सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ को कॉमर्शियल विवाद में मध्यस्थ नियुक्त किया
Shahadat
20 Sept 2025 8:52 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (19 सितंबर) को पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डी.वाई. चंद्रचूड़ को जबलपुर के सिहोरा में 1,70,000 मीट्रिक टन लौह अयस्क के स्वामित्व को लेकर दो कंपनियों के बीच विवाद में मध्यस्थ नियुक्त किया।
जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की खंडपीठ ने यूरो प्रतीक इस्पात लिमिटेड की उस अपील पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया, जिसमें मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई, जिसमें कॉमर्शियल कोर्ट एक्ट, 2015 की धारा 12ए का पालन न करने के कारण कॉमर्शियल कोर्ट ने वाद वापस करने का आदेश दिया था।
यह विवाद कॉमर्शियल कोर्ट द्वारा जियोमिन इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड द्वारा दायर वाद को कॉमर्शियल कोर्ट एक्ट, 2015 की धारा 12ए का पालन न करने के कारण वापस करने के फैसले से उत्पन्न हुआ था। इस धारा के तहत तत्काल अंतरिम राहत वाले मामलों को छोड़कर मुकदमे से पहले मध्यस्थता की आवश्यकता होती है। अपील पर हाईकोर्ट ने इस फैसले को पलट दिया और पाया कि यूरो प्रतीक को लौह अयस्क बेचने या हस्तांतरित करने से रोकने के लिए जियोमिन द्वारा निषेधाज्ञा का अनुरोध पूरी तरह से वास्तविक तात्कालिकता का मामला है।
इसके बाद यूरो प्रतीक इस्पात लिमिटेड ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की।
अधिनियम की धारा 12ए के आवेदन के विवादास्पद कानूनी प्रश्न पर निर्णय देने के बजाय कोर्ट ने व्यावहारिक रास्ता अपनाया और कहा कि यह विवाद "लंबा और उलझता जा रहा है"। इसमें सुप्रीम कोर्ट के एक पूर्व जज द्वारा मध्यस्थता की आवश्यकता है।
अदालत ने कहा,
"हमारा मानना है कि पक्षकारों के बीच यह लंबा और उलझता जा रहा मुकदमा, जो दिन-प्रतिदिन उलझता जा रहा है, समाप्त हो सकता है यदि पक्षों को इस अदालत के किसी पूर्व जज के समक्ष मध्यस्थता के लिए राजी किया जाए, विशेष रूप से उनके बीच विवाद की प्रकृति और उसमें शामिल हितों को ध्यान में रखते हुए।"
सीनियर एडवोकेट डॉ. ए.एम. सिंघवी (अपीलकर्ता की ओर से) और सीनियर एडवोकेट गोपाल सुब्रमण्यम (प्रतिवादी की ओर से) मध्यस्थता के लिए सहमत हुए।
दोनों पक्षकारों द्वारा मामले को मध्यस्थता के लिए भेजने के प्रस्ताव को स्वीकार किए जाने के बाद अदालत ने पूर्व सीजेआई डी.वाई. चंद्रचूड़ को पक्षों के बीच मध्यस्थ के रूप में कार्य करने और विवादों को सुलझाने के लिए नियुक्त किया।
अदालत ने आगे कहा,
"इस बीच दोनों पक्षकारों को यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया जाता है। यदि पक्षकारों के बीच कोई भी कार्यवाही, चाहे वह दीवानी हो या फौजदारी, लंबित है तो मध्यस्थ की रिपोर्ट प्राप्त होने और इस अदालत द्वारा आगे के आदेश पारित होने तक वे कार्यवाही स्थगित रहेंगी।"
अदालत ने कहा कि मध्यस्थ की फीस आदि पक्षों के परामर्श से तय की जाएगी।
Cause Title: EURO PRATIK ISPAT (INDIA) PRIVATE LIMITED VERSUS GEOMIN INDUSTRIES PRIVATE LIMITED & ORS.

