"राज्य किसी भी धर्म के पूजा स्थल की निगरानी नहीं कर सकता": मद्रास हाईकोर्ट में 'तमिलनाडु हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती अधिनियम' को चुनौती
LiveLaw News Network
18 Aug 2021 9:02 AM GMT
![God Does Not Recognize Any Community, Temple Shall Not Be A Place For Perpetuating Communal Separation Leading To Discrimination God Does Not Recognize Any Community, Temple Shall Not Be A Place For Perpetuating Communal Separation Leading To Discrimination](https://hindi.livelaw.in/h-upload/2021/02/17/750x450_389287--.jpg)
मद्रास हाईकोर्ट
मद्रास उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर तमिलनाडु हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती अधिनियम, 1959 के अधिकारों को चुनौती दी गई है। चीफ जस्टिस संजीब बनर्जी और जस्टिस पीडी औदिकेसवालु की पीठ ने याचिका पर तमिलनाडु सरकार को नोटिस जारी कर मामले में जवाब दाखिल करने को कहा।
महत्वपूर्ण यह है कि याचिका में चुनौती अधिनियम के किसी विशेष प्रावधान को नहीं, बल्कि पूरे अधिनियम को दी गई है। याचिकाकर्ता के वकील आर गुरुराज ने सुनवाई के दौरान कहा भी कि पूरे अधिनियम चुनौती दी जा रही थी।
जब चीफ जस्टिस बनर्जी ने वकील से पूछा कि क्या वह पूरे अधिनियम को चुनौती दे रहे हैं, तो उन्होंने कहा कि किसी अन्य धार्मिक संप्रदाय के लिए कोई अधिनियम नहीं है, यह केवल हिंदुओं के लिए है। मेरे हिसाब से यह अधिनियम संविधान के खिलाफ है, न कि (केवल) मौलिक अधिकारों के खिलाफ।
उन्होंने आगे कहा, "सरकार मंदिरों को नहीं चला सकती, इसलिए मैं इस अधिनियम को चुनौती दे रहा हूं।"
याचिका में 1974 से सुप्रीम कोर्ट के दिए गए कई फैसलों के उद्धरण भी दिए गए हैं।
कोर्ट ने याचिका की प्रतियां और सभी कागजात राज्य के महाधिवक्ता के कार्यालय को को भेजेने का निर्देश दिया है और चार सप्ताह के भीतर जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है।
मामले को 6 सप्ताह बाद 5 अक्टूबर, 2021 को सूचीबद्ध किया गया है।
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