकार के ठेके दिलाने का भी ऑफर दिया गया ‌था।

    उन्होंने उन तीन व्यक्तियों पर यह भी आरोप लगाया कि उन्होंने उन्हें धमकी दी थी कि अगर उन्होंने उनका ऑफर स्वीकार नहीं किया तो उन पर फर्जी आपराधिक मुकदमे लाद दिए जाएंगे।

    उनकी ‌शिकायत पर मोइनाबाद पुलिस ने आईपीसी की धारा 120बी, 171बी, 171ई, और 506 आईपीसी, सहपठित धारा 34 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 8 के तहत एफआईआर दर्ज की।

    जिसके बाद भाजपा ने तेलंगाना हाईकोर्ट के समक्ष एक रिट याचिका दायर की, जिसमें मामले की जांच राज्य पुलिस की विशेष टीम से सीबीआई को स्थानांतरित करने की प्रार्थना की।

    15 नवंबर को तेलंगाना हाईकोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा गठित जांच दल को मामले में अपनी जांच जारी रखने की अनुमति दी। कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि सिंगल जज मामले में जांच की प्रगति की निगरानी करेगा।

    हालांकि, 21 नवंबर को, सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना हाईकोर्ट के निर्देशों को रद्द कर दिया और सीबीआई जांच के लिए नए सिरे से याचिका पर फैसला करने का निर्देश दिया।

    25 नवंबर को तेलंगाना हाईकोर्ट ने जांच दल की ओर से मामले में भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव बीएल संतोष को भेजे नोटिस पर रोक लगा दी। मामले में तीनों आरोपियों को भी जमानत भी मिल गई।

    आखिरकार, तेलंगाना सरकार को तब एक बड़ा झटका लगा, जब हाईकोर्ट की एकल-न्यायाधीश पीठ ने आदेश दिया कि जांच को संघीय एजेंसी को स्थानांतरित कर दिया जाए। हाईकोर्ट की खंडपीठ के समक्ष फैसले को चुनौती भी असफल रही।

    केस टाइटलः सहायक पुलिस आयुक्त बनाम भारतीय जनता पार्टी| विशेष अनुमति याचिका (आपराधिक) संख्या 1995-1999/2023

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