सुशांत सिंह-रिया मामला : ''मुंबई पुलिस के खिलाफ दुर्भावनापूर्ण अभियान चलाने'' के मामले में पूर्व आईपीएस अधिकारी बाॅम्बे हाईकोर्ट पहुंचे, क्राइम रिपोर्टिंग के लिए दिशा-निर्देश बनाने की मांग

LiveLaw News Network

3 Sep 2020 8:27 AM GMT

  • सुशांत सिंह-रिया मामला : मुंबई पुलिस के खिलाफ दुर्भावनापूर्ण अभियान चलाने के मामले में पूर्व आईपीएस अधिकारी बाॅम्बे हाईकोर्ट पहुंचे,  क्राइम रिपोर्टिंग के लिए दिशा-निर्देश बनाने की मांग

    महाराष्ट्र के कुल आठ पूर्व डीजीपी और पुलिस आयुक्तों ने बॉम्बे हाईकोर्ट के समक्ष एक जनहित याचिका दायर की है, जिसमें सुशांत सिंह राजपूत मौत मामले में मुंबई पुलिस के खिलाफ अनुचित, दुर्भावनापूर्ण और फर्जी मीडिया अभियान चलाने का आरोप लगाया गया है।

    पूर्व डीजीपी पीएस पारसीचा, के सुब्रमण्यम, डी शिवानंदन, संजीव दयाल और एससी माथुर व साथ में पूर्व आयुक्त एमएन सिंह, डीएन जाधव और केपी रघुवंशी की तरफ से यह याचिका दायर की गई है। जिसमें मांग की गई है कि भारतीय संघ, प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया, न्यूज ब्रॉडकास्टर एसोसिएशन और न्यूज ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड अथॉरिटी को निर्देश दिए जाएं कि वह मीडिया हाउसों के लिए दिशा-निर्देश जारी करें। जिसमें प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक, रेडियो, इंटरनेट, टेलीविजन या अन्य सभी मीडिया को कोई भी ऐसी सामग्री को प्रकाशित करने से रोका जाना चाहिए जो मुंबई पुलिस की प्रतिष्ठा को खतरे में डाल सकती है।

    याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि मुंबई पुलिस के खिलाफ एक प्रतिकूल मीडिया अभियान को भयावह या कपटी उद्देश्यों के साथ डिजाइन किया गया है और इस गलत रिपोर्टिंग का उद्देश्य मुंबई पुलिस की निष्पक्ष छवि को व्यवस्थित रूप से धूमिल करना है।

    याचिका में कहा गया है,

    ''टीवी चैनल का एक वर्ग अपनी पक्षपातपूर्ण रिपोर्टिंग और झूठे प्रचार के माध्यम से केंद्रीय एजेंसियों द्वारा की जा रही जांच को प्रभावित करने की कोशिश कर रहा है। इसने आम जनता के मन में मामले के तथ्यों को लेकर चल रही जांच,मुंबई पुलिस,स्वास्थ्य सेवाओं और राज्य की सहायक सेवाओं के बारे में संदेह पैदा कर दिया है।

    कुछ टीवी चैनलों के एंकर वस्तुतः मुंबई पुलिस और उसके आयुक्त, जोन के डीसीपी और अन्य अधिकारियों के खिलाफ एक निंदनीय 24 × 7 अभियान चला रहे हैं और उनके नामों का खुलासा करते हुए उन पर असहनीय तरीके से हमला कर रहे हैं। यह गैर-जिम्मेदाराना और दुर्भावनापूर्ण रूप से किया जा रहा प्रचार, विशेष रूप से पुलिस में और सामान्य रूप से राज्य के कानून प्रवर्तन तंत्र में जनता के विश्वास को नष्ट कर सकता है।''

    वरिष्ठ अधिवक्ता मिलिंद साठे और अधिवक्ता चेतन कपाड़िया ने सोमवार को यह याचिका दायर की है और इस पर तत्काल सुनवाई की मांग की गई है।

    याचिका में यह भी कहा गया है,

    ''इस तरह का प्रतिकूल मीडिया अभियान चलाया जा रहा है। जिसमें एकत्रित की गई सामग्री और सुप्रीम कोर्ट के समक्ष मुंबई पुलिस द्वारा सीलबंद कवर में पेश किए गए तथ्यों को भी गोपनीय नहीं रखा जा रहा है।

    इस मामले में मीडिया ने लगातार मुंबई पुलिस और उसके आयुक्त के अच्छे नाम को खराब करने की कोशिश की है। इन सभी पर ' ठीक से जांच न करने','जांच से छेड़छाड़ करने','जोड़-तोड़ करने','एक आरोपी को लाभ पहुंचाने','प्राथमिकी दर्ज करने से मना करने','रिया चक्रवर्ती की सहायता करने' व 'घटिया जांच' आदि करने के आरोप लगाए गए हैं।''

    याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का भी हवाला दिया है जिसमें अभिनेता की मौत की सीबीआई जांच का आदेश दिया गया है और महाराष्ट्र पुलिस को जांच में सहायता करने के लिए कहा गया है। अंत में, उन्होंने मांग की है कि मीडिया संगठनों को निर्देश दिया जाए कि वह नैतिकता और जिम्मेदार से पत्रकारिता करें और टेलीविजन रेटिंग प्वाइंट (टीआरपी) के लिए मामले को सनसनीखेज न बनाएं।

    याचिका में निम्नलिखित निर्देश दिए जाने की मांग की गई है,

    1- सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया, न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन और न्यूज ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी को निर्देश दिया जाए कि वह आवश्यक दिशा-निर्देश तैयार करें ताकि मीडिया को पुलिस के खिलाफ झूठी, अपमानजनक, भद्दी खबरें प्रकाशित करने से रोका जा सकें।

    2-उक्त प्रतिवादियों को निर्देश दिया जाए कि वह आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करें ताकि यह सुनिश्चित किया जा सकें कि अपराधों और आपराधों की जांच की रिपोर्टिंग ''संतुलित, नैतिक, निष्पक्ष और उद्देश्यपूर्ण'' तरीके से की जा सकें।

    3-उक्त प्रतिवादियों को निर्देश दिया जाए कि वह यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करें ताकि मीडिया को ''मीडिया ट्रायल'' से रोका जा सके, क्योंकि इससे जांच एजेंसी का कामकाज प्रभावित होता है।

    पिछले हफ्ते, बॉम्बे हाईकोर्ट में एक और जनहित याचिका दायर की गई थी, जिसमें मामले में ''मीडिया ट्रायल'' को रोकने के लिए निर्देश दिए जाने की मांग की गई थी। उस याचिका में कहा गया था कि प्रमुख समाचार चैनल ''सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले को सनसनीखेज'' बना रहे हैं।

    सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद सीबीआई ने मामले की जांच अपने हाथ में ले ली है।

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