आईपीसी की धारा 294 | डॉक्टर का कंसल्टिंग रूम 'पब्लिक प्लेस' नहीं: केरल हाईकोर्ट ने बाल रोग विशेषज्ञ के खिलाफ मामला खारिज किया

Shahadat

24 Dec 2022 6:49 AM GMT

  • आईपीसी की धारा 294 | डॉक्टर का कंसल्टिंग रूम पब्लिक प्लेस नहीं: केरल हाईकोर्ट ने बाल रोग विशेषज्ञ के खिलाफ मामला खारिज किया

    केरल हाईकोर्ट ने मंगलवार को डॉक्टर के खिलाफ उत्पीड़न का मामला खारिज करते हुए कहा कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 294 (बी) के संदर्भ में अस्पताल में डॉक्टर का कंसल्टिंग रूम 'पब्लिक प्लेस' नहीं है।

    पुलिस ने डॉक्टर पर आईपीसी की धारा 294 (बी) और धारा 354 ए के तहत मामला दर्ज किया था।

    जस्टिस कौसर एडप्पागथ ने कहा कि आईपीसी की धारा 294 (बी) तब आकर्षित होती है जब अपराधी किसी पब्लिक प्लेस पर या उसके आस-पास कोई अश्लील गीत या शब्द गाता है, सुनाता है या उच्चारण करता है, जिससे दूसरों को चिढ़ होती है।

    अदालत ने कहा,

    "अगर कृत्य अश्लील नहीं है, या किसी पब्लिक प्लेस पर नहीं किया गया, या गाया या सुनाया गया गीत किसी पब्लिक प्लेस पर या उसके आस-पास नहीं है या इससे दूसरों को कोई परेशानी नहीं होती है, तो कोई अपराध नहीं होता।"

    कोर्ट ने आगे कहा कि घटना की जगह अस्पताल में डॉक्टर का कंसल्टिंग रूम था।

    अदालत ने कहा,

    "इसे कभी भी सार्वजनिक स्थान या सार्वजनिक स्थान के पास नहीं कहा जा सकता है। इसके अलावा, आईपीसी की धारा 294 (बी) को आकर्षित करने के लिए अश्लीलता की परिभाषा के तहत बोले गए शब्द इसके श्रोताओं के मन में यौन अशुद्ध विचारों को जगाने में सक्षम होने चाहिए। [देखें संगीता लक्ष्मण बनाम केरल राज्य (2008 (2) केएलटी 745)]। अभियोजन पक्ष के लिए कोई मामला नहीं है कि याचिकाकर्ता द्वारा कथित रूप से कहे गए शब्दों ने श्रोताओं के मन में यौन अशुद्ध विचारों को जगाया। इन परिस्थितियों में मेरा विचार है कि आईपीसी की धारा 294 (बी) के मूल तत्व आकर्षित नहीं होते।"

    अदालत ने आगे कहा कि प्रथम सूचना वक्तव्य को पढ़ने से पता चलता है कि आईपीसी की धारा 354ए की कोई भी सामग्री आकर्षित नहीं होती।

    निचली अदालत के समक्ष लंबित कार्यवाही रद्द करते हुए पीठ ने कहा,

    ''इसलिए याचिकाकर्ता के खिलाफ आगे कार्यवाही करने से कोई उद्देश्य पूरा नहीं होगा।''

    टीएम अस्पताल में प्रैक्टिस करने वाले बाल रोग विशेषज्ञ के खिलाफ 2017 में मामला दर्ज किया गया था।

    शिकायतकर्ता का बच्चा डॉक्टर का मरीज था। जून, 2017 में महिला अपने बच्चे को इलाज के लिए अस्पताल ले गई। उसने आरोप लगाया कि डॉक्टर ने बच्चे का इलाज करते हुए "उंगली से अश्लील हरकत दिखाकर और उसके खिलाफ अश्लील शब्द बोलकर" उसके साथ दुर्व्यवहार किया।

    शिकायतकर्ता द्वारा दिए गए बयान के अनुसार, अस्पताल में खतना के लगभग सप्ताह बाद बच्चे से खून बह रहा था। जब डॉक्टर कंसल्टिंग रूम में बच्चे की जांच कर रहे थे तो वह कथित तौर पर गुस्से में आ गया और "बच्चे के पेशाब करने पर" उसके खिलाफ "अपमानजनक शब्दों की बौछार" की।

    डॉक्टर की ओर से उपस्थित हुए एडवोकेट सी.पी. उदयभानु और नवनीत एन. नाथ ने पहले तर्क दिया कि भले ही एफआईएस में पूरे आरोप और जांच के दौरान एकत्र की गई सामग्री को पूरी तरह से माना जाए, फिर भी आईपीसी की धारा 294 (बी) और 354 ए के तहत कोई अपराध नहीं किया जा सकता है।

    लोक अभियोजक संगीता राज उत्तरदाताओं की ओर से पेश हुए।

    केस टाइटल: डॉ. के.के. रामचंद्रन बनाम पुलिस सब-इंस्पेक्टर और अन्य।

    साइटेशन: लाइवलॉ (केरल) 668/2022

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