शादी के कथित झूठे वादे पर सेक्स करने का मामलाः ''दोनों बालिग हैं, लड़के पर सारा दोष ड़ालना उचित नहीं होगा'' हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने आरोपी को जमानत दी

LiveLaw News Network

29 Nov 2020 12:33 PM GMT

  • शादी के कथित झूठे वादे पर सेक्स करने का मामलाः दोनों बालिग हैं, लड़के पर सारा दोष ड़ालना उचित नहीं होगा हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने आरोपी को जमानत दी

    हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने बुधवार (25 नवंबर) को एक ऐसे शख्स को जमानत दे दी है, जिसने मुस्लिम होने के बावजूद कथित तौर पर अपने आप को हिंदू बताते हुए एक महिला से ''शादी का वादा करके उससे संबंध स्थापित किए और बाद में वह अपने वादे से मुकर गया।''

    न्यायमूर्ति अनूप चितकारा की खंडपीठ ने इस मामले में उस याचिकाकर्ता को जमानत दे दी है,जिसके खिलाफ महिला पुलिस स्टेशन, ऊना, जिला ऊना, हिमाचल प्रदेश में भारतीय दंड संहिता, 1860, (आईपीसी) की धारा 376, 506, 419, 201 सहपठित धारा 34 के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी और इसी मामले में उसे गिरफ्तार किया गया था।

    याचिकाकर्ता के खिलाफ मामला

    याचिकाकर्ता पर आरोप है कि उसने महिला को अपना नाम विक्की शर्मा बताया था, जो वास्तव में मुस्लिम था और उसका असली नाम अब्दुल रहमान था।

    कथित तौर पर, अपनी पहचान छुपाते हुए, याचिकाकर्ता अब्दुल रहमान उर्फ विक्की शर्मा उसको बहलाता रहा और उसे उज्ज्वल भविष्य के सपने दिखाता रहा।

    पीड़िता ने बताया कि वह उसके जाल में फंस गई और उसने उससे शादी करने का वादा किया और इसी वादे के बहाने उसने कई मौकों पर उसके साथ सहवास किया।

    कथित पीड़िता ने अब्दुल रहमान को 1,20,000 रुपये भी दिए थे। इसके अलावा, पीड़िता ने उसे 10,000 रुपये, 5,000 रुपये और 50,000 रुपये भी दिए थे।

    उसकी वास्तविकता (एक दोस्त के माध्यम से) पता चलने पर, कथित पीड़िता दंग रह गई। अपने संदेह को सत्यापित करने के लिए वह तलवाड़ा स्थित अब्दुल रहमान के घर भी गई और उसके परिवार के सदस्यों को सब कुछ बताया। अब्दुल रहमान के परिजनों और उसकी बहनों ने उसकी शादी अब्दुल रहमान से करवाने से इनकार कर दिया। उनका कहना था कि पीड़िता अनुसूचित जाति समुदाय से हैै,इसलिए उसकी शादी अब्दुल रहमान से नहीं हो सकती है। इस बीच, अब्दुल रहमान घर पहुंचा गया और उससे गाली-गलौच किया। वह उसे एक कमरे में गया और उससे मारपीट भी की।

    काफी प्रयास के बाद, उसने खुद को अब्दुल रहमान के चंगुल से बचाया। जिसके बाद अब्दुल ने उसे चेतावनी भी दी कि यदि वह फिर उसके घर पर आई तो वह उस पर तेजाब फेंक देगा।

    कोर्ट का आदेश

    न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि,

    ''पीड़िता की उम्र 21 वर्ष है। वह बारहवीं पास करने के बाद कोर्स कर रही थी। शिकायत में ऐसा कुछ नहीं कहा गया है कि याचिकाकर्ता ने शादी के प्रस्ताव को आगे बढ़ाने के लिए पीड़िता के परिवार और उसके माता-पिता को भी शामिल किया था। याचिकाकर्ता के बजाय वह खुद आरोपी के घर पहुंच गई थी।''

    न्यायालय ने आगे कहा,

    ''जहां तक पीड़िता द्वारा कार खरीदने के लिए आरोपी को पैसे सौंपने के आरोपों का संबंध है, पीड़िता उस स्रोत के बारे में नहीं बता पाई,जहां से उसने इतनी बड़ी राशि प्राप्त की और ऐसा भी कुछ नहीं बताया गया है कि वह एक कामकाजी लड़की थी। दोनों लड़का और लड़की उस समय वयस्क हो गए थे जब पहली बार, उन्होंने सहवास की स्थापना की थी। वे जानते थे कि वे क्या कर रहे हैं। इस समय, जमानत के उद्देश्य से, लड़के पर पूरा दोष डालना,उसे बहुत ज्यादा खींचने के समान होगा।''

    याचिकाकर्ता द्वारा पहचान छुपाने और पीड़िता को फुसलाने के संबंध में लगाए गए आरोपों के बारे में, अदालत ने कहा कि इस तथ्य को ''मुकदमे की सुनवाई के दौरान स्थापित करने की आवश्यकता होगी और याचिकाकर्ता को केवल इन अप्रमाणित आरोपों के आधार पर जेल में रखना अन्याय होगा।''

    अंत में, अदालत ने कहा कि पूरे साक्ष्य का विश्लेषण करने के बाद आरोपी को आगे जेल में रखना सही नहीं होगा और न ही इससे कोई महत्वपूर्ण उद्देश्य प्राप्त होने वाला है।

    मामले की मैरिट, जांच के चरण और जेल में बिताए गए दिनों की अवधि पर कोई टिप्पणी किए बिना, अदालत ने कहा कि ''जमानत देने के लिए मामला बनता है।''

    जमानत की शर्त के रूप में, याचिकाकर्ता को निर्देशित किया गया है कि-

    - वह पीड़िता को फिलिकल तौर पर या फोन या सोशल मीडिया के जरिए न तो काॅल करें,न मैसेज,न उससे संपर्क करे,न कोई टिप्पणी, न ही उसका पीछा करें और न ही उसे कोई इशारा करें। न ही उसके घर के आसपास घूमता नजर आए। याचिकाकर्ता किसी भी तरीके से पीड़िता से कोई संपर्क न करें।

    - याचिकाकर्ता आज से 30 दिनों के भीतर संबंधित प्राधिकारी के पास सभी आग्नेयास्त्रों का आत्मसमर्पण कर दे, यदि उसके पास कोई शस्त्र लाइसेंस है तो वह भी जमा करा दिया जाए। हालाँकि, भारतीय शस्त्र अधिनियम, 1959 के प्रावधानों के अधीन, याचिकाकर्ता अगर इस मामले में बरी हो जाता है तो वह उसका नवीनीकरण कराने और उसे वापस लेने का हकदार होगा।

    यह ध्यान दिया जा सकता है कि 16 वर्षीय लड़की से बलात्कार के आरोपी 21 वर्षीय व्यक्ति को जमानत देते समय, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने गुरुवार (12 नवंबर) को टिप्पणी करते हुए कहा था कि,

    ''जल स्रोत से पानी लाने के बहाने स्वेच्छा से अपने घर छोड़ने वाली पीड़िता के आचरण को देखते हुए और इस तथ्य को भी ध्यान में रखते हुए कि आरोपी भी अविवाहित है, रोमांटिक संबंधों में गलतफहमी होने की पूरी संभावना है।''

    न्यायमूर्ति अनूप चितकारा की खंडपीठ 21 वर्षीय एक आरोपी की नियमित जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी। जिसने आरोप लगाया था कि लड़की के परिवार ने उनका प्रेम संबंध तुड़वाने के लिए उसके खिलाफ जबरन झूठी शिकायत दर्ज करवाई है।

    केस का शीर्षक - अब्दुल रहमान बनाम हिमाचल प्रदेश राज्य, सीआर.एमपी (एम) नंबर 2064/2020

    ऑर्डर डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें



    Next Story