स्पेशल बेंचः हैबियस कार्पस याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रविवार को सुनवाई की
LiveLaw News Network
11 July 2021 5:30 PM IST
इलाहाबाद हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के आदेश के अनुसार एक लड़के की तरफ से दायर हैबियस कार्पस याचिका पर सुनवाई के लिए रविवार को एक विशेष पीठ का गठन किया गया। इस लड़के ने अपनी मां के माध्यम से दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि उसका उसके घर से अपहरण कर लिया गया था और उसे थाने के यातना कक्ष में अवैध हिरासत में रखा गया है।
न्यायमूर्ति प्रिटिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति समित गोपाल की खंडपीठ ने सरकारी वकील की दलीलों को ध्यान में रखते हुए पाया कि प्रथम दृष्टया यह अवैध हिरासत का मामला नहीं था क्योंकि इस लड़के को उस प्राथमिकी के अनुसार गिरफ्तार किया गया था, जिसमें लड़के/याचिकाकर्ता की मिलीभगत सामने आई है।
संक्षेप में मामला
एक सुमन केशरवानी द्वारा एक आवेदन दायर किया गया था, जिसमें कहा गया था कि उसके बेटे राज केशरवानी का 7 जुलाई, 2021 को रात 8 बजे घर के मुख्य द्वार से अपहरण कर लिया गया था और उसे थाना कैंट, जिला प्रयागराज के परिसर के भीतर यातना कक्ष में अवैध हिरासत में रखा गया है।
पत्र याचिका में आगे कहा गया था कि न तो पुलिस ने उसके बेटे के खिलाफ दर्ज की गई कोई प्राथमिकी रिपोर्ट दिखाई थी और न ही उसे कानून के अनुसार संबंधित मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया था। इसलिए, उसके बेटे की हिरासत अवैध और सत्ता का दुरुपयोग था और इस प्रकार,इस न्यायालय के हस्तक्षेप की मांग की गई थी।
उक्त पत्र को एक याचिका के रूप में मानते हुए पंजीकृत किया गया था और तत्काल पीठ के समक्ष रखा गया। यह भी तर्क दिया गया कि लड़के को पुलिस ने कई दिनों तक प्रताड़ित भी किया था और संबंधित मजिस्ट्रेट के सामने पेश नहीं किया गया था।
राज्य की दलीलें
वहीं दूसरी ओर राज्य के वकील ने कोर्ट को बताया कि संबंधित पुलिस थाने से प्राप्त निर्देश के अनुसार यह पता चला है कि 30.06.2021 को अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 392 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी, जिसमें जांच के दौरान सीसीटीवी फुटेज के आधार पर लड़के/याचिकाकर्ता की मिलीभगत सामने आई है।
जिसके बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया और 11 जुलाई, 2021 को लगभग 1ः30 बजे गिरफ्तार किए जाने के बाद उसे संबंधित मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया गया था। यह भी बताया गया कि उसके खिलाफ और प्रासंगिक सबूत भी एकत्र किए गए हैं।
अंत में, राज्य के वकील ने दलील दी कि अन्य प्रासंगिक दस्तावेज, जैसे संबंधित मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश करना और मजिस्ट्रेट का आदेश आदि काउंटर-शपथ पत्र के साथ दायर किए जाएंगे।
इसलिए, याचिकाकर्ता और राज्य के वकील द्वारा की गई प्रस्तुतियों पर विचार करते हुए, न्यायालय ने कहा कि यह अवैध हिरासत का मामला नहीं है।
हालाँकि, मामले की तात्कालिकता को देखते हुए राज्य के वकील को काउंटर-शपथ पत्र दाखिल करने के लिए दो दिन का समय दिया गया है। वहीं मामले को 14 जुलाई, 2021 को नए सिरे से सुनवाई के लिए रोस्टर वाले उपयुक्त बेंच के समक्ष पोस्ट किया जाएगा।
केस का शीर्षक - राज केशरवानी अपनी मां सुमन केशरवानी के जरिए बनाम स्टेट ऑफ यू.पी. व 2 अन्य
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