श्रीनगर कोर्ट ने 1985 के विस्फोट पीड़ित परिवार को दिया मुआवज़ा, कहा- सुरक्षा में विफलता के लिए राज्य जिम्मेदार
Shahadat
22 Aug 2025 3:45 PM IST

श्रीनगर कोर्ट ने 1985 में सार्वजनिक समारोह में पर्याप्त सुरक्षा प्रदान न करने के लिए राज्य के अधिकारियों को अप्रत्यक्ष रूप से उत्तरदायी ठहराया। इस समारोह में एक बम विस्फोट में 22 वर्षीय एक युवक की जान चली गई थी। अदालत ने अब पीड़ित के परिवार को ब्याज सहित 3.24 लाख रुपये का मुआवज़ा देने का निर्देश दिया।
श्रीनगर की सेकेंड एडिशनल जिला जज स्वाति गुप्ता ने पीड़ित के कानूनी प्रतिनिधियों द्वारा दायर दीवानी मुकदमे का फैसला सुनाते हुए कहा कि अनुच्छेद 21 के तहत नागरिकों के जीवन की रक्षा करना राज्य का संवैधानिक दायित्व है और सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित करने में कोई भी चूक उसे क्षतिपूर्ति के लिए उत्तरदायी बनाती है।
13 अक्टूबर, 1985 को श्रीनगर के प्रदर्शनी मैदान स्थित राधा थिएटर में एक बम विस्फोट हुआ। पीड़ित अवीस अहमद शाह विस्फोट में गंभीर रूप से घायल हो गए थे और अगले दिन सौरा के SKIMS में उनकी मृत्यु हो गई।
बाद में वादी के रूप में उनके परिवार ने तर्क दिया कि शाह एक निर्दोष दर्शक थे। उनकी मृत्यु अधिकारियों की लापरवाही के कारण हुई, जो सुरक्षा के पुख्ता उपाय लागू करने में विफल रहे।
राज्य के प्रतिवादियों ने विस्फोट की घटना या पीड़ित की मृत्यु पर कोई विवाद न करते हुए मुआवज़े के दायित्व से इनकार किया।
न्यायालय के निष्कर्ष
न्यायालय ने कहा कि मृतक किसी भी विध्वंसक गतिविधि में शामिल नहीं था और उसकी मृत्यु सीधे तौर पर विस्फोट में लगी चोटों के कारण हुई।
यह घटना सार्वजनिक स्थान पर पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करने में राज्य तंत्र की विफलता को दर्शाती है।
संविधान के अनुच्छेद 21 का हवाला देते हुए न्यायालय ने कहा,
"ऐसी परिस्थितियों में जीवन के हनन को केवल त्रासदी मानकर नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए ज़िम्मेदार प्रशासनिक व्यवस्था सुरक्षा में चूक के लिए उत्तरदायी है और प्रभावित परिवार के प्रति क्षतिपूर्ति का कर्तव्य रखती है।"
जज ने लता वाधवा बनाम बिहार राज्य (2001) 8 एससीसी 197 का भी हवाला दिया, जहां सुप्रीम कोर्ट ने त्रासदियों के पीड़ितों को राहत प्रदान करने की राज्य की ज़िम्मेदारी पर ज़ोर दिया। साथ ही कहा कि केंद्र और राज्य दोनों सरकारों ने आतंकवाद और बम विस्फोटों के पीड़ितों की सहायता के लिए योजनाएं अधिसूचित की हैं।
मुआवज़े की राशि
मृतक की आयु (22 वर्ष), आय क्षमता (₹700-800 प्रति माह, भविष्य की अनुमानित संभावना ₹1,500 प्रति माह) को ध्यान में रखते हुए और उपयुक्त गुणक लागू करते हुए न्यायालय ने परिवार की पात्रता ₹3,24,000 आंकी।
न्यायालय ने वाद दायर करने की तिथि से वसूली तक 8% प्रति वर्ष की दर से ब्याज का भुगतान करने का निर्देश दिया। साथ ही दो महीने से अधिक की चूक की स्थिति में 4% प्रति वर्ष अतिरिक्त दंडात्मक ब्याज भी देने का निर्देश दिया।
यह निर्णय घटना के लगभग चार दशक बाद आया, जो जन सुरक्षा में चूक के कारण हुई जनहानि के लिए राज्य की निरंतर जवाबदेही को रेखांकित करता है।

