केवल वाहनों पर राजनीतिक दल के झंडे और प्रतीक प्रदर्शित करने पर आईपीसी की धारा 171H लागू नहीं की जा सकती: कर्नाटक हाईकोर्ट

LiveLaw News Network

30 Nov 2021 2:15 AM GMT

  • केवल वाहनों पर राजनीतिक दल के झंडे और प्रतीक प्रदर्शित करने पर आईपीसी की धारा 171H लागू नहीं की जा सकती: कर्नाटक हाईकोर्ट

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने हाल ही में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी से जुड़े तीन व्यक्तियों के खिलाफ शुरू की गई आपराधिक कार्यवाही को यह कहते हुए रद्द कर दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 171H जो एक चुनाव के संबंध में अवैध भुगतान से संबंधित है, उसे तब लागू नहीं किया जा सकता जब केवल किसी ने अपने वाहन पर पार्टी के झंडे और प्रतीक का प्रदर्शन किया।

    कलबुर्गी बेंच में बैठे जस्टिस एचपी संदेश ने कहा,

    "मामले में याचिकाकर्ताओं के खिलाफ आरोप यह है कि वे अपने वाहनों में राजनीतिक दल के झंडे लगाकर आए थे और चुनाव के संबंध में अवैध भुगतान के संबंध में कोई आरोप शिकायत में नहीं पाए गए। परिस्थितियों में उनके खिलाफ कार्यवाही की शुरुआत कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग है।"

    चुनाव ड्यूटी के लिए प्रतिनियुक्त बसवराज द्वारा दायर शिकायत के अनुसार, यह आरोप लगाया गया कि मुद्देबिहाल विधानसभा क्षेत्र में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से संबंधित एक उम्मीदवार 2018 के विधानसभा चुनाव के दौरान नामांकन पत्र दाखिल करने के लिए तहसीलदार कार्यालय आया था। कुछ वाहन उनके साथ भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रतीक और झंडे वाले स्टिकर प्रदर्शित कर रहे थे।

    शिकायतकर्ता ने अपनी टीम के साथ उक्त वाहनों का निरीक्षण किया और देखा कि मोटरसाइकिल पर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के हथेली के चिन्ह वाले स्टिकर प्रदर्शित किए गए और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के झंडे बोलेरो वाहन और टाटा ऐस वाहन से बंधे थे। इसके तहत याचिकाकर्ताओं पर चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन करने की बात कही गई।

    उत्तरदाताओं ने कर्नाटक ओपन प्लेसेस एक्ट, 1981 और आईपीसी की धारा 171H का हवाला दिया।

    याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता राजेश जी डोड्डमनी ने कहा कि उक्त अधिनियम मुदेबिहाल निर्वाचन क्षेत्र पर लागू नहीं है और उक्त अधिनियम केवल विशेष स्थानों के संबंध में लागू है।

    भारत निर्वाचन आयोग द्वारा दिनांक 02.05.2018 को जारी अधिसूचना पर भरोसा करते हुए अभियोजन पक्ष द्वारा याचिका का विरोध किया गया था। इसमें यह स्पष्ट किया गया कि जनप्रतिनिधि अधिनियम, 1951 की धारा 126 (1) (बी) के अनुसार, किसी विशेष पार्टी के किसी भी स्टिकर और झंडे को प्रदर्शित करना।

    जांच - परिणाम:

    कर्नाटक ओपन प्लेस अधिनियम के माध्यम से जाने पर पीठ ने कहा कि अधिनियम की धारा 1(2) (i) को पढ़ने से यह स्पष्ट हो जाता है कि यह अधिनियम बैंगलोर, मैसूरहुबली-धारवाड़, मैंगलोर और बेलगाम जैसे शहरों के लिए लागू है। मई, 1981 के पांचवें दिन कर्नाटक नगर निगम अधिनियम, 1976 या किसी अन्य कानून के तहत गठित या जारी रहे।

    इसके अलावा, यह कहा गया कि अधिनियम की धारा (1)(2) (ii) कहती है कि यह नगरपालिकाओं, अधिसूचित क्षेत्रों, स्वच्छता बोर्डों में लागू होता है, जो कर्नाटक नगर पालिका अधिनियम, 1964 या किसी अन्य कानून के तहत गठित या जारी है। ऐसी तारीख को, जो राज्य सरकार अधिसूचना द्वारा नियत करे और विभिन्न क्षेत्रों के संबंध में अलग-अलग तिथियां नियत की जा सकती हैं।

    यह देखा गया,

    "लेकिन मुद्देबिहाल के संबंध में ऐसी कोई अधिसूचना जारी नहीं की गई। जब मामले के तथ्य और परिस्थितियाँ ऐसी हों, जब तक कि अधिनियम किसी विशेष शहर और नगरपालिका क्षेत्र पर लागू न हो, उक्त अधिनियम के तहत कानूनी कार्यवाही की शुरुआत अस्थिर है।"

    आईपीसी की धारा 171H (चुनाव के संबंध में अवैध भुगतान) के आवेदन के संबंध में अदालत ने कहा,

    "आईपीसी की धारा 171H एक चुनाव के संबंध में अवैध भुगतान से संबंधित है। लेकिन, मामले में याचिकाकर्ताओं के खिलाफ आरोप है कि वे एक राजनीतिक दल के झंडे के साथ वाहनों में आए थे और चुनाव के संबंध में अवैध भुगतान के संबंध में कोई आरोप शिकायत में नहीं पाए जाते हैं।"

    इस प्रकार अदालत ने कहा,

    "शिकायत के साथ-साथ आरोप पत्र में लगाए गए आरोपों पर विचार करने के बाद यह आईपीसी की धारा 171H और अधिनियम की धारा तीन के तहत अपराध को आकर्षित नहीं करता है, क्योंकि कोई अधिसूचना नहीं है।"

    तदनुसार, इसने निचली अदालत के समक्ष लंबित कार्यवाही को रद्द कर दिया।

    केस शीर्षक: हनमगौड़ा बनाम कर्नाटक राज्य

    केस नंबर: आपराधिक याचिका संख्या 200377/2019

    आदेश की तिथि: 26 नवंबर, 2021।

    उपस्थिति: याचिकाकर्ता के लिए अधिवक्ता राजेश जी डोड्डमनी; प्रतिवादी की ओर से एडवोकेट गुरुराज वी हसिलकर।

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