सुप्रीम कोर्ट ने यूपी में स्कूल में मृत मिली नाबालिग लड़की के मामले में सीबीआई जांच का आदेश दिया

LiveLaw News Network

16 April 2022 2:33 PM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली

    सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उत्तर प्रदेश के एक बोर्डिंग स्कूल में एक नाबालिग लड़की की मौत के मामले में जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दी। बेंच ने उत्तर प्रदेश राज्य और हरियाणा राज्य को चार सप्ताह के भीतर सीबीआई को जांच के संबंध में कागजात/ दस्तावेज सौंपने का निर्देश दिया।

    जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस सीटी रविकुमार की खंडपीठ ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ दायर एक विशेष अनुमति याचिका में निर्देश जारी किया, जिसमें यूपी और हरियाणा में स्थानीय पुलिस से सीबीआई को जांच स्थानांतरित करने से इनकार कर दिया गया था।

    बेंच ने कहा,

    "उत्तर प्रदेश राज्य और हरियाणा राज्य द्वारा जांच के संबंध में कागजात/दस्तावेज सीबीआई को चार सप्ताह के भीतर एफआईआर संख्या 332/2020 और 635/2020 के संदर्भ में सौंपे जाएं और सीबीआई को आरोपों की आगे जांच करने की अनुमति है...।"

    याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व अधिवक्ता श्याम मनोहर ने किया।

    मौजूदा मामला एक 14 वर्षीय लड़की की मौत से संबंधित है, जो कथित तौर पर 2020 में अपने बोर्डिंग स्कूल की कक्षा में फांसी पर लटकी हुई पाई गई थी। मृतक लड़की के परिवार ने आरोप लगाया कि यह बलात्कार और हत्या का मामला है।

    कोर्ट ने पिछले साल 8 दिसंबर को मामले पर नोटिस जारी किया था।

    दो एफआईआर के संबंध में स्थानांतर ण की मांग की गई थी - एक यूपी में हत्या और नाबालिग लड़की (याचिकाकर्ता की बेटी) के कथित बलात्कार के लिए और दूसरी हरियाणा में उसके माता-पिता और 2 भाई-बहनों के अपहरण के लिए दर्ज की गई थी।

    याचिकाकर्ता, जो मृतक लड़की की मां है, ने तर्क दिया कि इस मामले में उसकी नाबालिग बेटी के खिलाफ कथित बलात्कार और हत्या का एक जघन्य अपराध शामिल है, जिसके बाद उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ कई अपराध शामिल है, जैसे कि नोएडा से हरियाणा में दिल्ली के रास्ते उनका अपहरण।

    लड़की के परिवार के अनुसार, स्कूल के प्रिंसिपल ने उन्हें स्कूल बुलाया और एक बार जब वे पहुंचे तो उन्होंने 5 अन्य लोगों के साथ उनका फोन छीन लिया ताकि वे तस्वीरें न लें और न ही पुलिस को फोन करें। फिर उन्हें बताया गया कि उनकी बेटी मर चुकी है और उन्होंने बेटी को एक कक्षा में छत से लटका दिखाया गया।

    याचिका के अनुसार, लड़की के परिवार ने आरोप लगाया कि उन्हें गलत तरीके से एक कक्षा में बंद कर दिया गया और उन्हें कोरे कागजों पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया, और पुलिस को बुलाए बिना या पोस्टमार्टम किए बिना लड़की के शरीर का अंतिम संस्कार करने के लिए मजबूर किया गया, इस धमकी के तहत कि अगर वे शोर करते हैं तो उसी स्कूल में पढ़ने वाले उनके अन्य बच्चों को इसी तरह के परिणाम भुगतने होंगे।

    लड़की के परिवार ने यह भी आरोप लगाया कि उसी शाम को दो गुंडों ने प्रिंसिपल के निर्देश पर उनका अपहरण कर लिया था, अगर वे शोर करते हैं तो उन्हें मारने के लिए और अंत में उन्हें हरियाणा में छोड़ दिया गया।

    अधिवक्ता श्याम मनोहर के माध्यम से दायर याचिका के अनुसार, यूपी और हरियाणा दोनों में पुलिस की ओर से कोई कार्रवाई नहीं होने से पीड़ित लड़की के परिवार ने जांच को स्थानांतरित करने के लिए हाईकोर्ट का रुख किया, लेकिन इसकी अनुमति नहीं दी गई।

    याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि प्रिंसिपल और अन्य आरोपियों ने नाबालिग लड़की की जान बचाने के लिए पुलिस और किसी डॉक्टर को सूचना नहीं देकर क्रूर, बर्बर और अपमानजनक कृत्य किया और शव को क्लास रूम में लटका कर रखा।

    याचिका में कहा गया है, "अपराध जो कथित बलात्कार और फिर एक नाबालिग लड़की की हत्या के साथ शुरू हुआ और उसके बाद 495, 120 बी, 380, 365, 506 आईपीसी जैसे अन्य अपराध माता, पिता, नाबालिग बहन और मृतक लड़की के भाई के खिलाफ हुआ।"

    जांच के हस्तांतरण की मांग यह तर्क देते हुए किया गया कि वर्तमान मामले में शामिल अपराध की श्रृंखला तीन राज्यों, यूपी, हरियाणा और दिल्ली के क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र के भीतर की गई थी।

    मृतक नाबालिग लड़की की मां ने कानून के निम्नलिखित प्रश्न उठाते हुए सीबीआई या कुछ अन्य स्वतंत्र एजेंसियों से जांच की मांग की है-

    * स्कूल द्वारा पुलिस को नाबालिग की मौत की सूचना क्यों नहीं दी गई।

    *जांच इस बात की कि क्या आरोपी ने नाबालिग की हत्या के बाद पुलिस की सलाह पर कार्रवाई की?

    *नाबालिग का पोस्टमॉर्टम क्यों नहीं किया गया

    * पुलिस की क्लोजर रिपोर्ट के अनुसार, उन्हें एक निजी फोरेंसिक लैब से एक सुसाइड नोट प्राप्त हुआ था, जो याचिकाकर्ता के अनुसार यह स्पष्ट करता है कि एक प्राइवेट लैब की मदद से एक नकली सुसाइड नोट बनाया गया है।

    * दोनों एफआईआर में पुलिस ने स्कूल का सीसीटीवी फुटेज या आरोपी का कॉल रिकॉर्ड क्यों नहीं जुटाया?

    *दोनों एफआईआर में 164 का बयान क्यों दर्ज नहीं किया गया और किसी आरोपी को गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया?

    आदेश पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें

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