ट्रांसजेंडर कैदियों के हितों की रक्षा के लिए कदम उठाए गए; जेलों में अलग सेल बनाए गए: पटना हाईकोर्ट ने जनहित याचिका पर सुनवाई बंद की
Shahadat
16 Sept 2022 10:37 AM IST
पटना हाईकोर्ट ने बुधवार को जनहित याचिका पर सुनवाई बंद कर दी, जिसमें ट्रांसजेंडर समुदाय से संबंधित कैदियों की सुरक्षा के उपायों की मांग की गई थी, चाहे वे पुलिस या न्यायिक हिरासत में हों।
चीफ जस्टिस संजय करोल और जस्टिस एस. कुमार की खंडपीठ ने कहा कि कुछ ऐसे उपाय किए गए, जो निश्चित रूप से ट्रांसजेंडर समुदाय के सदस्यों के हितों को देखने/उनकी रक्षा करने में लंबा सफर तय कर चुके हैं।
इसमें कहा गया कि प्रधान सचिव, गृह विभाग, पटना और महानिरीक्षक कारागार, कारा और सुधार सेवा, बिहार सरकार, पटना द्वारा दायर हलफनामे के अनुसार, जेलों में कैदियों के रहने के लिए अलग-अलग सेल बनाए गए हैं। बिहार सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा जारी निर्देशों का भी काफी हद तक पालन किया जा रहा है।
कोर्ट ने फिर भी याचिकाकर्ता को लिखित संचार राज्य के गृह मामलों के विभाग के माध्यम से शिकायत करने की स्वतंत्रता दी। इसके साथ ही राज्य को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश जारी किए गए कि भारत सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों और बिहार राज्य के लिए जेलों में ट्रांसजेंडर समुदाय के सदस्यों के आवास के संबंध में अपनाए गए दिशा-निर्देशों को अक्षरश: लागू किया जाए।
लॉ फाउंडेशन द्वारा एडवोकेट विशाल कुमार सिंह के माध्यम से दायर याचिका में याचिकाकर्ता ने अदालत से अनुरोध किया कि विभिन्न अपराधों के तहत गिरफ्तार किए गए ट्रांसजेंडर व्यक्तियों और सभी केंद्रीय जेलों में बंद ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए अलग वार्ड और सेल बनाने के लिए प्रतिवादियों को निर्देश जारी किए जाएं। याचिका में आगे प्रतिवादी अधिकारियों को निर्देश जारी करने के लिए प्रार्थना की गई कि वे ट्रांसजेंडर कैदियों को पुरुष कैदियों या महिला कैदियों से अलग-अलग सेल, आइसोलेशन वार्ड या अस्पतालों में रखने और न्यायिक के साथ-साथ पुलिस हिरासत में अलग-अलग करना सुनिश्चित करें।
प्रतिवादी नंबर चार बिहार सरकार के पुलिस महानिदेशक की ओर से एडिशनल एडवोकेट जनरल- III प्रभात कुमार वर्मा और एडवोकेट सुमन कुमार झा ने वर्तमान आदेश में याचिकाकर्ता को किसी भी शिकायत को उजागर करने की स्वतंत्रता प्रदान की। इसके साथ ही कहा गया कि याचिकाकर्ता की शिकायतों पर सुनवाई का अवसर प्रदान किया जाएगा और याचिकाकर्ता द्वारा दिए गए सुझावों पर भी विचार किया जाएगा और उन्हें लागू किया जाएगा।
केस टाइटल: लॉ फाउंडेशन बनाम बिहार राज्य और अन्य।