स्पेशल एनआईए कोर्ट ने आनंद तेलतुंबडे और गौतम नवलखा की अंतरिम जमानत याचिका खारिज की

LiveLaw News Network

24 Aug 2021 5:52 AM GMT

  • स्पेशल एनआईए कोर्ट ने आनंद तेलतुंबडे और गौतम नवलखा की अंतरिम जमानत याचिका खारिज की

    स्पेशल एनआईए कोर्ट ने भीमा कोरेगांव-एल्गार परिषद जाति हिंसा मामले में आरोपी प्रोफेसर आनंद तेलतुंबडे और पत्रकार गौतम नवलखा की अंतरिम जमानत याचिका खारिज कर दी है ।

    जेल से सीधे भेजे गए अपने आवेदनों में, दोनों ने अपनी उम्र और COVID-19 से खतरे का हवाला देते हुए अस्थायी रूप से रिहा करने की मांग की थी। याचिका जेल प्रशासन के निर्देशों के अनुसार दायर की गई थी, जिसमें 60 साल से ऊपर के सभी कैदियों को महामारी के कारण अंतरिम जमानत के लिए आवेदन करने के लिए कहा गया था ।

    विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) प्रकाश शेट्टी ने दावा किया कि नवलखा अपनी जमानत अर्जी के साथ मेडिकल सर्टिफिकेट जमा करने में विफल रहे। उन्होंने कहा कि COVID की स्थिति में काफी सुधार हुआ है।

    विशेष न्यायाधीश डीई कोठालीकर ने जमानत अर्जी खारिज करते हुए कहा, "यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि जब भी स्थिति पैदा होगी जेल प्राधिकरण आवेदक को उचित चिकित्सा सहायता प्रदान करेगा।"

    जहां तक ​​तेलतुंबडे का सवाल है तो पीठ ने कहा कि उन्होंने अपनी जमानत अर्जी में गुणदोष के आधार पर अंतरिम जमानत मांगी थी। हालांकि, चूंकि मूल जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी, यह भी नहीं बची।

    इसी मामले में आरोपी अरुण फरेरा और सुरेंद्र गाडलिंग को जेल से पेश किया जाना था और सोमवार को उनकी जमानत अर्जी पर बहस होनी थी; हालांकि, उन्हें पेश नहीं किया गया। उन्हें 6 सितंबर को पेश किए जाने की संभावना है।

    एनआईए ने हाल ही में देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने सहित सत्रह मसौदा आरोपों की एक सूची दायर की है, जिसमें मौत की सजा का भी दंड है।

    एजेंसी ने 15 कार्यकर्ताओं पर प्रतिबंधित भाकपा (माओवादी) और उसके फ्रंट संगठन का सदस्य होने का आरोप लगाया है। हालांकि, एनआईए ने हाल ही में उच्च न्यायालय में कहा था कि वह 25 अगस्त तक निचली अदालत के समक्ष आरोप तय करने के लिए दबाव नहीं बनाएगी।

    आरोपी सुधा भारद्वाज और नवलखा ने मुकदमे पर रोक लगाने या आरोप तय करने से रोकने के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने कहा है कि ऐसे तब तक न किया जाए जब तक कि जब्त किए गए सभी इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की क्लोन प्रतियां बचाव पक्ष को उपलब्ध नहीं करा दी जाती हैं।

    आरोपियों पर धारा 121 (देश के खिलाफ युद्ध छेड़ना), 121-ए (आपराधिक बल के माध्यम से सरकार को डराना), 124-ए (देशद्रोह), 153-ए (दो समुदायों के बीच नफरत और दुश्मनी को बढ़ावा देना), 120 बी (साजिश), 505 (1) (बी) (सद्भाव के प्रतिकूल कार्य) के तहत मामला दर्ज किया गया है। उन पर धारा 10,13,16,18,18-बी, 20,38,39,40 यूएपी अधिनियम के तहत अपराध करने का भी आरोप लगाया गया है।

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