'कुछ नियुक्तियों को तुरंत मंजूर कर लिया गया, कुछ को लंबित रखा गया' : कॉलेजियम की अलग-अलग सिफारिशों को स्वीकार करने में केंद्र की ओर से लगने वाले समय पर एक नज़र
Manu Sebastian
12 Dec 2022 5:11 PM IST
सुप्रीम कोर्ट ने कॉलेजियम प्रस्तावों के अनुमोदन में देरी के लिए केंद्र सरकार के खिलाफ दायर एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि कुछ सिफारिशें तेजी से स्वीकृत हो जाती हैं, लेकिन कुछ को महीनों तक लंबित रखा जाता है।
कॉलेजियम के प्रस्तावों पर निर्णय लेने के लिए केंद्र के लिए कोई निश्चित समय-सीमा निर्धारित नहीं है, सिवाय कॉलेजियम द्वारा हाईकोर्ट के जजों के रूप में दोहराए गए नामों के संबंध में, जहां केंद्र को निश्चित न्यायिक निर्देश है कि 3-4 सप्ताह के भीतर नियुक्ति की जाए।
एक निश्चित समय-सीमा की कमी के कारण, सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम के प्रस्तावों के लिए केंद्र की अनुमति आश्चर्यजनक रूप से धीमी हुई है। ऐसे उदाहरण भी हैं कि कॉलेजियम की सिफारिशों के कुछ दिनों के भीतर ही नियुक्तियां की गई हैं। साथ ही ऐसे उदाहरण भी हैं जहां कुछ प्रस्ताव कई महीनों तक लंबित रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट में हाल ही में हुई कुछ नियुक्तियों की टाइमलाइन को देखने के बाद सार्वभौमिक दृष्टिकोण की कमी को बेहतर ढंग से दिखाती है।
जस्टिस दीपांकर दत्ता की नियुक्ति कॉलेजियम की सिफारिश के 75 दिन बाद की गई
सुप्रीम कोर्ट में की गई नवीनतम नियुक्ति जस्टिस दीपांकर दत्ता की है, जो बॉम्बे हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रह चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 26 सितंबर को पारित प्रस्ताव में उनकी पदोन्नति का प्रस्ताव दिया था।
हालांकि, प्रस्ताव लगभग 3 महीने तक केंद्र सरकार के पास लंबित रहा और उनकी नियुक्ति को 11 दिसंबर, 2022 को अधिसूचित किया गया।
न्यायिक नियुक्तियों में विलंब को लेकर दायर एक अवमानना याचिका में सचिव (न्याय) को नोटिस जारी करते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने 10 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष, सीनियर एडवोकेट विकास सिंह ने कहा कि "यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति के लिए पांच सप्ताह से अधिक समय पहले की गई सिफारिश अभी भी नियुक्ति का इंतजार कर रही है।"
जस्टिस एसके कौल के नेतृत्व वाली पीठ ने तब टिप्पणी की थी, "हम वास्तव में इस तरह की देरी को समझने या सराहना करने में असमर्थ हैं।"
जस्टिस सुधांशु धूलिया और जेबी पर्दीवाला की नियुक्ति कॉलेजियम की सिफारिश के दूसरे दिन की गई
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 5 मई को जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस जेबी पर्दीवाला की पदोन्नति के लिए सिफारिशें कीं। केंद्र ने 7 मई यानि 2 दिनों के भीतर उनकी नियुक्तियों को अधिसूचित किया।
जस्टिस एएस ओका, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस जेके माहेश्वरी, जस्टिस हिमा कोहली, जस्टिस बीवी नागरत्ना, जस्टिस सीटी रविकुमार, जस्टिस एमएम सुंदरेश, जस्टिस बेला त्रिवेदी और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की नियुक्तियां कॉलेजियम प्रस्ताव के 9 दिन बाद की गई
सुप्रीम कोर्ट में एक बार में सबसे अधिक संख्या में नियुक्तियां 26 अगस्त, 2021 की थी, जब एक साथ नौ जजों की नियुक्तियों को अधिसूचित किया गया था। इन नौ फाइलों को मंत्रालय ने 17 अगस्त, 2021 को पारित कॉलेजियम प्रस्ताव के नौ दिनों के भीतर अंतिम रूप दे दिया था।
जस्टिस कृष्णा मुरारी, जस्टिस एस रवींद्र भट, जस्टिस जेके माहेश्वरी, जस्टिस वी रामासुब्रमण्यम और जस्टिस हृषिकेश रॉय की नियुक्ति कॉलेजियम प्रस्ताव के 21 दिन बाद की गई
जस्टिस कृष्ण मुरारी, जस्टिस एस रवींद्र भट, जस्टिस जेके माहेश्वरी, जस्टिस वी रामासुब्रमण्यन और जस्टिस हृषिकेश रॉय की पदोन्नति के संबंध में कॉलेजियम का प्रस्ताव 28 अगस्त, 2019 को किया गया था। केंद्र ने 18 सितंबर, 2019 को उनकी नियुक्तियों को अधिसूचित किया था।
जस्टिस बीआर गवई,जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस एएस बोपन्ना की नियुक्ति कॉलेजियम प्रस्ताव के 13 दिन बाद की गई
कॉलेजियम ने 9 मई, 2019 को पारित अपने प्रस्ताव में जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत की पदोन्नति की सिफारिश की थी। उसी दिन, कॉलेजियम ने जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस एएस बोपन्ना की पदोन्नति के लिए किए गए पहले के प्रस्तावों को दोहराया गया। ( (केंद्र ने परस्पर वरिष्ठता के बारे में चिंताओं का हवाला देते हुए इन प्रस्तावों को वापस कर दिया था।) इन चारों नामों को केंद्र ने 22 मई, 2019 को जारी नोटिफिकेशन से मंजूरी दी थी।
जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस संजीव खन्ना की नियुक्तियां कॉलेजियम के प्रस्ताव के 6 दिन बाद की गईं
10 जनवरी, 2019 को कॉलेजियम की सिफारिश के बाद केंद्र ने 16 जनवरी, 2019 को सुप्रीम कोर्ट के जजों के रूप में उनकी नियुक्तियों को अधिसूचित किया।
जस्टिस हेमंत गुप्ता, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी, जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस अजय रस्तोगी की नियुक्ति कॉलेजियम प्रस्ताव के 2 दिन बाद की गई 30 अक्टूबर, 2018 को किए गए कॉलेजियम के प्रस्ताव के बाद केंद्र ने 1 नवंबर, 2018 को उनकी नियुक्तियों को अधिसूचित किया।
जस्टिस केएम जोसेफ की नियुक्ति
हाल के दिनों में केंद्र की ओर से सबसे विलंब से दी गई मंजूरी जस्टिस केएम जोसेफ की नियुक्ति के प्रस्ताव के संबंध में की गई। कॉलेजियम के प्रस्ताव के करीब सात महीने बाद उनकी नियुक्ति की अधिसूचना जारी की गई, वह भी काफी ड्रामे और विवाद के बाद।
उनकी सिफारिश को कॉलेजियम ने 11 जनवरी, 2018 को जस्टिस इंदु मल्होत्रा के नाम के साथ आगे बढ़ाया था। तीन महीने से अधिक समय तक सिफारिश को रोके रहने के बाद, केंद्र ने अप्रैल 2018 में जस्टिस मल्होत्रा की नियुक्ति को मंजूरी देते हुए जस्टिस जोसेफ का नाम वापस कर दिया। इसके कारण बार से बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुआ।
धारणा यह थी कि केंद्र जस्टिस जोसेफ की नियुक्ति को रोक रहा है क्योंकि उन्होंने सरकार के खिलाफ दिशा-निर्देश पारित किए थे। जुलाई 2018 में कॉलेजियम ने जस्टिस जोसेफ को पदोन्नत करने के अपने प्रस्ताव को दोहराया। करीब एक महीने बाद केंद्र ने प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया। लेकिन केंद्र द्वारा जारी किए गए नियुक्ति के आदेश ने जस्टिस जोसेफ को अन्य दो पहले सिफारिश किए जा चुके जजों से नीचे रखा, जिससे वरिष्ठता बाधित हुई।