एसएलपी में कर्नाटक हाईकोर्ट के खिलाफ 'अपमानजनक' कथन: सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता और उसके एओआर को अवमानना ​​नोटिस जारी किया

Shahadat

12 Nov 2022 5:35 AM GMT

  • एसएलपी में कर्नाटक हाईकोर्ट के खिलाफ अपमानजनक कथन: सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता और उसके एओआर को अवमानना ​​नोटिस जारी किया

    सुप्रीम कोर्ट ने विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) में कर्नाटक हाईकोर्ट के खिलाफ किए गए 'अपमानजनक' कथनों के लिए वादी और उसके ऑन रिकॉर्ड एडवोकेट (एओआर) को अवमानना ​​​​नोटिस जारी किया।

    वकील मोहन चंद्र पी. ने कर्नाटक हाईकोर्ट के समक्ष एक रिट याचिका दायर करके कर्नाटक राज्य द्वारा मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों के चयन को चुनौती दी। हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने रिट याचिका खारिज कर दी। रिट अपील खारिज करते हुए हाईकोर्ट की खंडपीठ ने पाया कि उसने अपने द्वारा लगाए गए आरोपों को साबित करने के लिए अदालत के समक्ष कोई सामग्री नहीं रखी। 'रिट पिटीशन और रिट अपील दायर कर कोर्ट का सार्वजनिक और न्यायिक समय बर्बाद करने' के आरोप में उन पर पांच लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया।

    हाईकोर्ट के इस आदेश के खिलाफ याचिकाकर्ता द्वारा दायर यह एसएलपी आज (11 नवंबर 2022) जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ के समक्ष दाखिले के लिए आई। पीठ ने देखा कि एसएलपी ज्ञापन में किए गए कुछ कथन न केवल कर्नाटक हाईकोर्ट के लिए अपमानजनक हैं बल्कि प्रकृति में अत्यधिक अवमाननापूर्ण हैं। उक्त कथनों का खंडपीठ द्वारा पारित आदेश में उल्लेख किया गया।

    अदालत ने एमवाई में संविधान पीठ के शरीफ और अन्य बनाम हाईकोर्ट की नागपुर बेंच के माननीय न्यायाधीश और अन्य (1955) 1 एस.सी.आर. 757 फैसले का हवाला दिया, जिसमें यह माना गया कि जो भी वकील इस तरह के अपमानजनक और अवमाननापूर्ण कथनों पर अपने हस्ताक्षर करता है, वह न्यायालय की अवमानना ​​​​करने का दोषी है।

    इस प्रकार अदालत ने याचिकाकर्ता मोहन चंद्र पी. के साथ-साथ एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड को यह बताने के लिए नोटिस जारी किया कि क्यों न उनके खिलाफ अदालत की अवमानना ​​की कार्रवाई शुरू की जाए।

    केस टाइटल: मोहन चंद्र पी. बनाम कर्नाटक राज्य | एसएलपी (सीआरएल) 19043/2022

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