'एडहॉक जज के रूप में सेवा को हाईकोर्ट जज के रूप में पदोन्नति के लिए नहीं गिना जा सकता': सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश के न्यायिक अधिकारियों की याचिका खारिज की

Avanish Pathak

24 Feb 2023 7:36 AM IST

  • एडहॉक जज के रूप में सेवा को हाईकोर्ट जज के रूप में पदोन्नति के लिए नहीं गिना जा सकता: सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश के न्यायिक अधिकारियों की याचिका खारिज की

    सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को आंध्र प्रदेश के नौ न्यायिक अधिकारियों की ओर से दायर रिट याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने मांग की थी कि आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट को निर्देश दिया जाए के उन्हें जजों के रूप में पदोन्नति के लिए विचार करने का निर्देश दिया जाए।

    विचारार्थ पात्र न्यायिक अधिकारियों की हाईकोर्ट द्वारा तैयार की गई वरिष्ठता सूची में याचिकाकर्ताओं का नाम इस आधार पर शामिल नहीं था कि उन्होंने न्यायिक अधिकारी के रूप में दस वर्ष की सेवा पूरी नहीं की थी, जो कि अनुच्छेद 217(2)(ए) के तहत आवश्यक है।

    याचिकाकर्ताओं के अनुसार, यदि फास्ट ट्रैक अदालतों में तदर्थ न्यायाधीशों के रूप में की गई उनकी सेवा को ध्यान में रखा जाता है, तो वे अनुच्छेद 217(2)(ए) के तहत पात्रता मानदंडों को पूरा करेंगे।

    उन्हें आंध्र प्रदेश स्टेट हाइअर जूडिशीएरी सर्विस स्पेशल रूल्स फॉर एडहॉक अपाइंटमेंट, 2001 के तहत 6 अक्टूबर, 2003 आदेश के तहत जिला एवं सत्र न्यायाधीश के कैडर में तदर्थ आधार पर फास्ट ट्रैक कोर्ट की अध्यक्षता के लिए नियुक्त किया गया था।

    उन्हें नियमित आधार पर आंध्र प्रदेश स्टेट हाइअर जूडिशीएरी सर्विस स्पेशल रूल्स फॉर एडहॉक अपाइंटमेंट, 2007 के तहत चयन प्रक्रिया के बाद 2 जुलाई, 2013 के आदेश के ज‌रिए जिला एवं सत्र न्यायाधीश संवर्ग में नियुक्त किया गया।

    हाईकोर्ट ने 5 जनवरी, 2022 को अधिसूचित वरिष्ठता सूची के अनुसार, याचिकाकर्ता पदोन्नति के लिए पात्र नहीं थे।

    जस्टिस अजय रस्तोगी और ज‌स्टिस बेला त्रिवेदी की खंडपीठ ने याचिकाकर्ताओं के दावे को स्वीकार करने से इनकार कर दिया। पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने इससे पहले 2019 में वरिष्ठता सूची से असंतुष्ट होकर हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर की थी। उस रिट याचिका में यह निर्णय लिया गया था कि तदर्थ जजों के रूप में याचिकाकर्ताओं की सेवा को केवल पेंशन और अन्य सेवानिवृत्ति लाभों के लिए गिना जा सकता है, न कि वरिष्ठता के लिए।

    कोर्ट ने 2019 में याचिकाकर्ताओं के खिलाफ फैसला सुनाया था- "जब अपीलकर्ताओं को आंध्र प्रदेश न्यायिक सेवा में किसी भी नियमित पद पर नियुक्त नहीं किया गया था तब अपीलकर्ता फास्ट ट्रैक कोर्ट की अध्यक्षता के लिए की गई तदर्थ नियुक्तियों के आधार पर वरिष्ठता का दावा नहीं कर सकते।"(कुम सी. यामिनी बनाम आंध्र प्रदेश राज्य और अन्य, सिविल अपील नंबर 6296/2019, 14 अगस्त, 2019)

    उस मिसाल के मद्देनजर पीठ ने याचिकाकर्ताओं के मौजूदा दावे को भी खारिज कर दिया।

    पीठ ने या‌चिका खारिज करते हुए कहा,

    "यह कोर्ट याचिकाकर्ताओं की फास्ट ट्रैक कोर्ट के जज के रूप में दी गई सेवाओं को पेंशन और अन्य सेवानिवृत्ति लाभों को छोड़कर, वरिष्ठता के लिए मान्यता नहीं देती है। उक्त फैसले के आलोक में याचिका कानूनी रूप से टिकाऊ नहीं है।"

    केस टाइटल: सी यामिनी और अन्य बनाम आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट अमरावती और अन्य

    साइटेशन: 2023 लाइवलॉ (एससी) 130

    फैसला पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

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