"छात्रों को स्कूल स्टाफ की लापरवाही के कारण पीड़ित नहीं होना चाहिए" : बॉम्बे हाईकोर्ट ने बोर्ड को 12वीं कक्षा के परिणाम घोषित करने का निर्देश दिया

LiveLaw News Network

12 Sep 2021 5:17 AM GMT

  • छात्रों को स्कूल स्टाफ की लापरवाही के कारण पीड़ित नहीं होना चाहिए : बॉम्बे हाईकोर्ट ने बोर्ड को 12वीं कक्षा के परिणाम घोषित करने का निर्देश दिया

    बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने तीन छात्रों के 12वीं कक्षा के रोके गए रिजल्ट को घोषित करने का निर्देश देते हुए कहा कि छात्रों को जूनियर कॉलेज के कर्मचारियों और प्राचार्य की लापरवाही के कारण लिए पीड़ित नहीं होना चाहिए।

    न्यायमूर्ति सुनील शुक्रे और न्यायमूर्ति अनिल किलोर की खंडपीठ ने संबंधित जूनियर कॉलेज को मूल्यांकन के लिए तीन छात्रों का विवरण महाराष्ट्र राज्य माध्यमिक शिक्षा बोर्ड को सौंपने के लिए कहा। साथ ही बोर्ड को 15 सितंबर तक उनके परिणाम घोषित करने का निर्देश दिया।

    खंडपीठ ने कहा,

    "हमारी राय है कि स्कूल के क्लर्क और प्रिंसिपल की गलती और लापरवाही के लिए और स्कूल प्रबंधन द्वारा अपने स्टाफ सदस्यों पर अपेक्षित डिग्री का पर्यवेक्षण करने में विफलता के लिए उपस्थिति में नियमित और 11वीं कक्षा की आंतरिक परीक्षा में भी शामिल होने वाले छात्रों को पीड़ित नहीं होना चाहिए।"

    पीठ ने कहा कि तीनों छात्रों के शैक्षणिक हितों की रक्षा करना जरूरी है। साथ ही स्कूल प्रबंधन को भविष्य में इस तरह की लापरवाही से बचने के लिए कदम उठाने चाहिए।

    पीठ ने यह भी जोड़ा,

    "अन्यथा उनका पूरा शैक्षणिक वर्ष बर्बाद हो जाएगा और इसका उनके भविष्य के करियर और शिक्षाविदों के क्षेत्र में प्रयासों पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा। इससे उनके जीवन में खुद को स्थापित करने और बसने के उनके प्रयासों में देरी हो सकती है।"

    सरस्वती जूनियर कॉलेज चलाने वाले ट्रस्ट साधना शिक्षण मंडल और तीन छात्रों ने यह कहते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया था कि कॉलेज क्लर्क अनजाने में बोर्ड को मूल्यांकन के लिए तीन छात्रों के परीक्षा फॉर्म और सहायक विवरण अपलोड करने में विफल रहा।

    छह सितंबर को पीठ ने मामले की जांच का आदेश दिया और महाराष्ट्र राज्य माध्यमिक शिक्षा बोर्ड को जांच के लिए अपने सचिव या संयुक्त सचिव को नामित करने के लिए कहा।

    जांच रिपोर्ट से स्पष्ट रूप से पता चला कि तीनों छात्रों ने 12वीं कक्षा की परीक्षा के लिए अपने प्रवेश फॉर्म प्रक्रिया के अनुसार जमा किए थे।

    हालांकि, संबंधित लिपिक प्रशांत फुलचंद वाघमारे की गलती और प्राचार्य विनोद चेतवानी की लापरवाही के कारण ये प्रवेश फॉर्म अपलोड नहीं किए गए।

    रिपोर्ट में पाया गया कि क्लर्क 10वीं कक्षा के तीन विषयों में प्राप्त सर्वोत्तम अंक, 11वीं कक्षा में प्रदर्शन का मूल्यांकन, आंतरिक मूल्यांकन और मौखिक और व्यावहारिक परीक्षा के अंक सहित अपेक्षित डेटा अपलोड करने में भी विफल रहा।

    अपने अंतिम आदेश में नौ सितंबर को पीठ ने कॉलेज को निर्देश दिया कि वह तीन छात्रों जयंत माली, निशा पिंपले और कृष्णा सोंडकर का पूरा डेटा महाराष्ट्र राज्य माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, मंडल बोर्ड, अमरावती को मूल्यांकन के लिए प्रस्तुत करे।

    इसने बोर्ड को इन तीनों छात्रों के प्रदर्शन का नियमों के अनुसार मूल्यांकन करने और 15.09.2021 को दोपहर 3.00 बजे तक उनका परिणाम घोषित करने का निर्देश दिया।

    केस शीर्षक: साधना शिक्षण मंडल, शेगांव, बुलढाणा और अन्य बनाम महाराष्ट्र राज्य, स्कूल शिक्षा और खेल विभाग, प्रधान सचिव, मुंबई और अन्य।

    याचिकाकर्ता-न्यास के लिए अधिवक्ता एआर पाटिल, महाराष्ट्र राज्य माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के लिए अधिवक्ता आनंद परचुरे और पीड़ित छात्रों का प्रतिनिधित्व अधिवक्ता एसवी सिरपुरकर ने किया।

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