राज्य सरकार 11E स्केच पर जोर दिए बिना बिक्री विलेख अपलोड करने में सक्षम होने के लिए वेबसाइट में सुधार करे: कर्नाटक हाईकोर्ट

LiveLaw News Network

7 Nov 2021 4:40 AM GMT

  • राज्य सरकार 11E स्केच पर जोर दिए बिना बिक्री विलेख अपलोड करने में सक्षम होने के लिए वेबसाइट में सुधार करे: कर्नाटक हाईकोर्ट

    Karnataka High Court

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को वेबसाइट https://kaverionline.karnataka.gov.in में आवश्यक परिवर्तन/सुधार करने का निर्देश दिया है ताकि रजिस्ट्रेशन ऑफिसरों द्वारा '11E' स्केच के बिना भी सर्वेक्षण विभाग द्वारा जारी भूमि का सर्वेक्षण स्केच रजिस्टर्ड बिक्री विलेख अपलोड करने में वेबसाइट को सक्षम बनाया जा सके।

    न्यायमूर्ति एस आर कृष्ण कुमार की एकल पीठ ने वैशाली केशव कडाकोल की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया।

    कोर्ट ने कहा,

    "प्रतिवादी नंबर एक/कर्नाटक राज्य को भी वेबसाइट https://kaverionline.karnataka.gov.in में आवश्यक परिवर्तन/सुधार करने के लिए निर्देशित किया जाता है ताकि उपरोक्त वेबसाइट पर रजिस्टर्ड डॉक्यूमेंट्स को अपलोड करने पर जोर दिए बिना 11E' स्केच और यहां तक ​​कि '11E' स्केच के अभाव में भी यथाशीघ्र उपरोक्त वेबसाइट में उपयुक्त परिवर्तन/सुधार शामिल करके सक्षम किया जा सके।"

    याचिकाकर्ता ने सब-रजिस्ट्रार, जामखंडी सब-डिवीजन द्वारा जारी दिनांक 21.09.2021 को एक पृष्ठांकन को चुनौती देते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया था। इसके द्वारा उसने याचिकाकर्ता के अपने पक्ष में रजिस्टर्ड बिक्री विलेख जारी करने के अनुरोध को इस आधार पर खारिज कर दिया था कि याचिकाकर्ता ने यह पेश नहीं किया कि कर्नाटक भूमि राजस्व अधिनियम, 1964 की धारा 131 (सी) के तहत कर्नाटक भूमि राजस्व नियम, 1966 के नियम 46 (एच) के तहत '11E' स्केच आवश्यक है।

    याचिकाकर्ता के वकील ने प्रस्तुत किया कि राज्य सरकार ने दिनांक 06.04.2009 को एक परिपत्र जारी किया था, जिसमें रजिस्टर्ड ऑफिसरों द्वारा दस्तावेजों के रजिस्ट्रेशन के समय '11E' स्केच प्रस्तुत करने की आवश्यकता है। उक्त परिपत्र दिनांक 06.04.2009 को जी. रामाचार और अन्य बनाम कर्नाटक राज्य और अन्य, एआईआर 2016(3) केएलजे पृष्ठ एक के मामले में इस न्यायालय के समक्ष प्रश्नगत किया गया था। इसमें इस न्यायालय ने उक्त सर्कुलर को भारतीय पंजीकरण अधिनियम, 1908 (कर्नाटक संशोधन) की धारा 22ए के साथ रद्द कर दिया था।

    इसके अलावा, उन्होंने तर्क दिया,

    "रजिस्टर्ड अधिनियम, 1908 (कर्नाटक संशोधन) की धारा 22ए को समाप्त करने के साथ-साथ उक्त प्रावधान के अनुसरण में राज्य सरकार द्वारा जारी पूर्वोक्त सर्कुलर दिनांक 06.04.2009 के आधार पर बिक्री विलेख के रजिस्ट्रेशन के उद्देश्य से '11E' स्केच के उत्पादन पर जोर देने के लिए प्रतिवादी नंबर दो पंजीकरण प्राधिकारी के लिए खुला नहीं है।"

    श्रीमती वैशाली बनाम उप रजिस्ट्रार, WPNo.117177/2019 दिनांक 18.03.2021 के मामले में इस न्यायालय के निर्णय पर भी भरोसा किया गया, जिसमें अदालत ने रामाचर के मामले में निर्णय के बाद उप-रजिस्ट्रार द्वारा जारी किए गए एक समान समर्थन को रद्द कर दिया था और प्राधिकरण को '11E' स्केच के उत्पादन पर जोर दिए बिना याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत बिक्री विलेखों को रजिस्टर्ड करने का निर्देश दिया गया था।

    अदालत ने निर्णयों के माध्यम से जाना और नोट किया,

    "मेरी राय है कि प्रतिवादी नंबर दो द्वारा जारी दिनांक 21.09.2021 को जारी किया गया समर्थन स्पष्ट रूप से अवैध, मनमाना और अधिकार क्षेत्र या कानून के अधिकार के बिना है। इसलिए यह रद्द किए जाने योग्य है। याचिकाकर्ता द्वारा '11E' स्केच के उत्पादन पर जोर दिए बिना याचिकाकर्ता को रजिस्टर्ड बिक्री विलेख दिनांक 18.12.2010 को सौंपने के लिए प्रतिवादी नंबर दो /उप-पंजीयक को आवश्यक निर्देश जारी किए जाने हैं।"

    इसके अलावा, कोर्ट ने कहा,

    "मेरा विचार है कि रामचर के मामले में इस अदालत के फैसले के मद्देनजर, प्रतिवादी नंबर एक की ओर से उपरोक्त वेबसाइट में आवश्यक परिवर्तन/सुधार करना आवश्यक हो गया है। पंजीकरण प्राधिकारियों द्वारा '11E' स्केच के अभाव में भी दस्तावेजों को अपलोड करने में सक्षम बनाने के लिए आवश्यक कदम उठाए बिना और उसे प्रस्तुत करने के लिए जोर दिए बिना इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता।"

    अदालत ने निर्देश दिया कि उसके आदेश को कर्नाटक राज्य में सभी पंजीकृत अधिकारियों, कर्नाटक राज्य के सभी जिलों में राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी), कर्नाटक सरकार के मुख्य सचिव, विभाग के मुख्य सचिव के बीच प्रसारित किया जाए।

    केस शीर्षक: वैशाली डब्ल्यू/ओ केशव कदकोल बनाम कर्नाटक राज्य

    केस नंबर: रिट याचिका संख्या 103813/2021

    आदेश की तिथि: 5 अक्टूबर, 2021

    एपीरियंस: याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट गिरीश ए. यादव और प्रतिवादियों के लिए एडवोकेट वी.एस.कालासुरमठ पेश हुए।

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