'स्मारकों की सुरक्षा के लिए उठाए गए कदमों का ब्योरा दें और लखनऊ की हेरिटेज साइट्स से अतिक्रमण हटाएं': इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से कहा

Avanish Pathak

21 Sep 2023 2:11 PM GMT

  • स्मारकों की सुरक्षा के लिए उठाए गए कदमों का ब्योरा दें और लखनऊ की हेरिटेज साइट्स से अतिक्रमण हटाएं: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से कहा

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार और लखनऊ नगर निगम को एक हलफनामा पेश करने का निर्देश दिया है, जिसमें अतिक्रमण हटाने/नागरिक सुविधाओं को सुव्यवस्थित करने और लखनऊ शहर और उसके आसपास के स्मारकों की सुरक्षा के लिए उठाए गए कदमों का ब्योरा दिया जाए।

    जस्टिस अताउ रहमान मसूदी और जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला की पीठ ने यह आदेश लखनऊ स्थित एडवोकेट सैयद मोहम्मद हैदर रिज़वी की जनहित याचिका पर पारित किया, जिसे उन्होंने 2013 में दायर किया था।

    उल्लेखनीय है कि अक्टूबर 2013 में न्यायालय ने अवैध निर्माणों और अतिक्रमणों की पहचान के लिए एक समिति का गठन किया था, जिसमें आयुक्त, लखनऊ डिवीजन, लखनऊ को अध्यक्ष और कोर्ट के रजिस्ट्रार को संयोजक बनाया गया था।

    मामले में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने भी एक जवाबी हलफनामा भी दायर किया था, जिसमें अदालत को अवगत कराया गया था कि लखनऊ शहर में 364 स्थलों का चिन्हित किया गया है।

    हलफनामे में यह भी कहा गया कि मुख्य रूप से यह राज्य सरकार का कर्तव्य है कि वह कथित अतिक्रमणों को हटाने और यहां तक कि संरक्षित स्मारकों के संबंध में पुनर्स्थापन कार्य करने के लिए कार्यकारी शाखा के रूप में कार्य करे और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण एक पर्यवेक्षण प्राधिकारी के रूप में कार्य करेगा।

    हालांकि, चूंकि समिति का गठन 2013 में न्यायालय द्वारा किया गया था और तब से क्या हुआ, इसके बारे में बहुत कुछ रिकॉर्ड पर नहीं लाया गया था और लगभग 10 साल बीत चुके हैं, इसलिए, न्यायालय ने इस वर्ष जुलाई में राज्य को निर्देश दिया कि समिति की वर्तमान स्थिति, उक्त समिति की बैठकों में क्या विचार-विमर्श हुआ है और पिछले वर्षों में क्या कार्रवाई की गई है, राज्य रिकॉर्ड में लाते हुए एक नया हलफनामा दाखिल करना होगा।

    न्यायालय ने राज्य को संरक्षित स्मारकों को संरक्षित करने और उन्हें कथित अतिक्रमणों से मुक्त रखने के लिए जो कुछ भी किया है, उसे पर्याप्त विशिष्टता के साथ बताने का भी निर्देश दिया था।न्यायालय ने संरक्षित स्मारकों के संरक्षण को प्रभावी ढंग से करने के लिए राज्य को अन्य विभागों और प्राधिकरणों के साथ समन्वय करने का विकल्प भी दिया।

    हालांकि, मंगलवार (18 सितंबर) को, ऐसा कोई हलफनामा रिकॉर्ड पर नहीं आया और इसलिए, न्यायालय ने न्यायालय के वरिष्ठ रजिस्ट्रार को निर्देश दिया कि वह 2 सप्ताह के भीतर आयोजित बैठकों की प्रगति के बारे में एक रिपोर्ट प्रस्तुत करें।

    न्यायालय ने यह भी कहा कि यदि जिस उद्देश्य के लिए समिति का गठन किया गया था, उसकी बैठकें अब तक नहीं बुलाई गई हैं, तो इस संबंध में आवश्यक कार्रवाई की जानी चाहिए।

    इस बीच, न्यायालय ने राज्य सरकार के साथ-साथ नगर निगम को भी अतिक्रमण हटाने/नागरिक सुविधाओं को सुव्यवस्थित करने और स्मारकों की सुरक्षा के लिए उठाए गए कदमों का एक हलफनामा प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।

    मामले को 16 अक्टूबर से शुरू होने वाले सप्ताह में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।

    केस टाइटलः सैयद मोहम्मद हैदर रिज़वी बनाम यूनियन ऑफ इंडिया, संस्कृति विभाग, नई दिल्ली और अन्य

    ऑर्डर पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें

    Next Story