न्यायिक रिकॉर्ड में गड़बड़ी के आरोप हों तो सरकार FIR दर्ज करने का विरोध नहीं कर सकती : झारखंड हाईकोर्ट
LiveLaw News Network
5 July 2020 3:16 PM IST
झारखंड हाईकोर्ट ने न्यायिक दस्तावेजों में छेड़छाड़ और फर्जीवाड़े को लेकर अधिसूचित क्षेत्र नियमन (एसएआर) अधिकारी की शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज करने का रांची के पुलिस महानिदेशक को निर्देश दिया है।
न्यायमूर्ति आनंद सेन की एकल पीठ ने इतने 'गम्भीर मसले' पर प्राथमिकी दर्ज करने की अर्जी का राज्य सरकार द्वारा विरोध किये जाने को लेकर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा, "जब न्यायिक दस्तावेजों में छेड़छाड़ और फर्जीवाड़े के आरोप हों तो सरकार प्राथमिकी दर्ज करने का विरोध नहीं कर सकती।"
याचिकाकर्ता माथियास विजय टोप्पो रांची में एसएआर अधिकारी थे। उन्होंने यह कहते हुए हाईकोर्ट का रुख किया था कि कुछ न्यायिक दस्तावेजों में उनके हस्ताक्षर की नकल करके फर्जीवाड़ा किया गया था। उनकी अर्जी में यह भी कहा गया था कि ऐसे 59 मामले थे, जिन्हें ट्रायल रजिस्टर में पंजीकृत भी नहीं किया गया था और उन्हें फर्जीवाड़ा करके निपटारा किया हुआ दिखाया गया था।
कोर्ट ने याचिका का विरोध करने के सरकार के रुख पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा,
"आश्चर्यजनक रूप से सरकार प्राथमिकी दर्ज करने का विरोध कर रही है। सहायक लोक अभियोजक (एपीपी) ने प्राथमिकी दर्ज करने का विरोध किया है और इसका कारण उन्हें ही बेहतर पता होगा। सरकार का रवैया कोर्ट के समझ से परे है।"
कोर्ट ने आरोपों की गम्भीरता के मद्देनजर 'रमेश कुमारी बनाम राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीटी) दिल्ली सरकार एवं अन्य (2006) 2एससीसी 677' के मामले में दिये गये निर्णय पर भरोसा किया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी थी कि जब एक संज्ञेय अपराध का पता चलता है और पुलिस के समक्ष कार्रवाई की इसकी शिकायत की जाती है तो पुलिस प्राथमिकी दर्ज करने से इनकार नहीं कर सकती।
बेंच ने कहा,
"कोई मामला दर्ज करने के लिए सूचना की विश्वसनीयता कोई पूर्व शर्त नहीं है। साथ ही इस मामले में याचिकाकर्ता के बयान के महत्व को ध्यान में रखते हुए विचार करें तो कोर्ट दस्तावेज से छेड़छाड़ और फर्जी हस्ताक्षर की शिकायत भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत निश्चित तौर पर अपराध की श्रेणी में आता है।"
केस का ब्योरा :
केस का शीर्षक : माथियास विजय टोप्पो बनाम झारखंड सरकार एवं अन्य
केस नं : रिट याचिका (क्रिमिनल) नं. 371/2018
कोरम : न्यायमूर्ति आनंद सेन
वकील : एडवोकेट आर कृष्णा और अमित कुमार सिन्हा (याचिकाकर्ता के लिए), एएजी अशोक कुमार (राज्य सरकार के लिए)
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