जजों को शॉल और अन्य उपहार देना बंद करें; फेवर के लिए उनके आवासों पर न जाएं: मद्रास हाईकोर्ट ने न्यायिक अधिकारियों से कहा

Avanish Pathak

26 Jun 2023 12:58 PM IST

  • जजों को शॉल और अन्य उपहार देना बंद करें; फेवर के लिए उनके आवासों पर न जाएं: मद्रास हाईकोर्ट ने न्यायिक अधिकारियों से कहा

    मद्रास हाईकोर्ट ने तमिलनाडु राज्य न्यायिक सेवा और पुडुचेरी न्यायिक सेवा के न्यायिक अधिकारियों को कई निर्देश जारी किए हैं। हाईकोर्ट ने एक परिपत्र में न्यायिक अधिकारियों से न्यायाधीशों से मुलाकात के दरमियान उन्हें शॉल और अन्य स्मृति चिन्ह भेंट करने की प्रथा से परहेज करने को कहा है। अधिकारियों को पदोन्नति या स्थानांतरण जैसे किसी भी लाभ के अनुरोध के लिए न्यायाधीशों के आवास पर नहीं जाने का भी निर्देश दिया गया है।

    रजिस्ट्रार जनरल ( प्रभारी) के माध्यम से जारी पर‌िपत्र में कहा गया है, "न्यायिक अधिकारी हाईकोर्ट के जजों से मुलाकात के समय उन्हें शॉल, स्मृति चिन्ह, गुलदस्ता, माला, फल और उपहार भेंट करने की प्रथा बंद कर दें।"

    हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि न्यायिक अधिकारी अदालत के समय के दौरान अदालत नहीं छोड़ेंगे या किसी वकील या वादकारी जनता से कोई आतिथ्य प्राप्त नहीं करेंगे।

    इसके अतिरिक्त, परिपत्र अधिकारियों को सीधे न्यायाधीशों को किसी भी संचार को संबोधित करने से रोकता है। परिपत्र में कहा गया है कि इस तरह का संचार केवल रजिस्ट्री को संबोधित किया जाना चाहिए जो आवश्यक कार्रवाई के लिए इसे तुरंत चीफ जस्टिस या पोर्टफोलियो जज के समक्ष रखेगा।

    निर्देशों में यह भी कहा गया कि अधिकारियों को अदालत परिसर के बाहर काले कोट और काली टाई पहनने से बचना चाहिए। उन्हे काले रंग ये उससे मिलते-जुलते किसी रंग के अलावा अपनी पसंद के किसी और रंग का कोट और टाई पहनना चाहिए।

    हाईकोर्ट ने सभी प्रधान जिला न्यायाधीशों/जिला न्यायाधीशों/इकाइयों के प्रमुखों से कहा है कि वे अपने न्यायिक अधिकारियों को इन निर्देशों का ईमानदारी से पालन करने और उनका कार्यान्वयन सुनिश्चित करने का निर्देश दें।

    हाईकोर्ट के न्यायाधीशों के दौरे के संबंध में

    परिपत्र में यह भी कहा गया है कि अधिकारियों को हाईकोर्ट के न्यायाधीश के स्वागत के लिए शहर या शहर के बाहरी इलाके में सड़क के किनारे खड़े नहीं होना चाहिए या इंतजार नहीं करना चाहिए, बल्कि आधिकारिक यात्राओं के दौरान न्यायाधीश के स्वागत के लिए स्टाफ के एक जिम्मेदार सदस्य की व्यवस्था करनी चाहिए। शहर/कस्बे के बाहरी इलाके और बिना किसी असुविधा के सुरक्षित आगमन सुनिश्चित करने के लिए उनका मार्गदर्शन करें।

    इसमें आगे कहा गया है कि जब कोई हाईकोर्ट का न्यायाधीश निजी दौरा कर रहा हो, तो प्रोटोकॉल ड्यूटी के लिए नियुक्त न्यायिक अधिकारी ही न्यायाधीश को उस स्थान पर रिसीव करेगा, जहां आवास प्रदान किया गया है या रेलवे स्टेशन या हवाई अड्डे पर, जैसा भी मामला हो। हालांकि, इसमें इस बात पर भी जोर दिया गया है कि जब ऐसे दौरे अदालत के समय के दौरान होते हैं, तो न्यायाधीशों का स्वागत स्टाफ के एक जिम्मेदार सदस्य द्वारा किया जाएगा।

    परिपत्र में यह भी कहा गया है कि निजी यात्राओं के लिए गार्ड ऑफ ऑनर की व्यवस्था नहीं की जानी चाहिए, लेकिन सभी आवश्यक सुरक्षा व्यवस्थाएं की जानी चाहिए।

    इसी तरह, सर्कुलर में कहा गया है कि जब कोई न्यायाधीश आधिकारिक दौरा कर रहा होता है, तो यदि दौरा अदालत के समय के बाहर होता है तो प्रोटोकॉल ड्यूटी पर सर्वोच्च न्यायिक अधिकारी या अन्यथा स्टाफ के किसी जिम्मेदार सदस्य द्वारा उसका स्वागत किया जाएगा।

    इसके अतिरिक्त, परिपत्र में कहा गया है कि जब भी किसी न्यायाधीश द्वारा राज्य के विभिन्न जिलों में कोई निजी या आधिकारिक दौरा किया जाता है, तो प्रधान जिला न्यायाधीश या संबंधित जिले के यूनिट प्रमुख द्वारा नामित वरिष्ठतम स्टाफ सदस्य को अकेले ही जजों को रिसीव करना/भेजना चाहिए।

    इसमें कहा गया है कि हाईकोर्ट के न्यायाधीशों की इन यात्राओं के दौरान न्यायिक अधिकारियों को से उपस्थित रहने की कोई बाध्यता नहीं है, जब तक कि उनकी उपस्थिति आधिकारिक तौर पर या शिष्टाचार भेंट पर आवश्यक न हो।


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