Surat Rape Case: बीमार माँ से मिलने के लिए नारायण साईं को मिली 5 दिन की अस्थायी ज़मानत

Shahadat

19 Sept 2025 10:16 AM IST

  • Surat Rape Case: बीमार माँ से मिलने के लिए नारायण साईं को मिली 5 दिन की अस्थायी ज़मानत

    गुजरात हाईकोर्ट ने गुरुवार (18 सितंबर) को नारायण साईं को अपनी "बीमार" माँ से मिलने के लिए पांच दिन की अस्थायी ज़मानत दी। साईं को 2019 में एक बलात्कार मामले में सेशन कोर्ट द्वारा दोषी ठहराया गया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।

    जस्टिस इलेश जे वोरा और जस्टिस पीएम रावल की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा:

    "आवेदन में दिए गए विशिष्ट तथ्यों, परिस्थितियों और आधारों तथा कारावास की अवधि को ध्यान में रखते हुए आवेदक को पुलिस निगरानी में रिहाई की तारीख से 5 दिनों की अवधि के लिए अस्थायी ज़मानत पर रिहा करने का मामला बनता है।"

    अदालत ने संबंधित प्राधिकारी को आवेदक को उसकी बीमार माँ से मिलने के लिए पुलिस (निगरानी) के साथ 5 दिनों की अस्थायी ज़मानत पर रिहा करने का निर्देश दिया। साथ ही यह भी कहा कि आवेदक को अपनी माँ के निवास के अलावा किसी अन्य स्थान पर रहने या मिलने की अनुमति नहीं होगी और पांच दिन पूरे होने के बाद उसे वापस जेल लाया जाएगा।

    खंडपीठ ने आगे कहा,

    "दोषी अपने अनुयायियों या अपने पिता के अनुयायियों से समूह में नहीं मिलेगा।"

    आवेदक की ओर से वकील धर्मेंद्र कुमार मिश्रा ने दलील दी कि आवेदक ने आखिरी बार फरवरी, 2021 में अपनी बीमार माँ से मुलाकात की थी और तब से वह उनसे नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने कहा कि आवेदक की माँ हृदय रोग से पीड़ित हैं और उनकी स्वास्थ्य स्थिति गंभीर है, इसलिए आवेदक को अस्थायी ज़मानत दी जा सकती है।

    इस बीच पीड़िता की ओर से पेश हुए राज्य के वकील प्रणव धगत और वकील नंदीश ठक्कर ने कहा कि रिकॉर्ड में ऐसा कोई मेडिकल साक्ष्य नहीं है, जिससे पता चले कि माँ की हालत गंभीर है, इसलिए कोई मामला नहीं बनता और उन्होंने प्रार्थना की कि आवेदन पर विचार न किया जाए।

    अदालत ने आवेदन को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए उसका निपटारा कर दिया।

    साईं को सूरत के सेशन कोर्ट ने 30 अप्रैल, 2019 को भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 376(2)(एफ) (महिला का रिश्तेदार, अभिभावक या शिक्षक, या उसके प्रति विश्वास या अधिकार की स्थिति में कोई व्यक्ति, उस महिला के साथ बलात्कार करता है), 376(के) (मानसिक या शारीरिक विकलांगता से पीड़ित महिला के साथ बलात्कार करता है), 376(एन) (एक ही महिला के साथ बार-बार बलात्कार करता है), 377 (अप्राकृतिक अपराध), 354 (महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के इरादे से उस पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग), धारा 323 (स्वेच्छा से चोट पहुँचाना), धारा 504 (जानबूझकर अपमान करना) और धारा 506(2) (आपराधिक धमकी) के तहत दंडनीय अपराधों के लिए दोषी ठहराया था।

    उन्हें आजीवन कठोर कारावास की सजा सुनाई गई और वह दिसंबर, 2013 से जेल में बंद हैं।

    गौरतलब है कि राजस्थान हाईकोर्ट ने अलग बलात्कार मामले में आवेदक के पिता आसाराम बापू को 30 अगस्त तक आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया। एक अन्य बलात्कार मामले में आसाराम बापू की गुजरात हाईकोर्ट में अस्थायी ज़मानत याचिका 22 सितंबर को सूचीबद्ध है।

    जून में गुजरात हाईकोर्ट ने आसाराम की स्वास्थ्य स्थिति और पिता-पुत्र के व्यक्तिगत रूप से उनसे न मिल पाने के तथ्य को ध्यान में रखते हुए नारायण साईं को 'मानवीय आधार' पर उनके पिता आसाराम बापू से मिलने के लिए 5 दिनों की अस्थायी ज़मानत दी थी।

    Case title: NARAYAN @ NARAYAN SAI v/s STATE OF GUJARAT

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