'अजीब बात है कि एक विधायक ने हवाई यात्रा के लिए जाली आधार कार्ड बनाया': इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सपा विधायक इरफान सोलंकी को जमानत देने से इनकार किया
Avanish Pathak
23 Feb 2023 7:45 PM IST
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले हफ्ते समाजवादी पार्टी के विधायक इरफान सोलंकी को जाली आधार कार्ड के जरिए हवाई यात्रा करने के खिलाफ दर्ज मामले में जमानत देने से इनकार कर दिया।
जस्टिस दिनेश कुमार सिंह की खंडपीठ ने माना कि यह बहुत ही 'अजीब' है कि विधान सभा के एक सदस्य ने आधार कार्ड में फर्जीवाड़ा किया और उसी के आधार पर यात्रा की।
इसके साथ ही कोर्ट ने सोलंकी की ओर से पेश वकील की इस दलील को भी खारिज कर दिया कि मामला अनिवार्य रूप से आधार अधिनियम 2016 के उल्लंघन से संबंधित है और अधिनियम के तहत शिकायत दर्ज करने के लिए सक्षम प्राधिकारी से अनुमति अनिवार्य है, और चूंकि वर्तमान मामले में, सक्षम प्राधिकारी ने ऐसी कोई अनुमति नहीं दी थी, इसलिए उनके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की जा सकती है।
पीठ ने कहा,
"आरोपी आवेदक ने आधार अधिनियम के तहत अपराध किया है या नहीं, इसका निर्णय ट्रायल के प्रासंगिक चरण में किया जाएगा, लेकिन इस न्यायालय का मानना है कि आरोपी आवेदक ने आईपीसी के तहत अपराध किया है, जिसमे प्राथमिकी दर्ज करने और जांच करने के लिए सक्षम प्राधिकरण से अनुमति/स्वीकृति की आवश्यकता नहीं है।"
सोलंकी पर आरोप है कि उन्होंने अन्य सह-आरोपियों के साथ मिलकर अपनी वास्तविक पहचान छिपाने के लिए आधार कार्ड जैसे दस्तावेज तैयार किए और फर्जी दस्तावेजों के आधार पर कानपुर से दिल्ली और दिल्ली से मुंबई तक सफर किया।
सोलंकी ने जाली पहचान पत्र पर कथित तौर पर इसलिए यात्रा की क्योंकि वह आईपीसी के तहत कथित अपराधों के लिए एक और एफआईआर का सामना कर रहे थे और उक्त मामले में उनके खिलाफ एक गैर-जमानती वारंट भी जारी किया गया था, और इसलिए, मामले में गिरफ्तारी से बचने के लिए वह यूपी से भाग गए थे।
अपनी पहचान छिपाने के लिए उन्होंने फर्जी आईडी कार्ड के आधार पर कानपुर से दिल्ली और दिल्ली से मुंबई का सफर तय किया और दिल्ली से मुंबई का सफर हवाई मार्ग से किया। नतीजतन, सोलंकी के खिलाफ धारा 212, 419, 420, 467, 468, 471, और 120 बी आईपीसी के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी और उन्हें दिसंबर 2022 में गिरफ्तार किया गया था।
मामले में जमानत की मांग करते हुए उन्होंने कोर्ट में दलील दी कि चूंकि मामला आधार अधिनियम के उल्लंघन से संबंधित है और इसलिए सक्षम प्राधिकारी की पूर्व अनुमति के बिना कोई पुलिस रिपोर्ट नहीं, कोई एफआईआर दर्ज नहीं की जा सकती है। इसलिए, उनके खिलाफ कार्यवाही जारी नहीं रखी जा सकती है।
दूसरी ओर, एजीए देवेश नाथ तिवारी ने कहा कि सोलंकी का सोलह मामलों का लंबा आपराधिक इतिहास है। यह भी प्रस्तुत किया गया कि उन्होंने आधार अधिनियम के तहत अपराध किया होगा, लेकिन उसने भारतीय दंड संहिता, 1860 के तहत भी अपराध किया है, जिसके लिए उनके और अन्य सह-आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया गया था और आरोप पत्र भी दायर किया गया था।
यह भी प्रस्तुत किया गया था कि जाली पहचान पत्र तैयार करना एक गंभीर मुद्दा है और इस प्रकार के मुद्दे से सख्ती से निपटा जाना चाहिए क्योंकि कई आतंकवादी गतिविधियां/हमलों में संलिप्त आतंकवाद जाली आधार कार्ड का उपयोग कर देश में घुस जाते हैं।
उक्त दलीलों के मद्देनजर सोलंकी की ओर से दी गई दलीलों में कोई दम नहीं पाकर, अदालत ने जमानत याचिका खारिज कर दी।
केस टाइटलः इरफान सोलंकी बनाम यूपी राज्य [CRIMINAL MISC BAIL APPLICATION No 709/2023]-
केस साइटेशन: 2023 लाइवलॉ (एबी) 73