'भर्ती प्रक्रिया से पहले टैटू हटा देना चाहिए': गुजरात हाईकोर्ट ने बीएसएफ उम्मीदवार की याचिका खारिज की

Avanish Pathak

20 Dec 2022 2:12 PM GMT

  • भर्ती प्रक्रिया से पहले टैटू हटा देना चाहिए: गुजरात हाईकोर्ट ने बीएसएफ उम्मीदवार की याचिका खारिज की

    Gujarat High Court

    गुजरात हाईकोर्ट ने हाल ही में बीएसएफ में कांस्टेबल स्टोर कीपर पर नहीं चुने गए एक उम्मीदवार की याचिका को खारिज कर दिया। उसे मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर चयनित नहीं किया गया था। उसने अपने दाहिने हाथ की कलाई पर टैटू बनवा रखा था, जिसमें अंग्रेजी के एम अक्षर के साथ दिल और तीर के चिन्ह बनाए गए थे। उसने कोर्ट में याचिका दायर कर उक्त मेडिकल रिपोर्ट को रद्द करने की मांग की थी।

    याचिकाकर्ता ने जुलाई में इस पद के लिए आवेदन किया था और सभी परीक्षाओं में सफल रहा था। इसके बाद उसे 17 नवंबर को 'मेडिकल जांच' के लिए बुलाया गया, जहां टैटू को देखते हुए उसे 'अनफिट' घोषित कर दिया गया। टैटू हटाने के बाद, वह 'रिव्यू मेडिकल एक्जामिनेशन' के लिए पेश हुआ , लेकिन उसे फिर से अनफिट घोषित कर दिया गया।

    उसने 'मेडिकल टेस्ट' में 'फिट' घोषित करने के लिए इस आधार पर परमादेश जारी करने की प्रार्थना की कि वह पहले ही टैटू हटाने की प्रक्रिया से गुजर चुका था। यह तर्क दिया गया कि ग्रामीण होने के नाते, शरीर पर टैटू बनवाना प्रथागत और पारंपरिक था। चूंकि टैटू का आकार केवल 2 या 3 सेंटीमीटर था, उसने तर्क दिया कि उसके मामले पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए।

    जस्टिस एएस सुपेहिया ने पद के विज्ञापन का हवाला देकर याचिकाकर्ता के दावे को खारिज करते हुए कहा,

    "याचिकाकर्ता ने भर्ती प्रक्रिया से पहले ही टैटू बनवा रखा था। रीव्यू एग्जामिनेशन बोर्ड बोर्ड के अनुसार, टैटू याचिकाकर्ता के दाहिने हाथ की कलाई पर पाया गया था, और उसे अयोग्य घोषित कर दिया गया।

    टैटू को भर्ती प्रक्रिया से पहले हटा दिया जाना चाहिए था और यह काफी हद तक फीका पड़ जाना चाहिए था। इस प्रकार, याचिकाकर्ता अपने टैटू को हटाने के बाद भी अनुशासित बल में नियुक्ति का दावा नहीं कर सकता है।"

    कोर्ट ने ने विस्तृत विज्ञापन में गृह मंत्रालय (महानिदेशालय सीमा सुरक्षा बल) द्वारा प्रकाशित मानदंडों का उल्लेख किया, जिसके अनुसार उम्मीदवार के मामले में जो "भर्ती प्रक्रिया में उपस्थित होने से पहले" टैटू हटाने की प्रक्रिया से गुजर चुका है, इसे निशान के रूप में माना जाएगा न कि टैटू के रूप में, बशर्ते कि यह काफी हद तक फीका पड़ गया हो।

    न्यायालय ने कहा कि केवल ऐसे मामलों में ही उम्मीदवार को भर्ती बोर्ड के पीठासीन अधिकारी के अनुमोदन से पूरी चयन प्रक्रिया से गुजरने की अनुमति दी जा सकती है।

    कोर्ट ने फैसले में कहा,

    "उम्मीदवार को भर्ती प्रक्रिया में भाग लेने से पहले टैटू को हटाने की प्रक्रिया से गुजरना चाहिए, जिसके परिणामस्वरूप यह काफी हद तक फीका पड़ जाता और इस तरह के टैटू को हटाने के बाद एक निशान माना जा सकता था न कि टैटू। याचिकाकर्ता विज्ञापन में परिकल्पित शर्तों के विपरीत उपरोक्त पद पर नियुक्ति का दावा नहीं कर सकता है।"

    केस टाइटल: महेंद्र चावला बनाम यूनियन ऑफ इंडिया

    साइटेशन: R/Special Civil Application No. 24720 of 2022

    कोरम : जस्टिस एएस सुपेहिया

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