सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने बॉम्बे हाईकोर्ट के लिए तीन अतिरिक्त न्यायाधीशों की स्थायी नियुक्ति की सिफारिश की

LiveLaw News Network

16 Dec 2021 9:59 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने बॉम्बे हाईकोर्ट के लिए तीन अतिरिक्त न्यायाधीशों की स्थायी नियुक्ति की सिफारिश की

    सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने बॉम्बे हाईकोर्ट के तीन अतिरिक्त न्यायाधीशों को स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।

    स्थायी नियुक्ती के लिए सिफारिश किए गए तीन न्यायाधीश इस प्रकार हैं:

    1. न्यायमूर्ति माधव जयजीराव जामदार;

    2. न्यायमूर्ति अमित भालचंद्र बोरकर; तथा

    3. न्यायमूर्ति श्रीकांत दत्तात्रेय कुलकर्णी।

    इसके साथ ही एक अन्य अतिरिक्त न्यायाधीश, न्यायमूर्ति अभय आहूजा को अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में एक वर्ष का नया कार्यकाल दिए जाने की सिफारिश भी की गई।

    यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि बॉम्बे हाईकोर्ट के एक अन्य अतिरिक्त न्यायाधीश, न्यायमूर्ति पुष्पा गनेडीवाला को कोई विस्तार (अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में) या पुष्टि (स्थायी न्यायाधीश के रूप में) नहीं मिला है। न्यायमूर्ति पुष्पा गनेडीवाला का कार्यकाल फरवरी, 2022 में समाप्त होने वाला है।

    यदि अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में कार्यकाल समाप्त होने से पहले उसे कोई विस्तार या पुष्टि नहीं मिलती है तो न्यायमूर्ति गनेडीवाला जिला न्यायाधीश के रूप में वापस आ जाएंगे।

    बॉम्बे हाईकोर्ट की जस्टिस पुष्पा वी गनेडीवाला को स्थायी जज नहीं बनाने की सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा की गई संशोधित सिफारिश को स्वीकार करते हुए कानून और न्याय मंत्रालय ने पिछले साल एक अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में उनका कार्यकाल बढ़ा दिया था।

    बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच के जज एक विवादास्पद फैसले के बाद संदेह के घेरे में आ गए थे। इसमें कहा गया था कि केवल 'त्वचा से त्वचा के संपर्क' के बिना कपड़ों को टटोलना POCSO अधिनियम के तहत यौन उत्पीड़न नहीं होगा। इस प्रकार, न्यायाधीश ने पॉक्सो अधिनियम के तहत एक नाबालिग लड़की के स्तनों को उसके कपड़े हटाए बिना छूने के आरोपी को बरी कर दिया था। हालांकि उसे भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 354 के कम अपराध के तहत दोषी ठहराया।

    इस फैसले की एक खतरनाक मिसाल कायम करने के रूप में व्यापक निंदा हुई। सुप्रीम कोर्ट ने भारत के महान्यायवादी द्वारा किए जा रहे एक उल्लेख पर फैसले पर रोक लगा दी।

    विवाद के बाद सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 20 जनवरी को उन्हें बॉम्बे हाईकोर्ट का स्थायी न्यायाधीश बनाने की सिफारिश को रद्द कर दिया।

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