जब मामला सभी कानूनी मानकों पर सत्यापित हो चुका हो तो विवाह की छोटी अवधि पति या पत्नी द्वारा किए जाने वाले अंगदान को अस्वीकार करने का आधार नहीं : पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट

LiveLaw News Network

15 April 2022 8:51 AM GMT

  • जब मामला सभी कानूनी मानकों पर सत्यापित हो चुका हो तो विवाह की छोटी अवधि पति या पत्नी द्वारा किए जाने वाले अंगदान को अस्वीकार करने का आधार नहीं : पंजाब एंड  हरियाणा हाईकोर्ट

    Punjab & Haryana High court

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने माना है कि विवाह की अवधि पति या पत्नी में से किसी एक द्वारा अन्य पति या पत्नी के पक्ष में गुर्दा दान करने की इच्छा को नामंजूर करने का आधार नहीं है, खासकर जब मामले को सभी कानूनी मानकों पर सत्यापित किया गया हो।

    कोर्ट ने परमादेश की प्रकृति में एक उपयुक्त रिट जारी करने की मांग करते हुए दायर एक रिट याचिका पर विचार करते हुए यह अवलोकन किया है, जिसमें प्रतिवादी को यह निर्देश देने की मांग की गई है कि याचिकाकर्ता-पत्नी से बिना किसी और देरी के अंग प्राप्त करके याचिकाकर्ता के पति के गुर्दे के प्रत्यारोपण की सर्जरी की जाए।

    जस्टिस राज मोहन सिंह की पीठ ने कहा कि शादी की अवधि, याचिकाकर्ता की अपने पति की जान बचाने के लिए किडनी दान करने की इच्छा को खारिज करने का आधार नहीं है।

    इस मामले में प्राधिकरण समिति ने याचिकाकर्ता के पति को स्वयं याचिकाकर्ता से अंग प्राप्त करके गुर्दा/किडनी प्रत्यारोपण करवाने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है। याचिकाकर्ता-पत्नी ने प्रतिवादी नंबर 2 द्वारा सुझाए गए सभी चिकित्सा जांच करवा ली हैं, जिसमें उसके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति का सत्यापन भी शामिल है। सभी जांच में, प्रतिवादी नंबर 2 द्वारा यह पाया गया है कि वह अपने पति के जीवन को बचाने के लिए अपनी किडनी दान करने के लिए पर्याप्त रूप से फिट है।

    उसके पति की जिंदगी गंभीर बनी हुई है। याचिकाकर्ता के मामले को प्रतिवादी नंबर 2-अस्पताल द्वारा गुर्दा प्रत्यारोपण के प्राधिकरण के लिए गठित एक सक्षम प्राधिकारी के समक्ष रखा गया था, परंतु उनके मामले को याचिकाकर्ता और प्राप्तकर्ता के बीच विवाह की अवधि कम होने के आधार पर खारिज कर दिया गया है।

    प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, अदालत ने कहा कि नियमों की आवश्यकता के अनुसार याचिकाकर्ता की पहचान और सहमति को प्रतिवादियों द्वारा पहले ही सत्यापित किया जा चुका है।

    यह सच है कि याचिकाकर्ता के पति की हालत बहुत गंभीर है, जो लंबे समय से दिन-प्रतिदिन डायलिसिस पर है। मानव अंग प्रत्यारोपण नियम, 2014 के रूल 22 के तहत आवश्यक याचिकाकर्ता की पहचान और सहमति को प्रतिवादियों द्वारा पहले ही सत्यापित किया जा चुका है। दान करने वाले के माता-पिता या किसी अन्य भाई-बहन की सहमति की आवश्यकता नहीं है...

    कोर्ट ने आगे कहा कि इस मामले में कोई लालच नहीं है और न ही याचिकाकर्ता पर अपनी किडनी दान करने के लिए किसी तरह का दबाव डाला गया है और पुलिस ने इसकी पुष्टि की है। याचिकाकर्ता इस मामले में प्राप्तकर्ता की कानूनी रूप से विवाहित पत्नी है। तस्करी और वाणिज्यिक प्रथाओं को रोकने के लिए विभिन्न वैधानिक प्रावधान किए गए हैं, लेकिन तत्काल मामले में कोई कदाचार, लालच या दबाव दिखाने के लिए रिकॉर्ड पर कुछ भी नहीं है।

    तस्करी और कमर्शियल प्रैक्टिस को रोकने के लिए वैधानिक प्रावधानों को प्रख्यापित किया गया है। किसी भी प्रकार के शोषण को रोकने के लिए हर सावधानी/एहतियात बरती जानी चाहिए। याचिकाकर्ता कानूनी रूप से प्राप्तकर्ता की विवाहित पत्नी है। याचिकाकर्ता पर किसी कदाचार या लालच या दबाव के किसी तत्व को इंगित करने के लिए रिकॉर्ड पर कोई सामग्री नहीं है। याचिकाकर्ता के पति की हालत बेहद गंभीर है।

    यह कहते हुए कि याचिकाकर्ता और उसका पति विदेशी नागरिक नहीं हैं, अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा अपने पति को एक किडनी दान करने पर कोई कानूनी रोक नहीं है। जहां तक प्राधिकरण समिति के मामले की अस्वीकृति का संबंध है, तो अदालत ने माना कि यह निर्णय याचिकाकर्ता और प्राप्तकर्ता के बीच विवाह की छोटी अवधि के आधार पर किया गया था, लेकिन यह पति या पत्नी द्वारा एक-दूसरे को गुर्दा दान करने की इच्छा को नामंजूर करने का आधार नहीं है।

    बेशक, याचिकाकर्ता और उनके पति विदेशी नागरिक नहीं हैं। प्राधिकरण समिति ने केवल शादी की कम अवधि के कारण गुर्दा प्रत्यारोपण के लिए याचिकाकर्ता के मामले को खारिज कर दिया है। जाहिर है, शादी की अवधि पति या पत्नी द्वारा दूसरे पति या पत्नी के पक्ष में गुर्दा दान करने की इच्छा को त्यागने का आधार नहीं है, खासकर जब याचिकाकर्ता के मामले को सभी कानूनी मानकों पर सत्यापित किया गया हो। विवाह पहले ही विवाह रजिस्ट्रार के पास पंजीकृत हो चुका है और इस कपल के पक्ष में विवाह प्रमाणपत्र विधिवत जारी किया जा चुका है।

    ऊपर वर्णित कारणों और तथ्यों व परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, सक्षम प्राधिकारी को यह निर्देश दिया गया है कि वह आवेदन पर निर्णायक रूप से अपना निर्णय दें और जल्द से जल्द उनको प्रत्यारोपण की अनुमति प्रदान करें।

    केस का शीर्षक- मनप्रीत कौर बनाम पंजाब राज्य व अन्य

    आदेश पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें



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