श्री पद्मनाभ स्वामी मंदिर का कितना पैसा ट्रस्ट के पास, यह देखने के लिए ट्रस्ट को ऑडिट करने की आवश्यकता, प्रशासनिक समिति ने सुप्रीम कोर्ट को बताया

LiveLaw News Network

17 Sept 2021 12:51 PM IST

  • सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली
    सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को श्री पद्मनाभ स्वामी मंदिर ट्रस्ट (जिसे तत्कालीन त्रावणकोर शाही परिवार ने बनाया था) के एक आवेदन पर आदेश सुरक्षित रख लिया है। आवेदन में पिछले साल श्री पद्मनाभ स्वामी मंदिर के 25 साल के ऑडिट के कोर्ट के आदेश से छूट की मांग की गई है।

    जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस एस रवींद्र भट और जस्टिस बेला त्रिवेदी की पीठ ने ट्रस्ट की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद पी दातार और मंदिर की प्रशासनिक समिति की ओ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता आर बसंत की दलीलें सुनने के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया ।

    पिछले साल, सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर के प्रशासन को तत्कालीन त्रावणकोर शाही परिवार से लेकर एक प्रशासनिक समिति को सौंप दिया था।

    साथ ही, कोर्ट ने प्रशासनिक समिति को निर्देश दिया कि वह पिछले 25 वर्षों से मंदिर की आय और व्यय के ऑडिट का आदेश दे, जैसा कि एमिकस क्यूरी के वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रमण्यम ने सुझाया था। ऑडिट प्रतिष्ठित चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की एक फर्म द्वारा किया जाएगा।

    ऑडिट के लिए लगी निजी सीए फर्म ने ट्रस्ट से इसके बाद आय और व्यय रिकॉर्ड जमा करने को कहा है। इस पृष्ठभूमि में ट्रस्ट ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और यह तर्क दिया था कि वे मंदिर के धार्मिक अनुष्ठानों के संचालन के लिए 1965 में गठित एक स्वतंत्र संस्था हैं और मंदिर के दिन-प्रतिदिन के प्रशासन में उनकी कोई भूमिका नहीं है।

    जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस इंदु मल्होत्रा ​​की एक पीठ ने पिछले साल केरल उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाले त्रावणकोर के पूर्व शासक के कानूनी वारिसों द्वारा दायर एक विशेष अनुमति याचिका में निर्देश पारित किया था, जिसमें घोषित किया गया था कि शाही परिवार का मंदिर पर कोई अधिकार नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व शाही परिवार के "शेबैत" अधिकारों को मान्यता दी, लेकिन प्रशासन को प्रशासनिक समिति को सौंप दिया, जिसकी अध्यक्षता तिरुवनंतपुरम के जिला न्यायाधीश द्वारा की जानी थी। कोर्ट ने मंदिर की सुरक्षा और रखरखाव के लिए राज्य द्वारा खर्च किए गए 11.70 करोड़ रुपये की राशि राज्य सरकार को चुकाने का भी निर्देश मंदिर को दिया था।

    कोर्ट रूम एक्सचेंज

    वरिष्ठ अधिवक्ता दातार ने तर्क दिया कि ट्रस्ट केरल उच्च न्यायालय और दीवानी अदालतों के समक्ष मुकदमों का विषय नहीं था। ट्रस्ट का गठन केवल मंदिर की पूजा और अनुष्ठानों की देखरेख के लिए किया गया था, जिसमें परिवार शामिल होता है, प्रशासन में उसकी कोई भूमिका नहीं थी। उन्होंने प्रस्तुत किया कि ट्रस्ट सुप्रीम कोर्ट के समक्ष तभी सामने आया जब एमिकस क्यूरी ने मांग की कि ट्रस्ट के खातों का भी ऑडिट किया जाना चाहिए।

    दातार ने तर्क दिया, "ट्रस्ट के लिए किसी ऑडिट पर विचार नहीं किया गया था। यह केवल मंदिर के लिए था।",

    पीठ ने कहा कि अदालत ने 25 साल के लिए विशेष ऑडिट का निर्देश दिया क्योंकि पूर्व सीएजी विनोद राय द्वारा किए जाने वाले ऑडिट को पूरा नहीं किया जा सका था।

    मंदिर के लिए अदालत द्वारा गठित प्रशासनिक समिति की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता आर बसत ने जोर देकर कहा कि ट्रस्ट के खातों का भी ऑडिट किया जाना चाहिए। उन्होंने प्रस्तुत किया कि ट्रस्ट ने पहले भी न्यायालय के समक्ष इसी तरह का तर्क दिया था।

    उन्होंने कहा, "दोनों खातों का ऑडिट किया जाना है। ट्रस्ट का गठन तत्कालीन शासक द्वारा किया गया था, जिसका उद्देश्य मंदिर के दिन-प्रतिदिन के खर्चों को पूरा करना था। यह एमिकस क्यूरी ने पाया था कि यह ट्रस्ट कर्तव्यों का निर्वहन नहीं कर रहा था। मंदिर की संपत्ति भी ट्रस्ट के पास है। एमिकस क्यूरी ने निश्चित रूप से कहा था कि मंदिर और मंदिर ट्रस्ट के खातों का ऑडिट करें। प्रशासनिक समिति और सलाहकार समिति दोनों ने उन्हें खातों पेश करने के लिए कहा।"

    बसंत ने आगे कहा, "मंदिर आज बहुत आर्थिक संकट में है। ट्रस्ट को मंदिर के दिन-प्रतिदिन के खर्चों को पूरा करना पड़ता है। वे जिम्मेदारी से बचने की कोशिश कर रहे हैं।"

    उन्होंने बताया कि ट्रस्ट के पास 2.8 करोड़ रुपये से अधिक नकद और लगभग 1.9 करोड़ रुपये की संपत्ति है। बसंत ने जोर देकर कहा, "पूरी बात में जाना है। यह जानना होगा कि मंदिर का कितना पैसा ट्रस्ट के पास है।"

    बाद में, दातार ने स्पष्ट किया कि ट्रस्ट ऑडिट पर आपत्ति नहीं कर रहा है और स्पष्टीकरण मांग रहा है कि इसे प्रशासनिक समिति के तहत नहीं रखा जाना चाहिए।

    दातार ने कहा, "मैं ऑडिट पर आपत्ति नहीं कर रहा हूं। मैं टकराव का रुख नहीं अपना रहा हूं।

    पीठ ने तब कहा कि वह आवेदन पर आदेश सुरक्षित रख रही है।

    मामला : श्री मार्तंड वर्मा (D0) LRs के माध्यम से बनाम केरल राज्य CA No. 2732/202

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