बीमा कंपनी ने भुगतान किया है या नहीं, दुर्घटना के मामलों में मुआवजा देते समय यह ध्यान रखें; दिल्ली हाईकोर्ट ने डीएसएलएसए से कहा

Avanish Pathak

14 Jan 2023 2:46 PM GMT

  • बीमा कंपनी ने भुगतान किया है या नहीं, दुर्घटना के मामलों में मुआवजा देते समय यह ध्यान रखें; दिल्ली हाईकोर्ट ने डीएसएलएसए से कहा

    Delhi High Court

    दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (डीएसएलएसए) से इस तथ्य को ध्यान में रखने को कहा है कि क्या मृत्यु या गंभीर चोटों के मामले में पीड़ितों या आश्रितों को मुआवजा देते समय कोई बीमा राशि प्राप्त हुई है या नहीं।

    जस्टिस प्रतिभा एम सिंह ने कहा,

    "भविष्य में, जब भी डीएसएलएसए मृत्यु या गंभीर चोटों के मामले में मुआवजे के मामलों पर विचार करता है, तो पीड़ितों को मुआवजा देते समय इस तथ्य को ध्यान में रखा जाएगा कि बीमा कंपनी से पीड़ित या उसके आश्रितों को कोई राशि प्राप्त हुई है नहीं?"

    अदालत ने डीएसएलएसए को 9 अगस्त, 2019 को एक सड़क दुर्घटना में मरने वाले ऑटो रिक्शा चालक की विधवा को मुआवजे की अधिकतम राशि तक की गणना करते हुए, 5 लाख रुपये की अतिरिक्त राशि जारी करने का निर्देश देते हुए यह कहा।

    अदालत ने कहा कि पत्नी इस राशि का उपयोग बच्चों और परिवार के कल्याण के लिए, जैसा उचित समझे, करेगी। मृतक अपने पीछे अपनी पत्नी और तीन बच्चों - दो बेटियों और एक बेटे को छोड़ गया है, जो अब बालिग हो चुके हैं।

    जिला पीड़ित मुआवजा समिति ने 22 दिसंबर, 2020 को आश्रितों को 5 लाख रुपये का मुआवजा दिया। पत्नी को तीन लाख रुपये मुआवजा राशि देने का निर्देश दिया गया, जबकि दोनों बेटियों को एक-एक लाख रुपये देने का निर्देश दिया गया। हालांकि, वे उक्त आदेश से व्यथित थे और मुआवजे में वृद्धि की मांग कर रहे थे।

    याचिकाकर्ताओं का मामला था कि चूंकि मौत की जांच से दुर्घटना के कारणों में से किसी भी अपराधी की पहचान नहीं हो पाई, इसलिए परिवार को मोटर वाहन अधिनियम, 1988 के तहत कोई बीमा राशि नहीं मिली।

    अदालत को बताया गया कि बेटियों में से एक का मानव व्यवहार और संबद्ध विज्ञान संस्थान (IHBAS) में इलाज चल रहा है और अपने पिता की मृत्यु के कारण वह मानसिक आघात का शिकार हुई है और उसे कोई रोजगार नहीं मिल पा रहा है। दूसरी बेटी के संबंध में कोर्ट को अवगत कराया गया कि वह बैंकिंग का कोर्स कर रही है। यह भी बताया गया कि मृतक का पुत्र वर्तमान में बेरोजगार है।

    दूसरी ओर, प्रतिवादी अधिकारियों ने प्रस्तुत किया कि दिल्ली पीड़ित मुआवजा योजना, 2018 के तहत, मुआवजे की न्यूनतम और ऊपरी सीमा 3 लाख रुपये और 10 लाख रुपये है।

    यह प्रस्तुत किया गया कि आक्षेपित आदेश में पीड़ित या आश्रितों को वित्तीय नुकसान के कारक के साथ-साथ मृतक की वित्तीय स्थिति सहित मुआवजा प्रदान करने के लिए विभिन्न कारकों पर विचार किया गया था।

    यह देखते हुए कि मृतक, जिसकी 46 वर्ष की आयु में मृत्यु हो गई, राष्ट्रीय राजधानी में ऑटो रिक्सा चला रहा था और उसकी उचित मासिक आय थी, अदालत ने कहा कि यह यथोचित रूप से कहा जा सकता है कि मृतक कम से कम अगले 15 वर्षों के लिए आय अर्जित करने में सक्षम होता।

    अदालत ने कहा,

    "यहां तक कि अगर मृतक की औसत आय 25,000/- रुपये प्रति माह ली जाती है, तो मृतक की मृत्यु के कारण उसके परिवार को होने वाली आय का नुकसान, प्रकृति में पर्याप्त होगा।"

    अदालत ने ऐसे दुर्घटना के मामलों में देखा, मृतक के परिवार को न केवल पीड़ित मुआवजा योजना के तहत मुआवजा मिलता है, यदि योग्य पाया जाता है, बल्‍कि एमएसीटी कोर्ट द्वारा पुलिस जांच के आधार पर उचित जांच के बाद मृतक के परिवार को मुआवजा भी दिया जाता है।

    इसने कहा कि दुर्घटना करने वाले अपराधियों का पता नहीं चलने के कारण मृतक का परिवार मोटर वाहन अधिनियम, 1988 के तहत किसी भी मुआवजे से पूरी तरह से वंचित हो गया है।

    "याचिकाकर्ता संख्या 3 की चिकित्सा स्थिति को ध्यान में रखते हुए, इस तथ्य को भी देखते हुए कि परिवार वर्तमान में केवल उस आय पर जीवित है जो ऑटो-रिक्शा से प्राप्त होती है, जिसे तीसरे पक्ष को किराए पर दिया गया है, न्यायालय का विचार है कि याचिकाकर्ताओं को दिया गया मुआवजा अधिकतम 10,00,000 रुपये तक बढ़ाया जाना चाहिए।

    टाइटल: श्रीमती कामेश्वरी देवी और अन्य बनाम राज्य (एनसीटी दिल्ली सरकार) और अन्‍य।

    साइटेशन: 2023 लाइवलॉ (दिल्ली) 41


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