सार्वजनिक स्थानों पर थूकने, मास्क न पहनने पर दंड के नियम को सख्ती से लागू किया जाए: मद्रास हाईकोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए

LiveLaw News Network

27 Sep 2020 7:28 AM GMT

  • सार्वजनिक स्थानों पर थूकने, मास्क न पहनने पर दंड के नियम को सख्ती से लागू किया जाए: मद्रास हाईकोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए

    Madras High Court

    मद्रास हाईकोर्ट ने गुरुवार (17 सितंबर) को राज्य सरकार को संशोधित नियमों को सख्ती से लागू करने का निर्देश दिया, जिन्हें 04.09.2020 को सरकारी आदेश के जर‌िए लागू किया गया था। उक्त न‌ियमों के तहत मास्क न पहनने, सामाजिक दूरी का उल्लंघन करने और सार्वजनिक स्थानों पर थूकने पर सजा का संकेत दिया गया है।

    कोर्ट ने निर्देश दिया कि नियमों और कार्रवाई का पर्याप्त प्रचार किया जाना चाहिए।

    जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस आर हेमलता की खंडपीठ एक वकील द्वारा दायर रिट याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसने मांग की थी कि दी प्रोअबिशन ऑफ स्मोकिंग एंड स्‍पिटिंग एक्‍ट, 2002, के प्रावधानों के अनुरूप सार्वजनिक स्‍थानों पर थूकने पर प्रतिबंध लगाने की दिशा में उत्तरदाताओं की ओर से उचित कार्रवाई की जाए, विशेषकर महामारी की स्थिति में।

    याचिकाकर्ता की प्रार्थना


    याचिकाकर्ता ने संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत याचिका दायर की थी, जिसमें परमादेश (Mandamus) की एक रिट जारी करने की प्रार्थना की गई थी, उत्तरदाताओं को निर्देश दिया गया था-

    (ए) सार्वजनिक रूप से धूम्रपान पर प्रतिबंध लगाना और प्रोअबिशन ऑफ स्मोकिंग एंड स्पिंटिंग एक्ट, 2002 के प्रावधानों के तहत दंडनीय बनाया जाए और इसे सख्ती से लागू किया जाए;

    (बी) पब्ल‌िक हेल्‍थ बोर्ड को निर्देश दें कि वह भारत सरकार द्वारा पारित प्रोअबिशन ऑफ डेफिकेशन इन ओपन प्लेस, 2019 के पूर्ण कार्यान्वयन के लिए सार्वजनिक स्वच्छता सुविधाएं प्रदान करे और सड़कों पर कूड़ा/ कचरा जमा करने की प्रक्रिया का विनियमितीकरण करें;

    (सी) COVID महामारी और अन्य महामारियों के प्रसार और पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के लिए, कचरे, विशेष कर, खतरनाक चिकित्सकीय और विषाक्त अपशिष्ट और अन्य प्लास्टिक कचरे आदि को वैज्ञानिक तरीके से अलग किया जाए और प्रबंधन किया जाए, और अधिकारी ऐसे कचरों के निस्तारण ट्रैक की रिपोर्ट दर्ज करें।

    (डी) निजी और सरकारी प्रतिष्ठानों के सभी कर्मचारियों को, जिन्हें पर्याप्त शौचालय दिया गया है, की निगरानी करें और यदि उन्हें सार्वजनिक स्‍थानों पर शौच करते पाया जाता है तो दंडित करें;

    (ई) पूरे तमिलनाडु राज्य में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स, 2016 को सख्ती से लागू करें और यदि कोई व्यक्ति कानून का उल्लंघन करे तो उस पर कानून के अनुसार जुर्माना लगाएं;

    (एफ) सभी सार्वजनिक स्थानों पर प्रचार बोर्ड लगाकर जनता को सामाजिक दूरी रखने और उचित मास्क पहनने के लिए जागरूक बनाएं।

    यह ध्यान दिया जा सकता है कि सरकारी आदेश G.O. (Ms.)No.326, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग (AB2), 04.09.2020 के जर‌िए तमिलनाडु पब्लिक हेल्थ एक्ट, 1939 की धारा 138-ए के तहत प्रदत्त शक्ति का प्रयोग कर आवश्यक नियम बनाए गए थे, जिसमें मास्क न पहनने, सामाजिक दूरी का उल्लंघन और सार्वजनिक स्थानों पर थूकने पर सजा का संकेत दिया गया था।

    य‌ाचिकाकर्ता के वकील ने कहा का पूर्वोक्त नियम अस्तित्व में आ चुका है कि लेकिन अब तक इसका पालन नहीं किया गया है।

    कोर्ट का फैसला

    उक्त नियम के संदर्भ में, उच्च न्यायालय ने कहा, "हमने तमिलनाडु राज्य में अधिकारियों को प्रावधानों को सख्ती से लागू करने के लिए पहले ही उचित दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। हम केवल यह दोहराते हैं कि संशोधित नियम, जिसे 04.09.2020 के सरकारी आदेश्‍ के बाद लागू किया गया है, को उत्तरदाताओं को कड़ाई से ‌क्रियान्वित करना चाहिए। नियम और कार्रवाई का पर्याप्त प्रचार करना पड़ेगा। "

    कोर्ट ने कहा, "चिकित्सा अपशिष्ट और अप‌श‌िष्टों को प्रबंध‌ित करने के संबंध में उठाए गए मुद्दों, उपयुक्त उत्तरदाताओं की कमी के कारण हम जाने के के इच्छुक नहीं हैं...हालांकि, याचिकाकर्ता व्यापक रिट याचिका दायर करने के लिए स्वतंत्र है।"

    मामले का विवरण

    केस टाइटल: एन राजकुमार बनाम मुख्य सचिव, राज्य सरकार और अन्य

    केस नं : W.P.No.9927 of 2020

    कोरम: जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस आर हेमलता

    प्रतिनिधित्व: एडवोकेट एम ज्ञानसेकर (याचिकाकर्ता के लिए); पीआर विजया कुमार (आरआर 1 से 3 के लिए); आर.गोपीनाथ (आर4 के लिए)।

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