पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट का निर्देश, स्कूल अभिभावकों से 70 फीसद फीस वसूलें और शिक्षकों को 70 फीसदी वेतन का भुगतान करें
LiveLaw News Network
25 May 2020 7:38 PM IST
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने सहायता रहित निजी स्कूलों को बड़ी राहत देते हुए छात्रों से 70 फीसदी स्कूल फीस लेने की अनुमति दी है। स्कूलों को शिक्षकों के 70 फीसदी वेतन का भुगतान करने के लिए भी कहा गया है।
कोर्ट ने यह अंतरिम निर्देश 14 मई को जारी किए गए एक मेमो के खिलाफ इंडिपेंडेंट स्कूल्स एसोसिएशन, चंडीगढ़ की ओर से दायर रिट याचिका पर दिया गया है। मेमो के तहत स्कूलों को, एक ओर, बिल्डिंग चार्ज, ट्रांसपोर्टेशन चार्ज और भोजन आदि के लिए शुल्क लेने से रोक दिया गया था, जबकि दूसरी ओर उन्हें शिक्षकों के वेतन में कटौती नहीं करने का निर्देश दिया गया था।
याचिकाकर्ता ने कहा था कि मेमो में "विरोधाभासी शर्तें" रखी गई हैं, यह देखते हुए कि एक ओर अभिभावकों को पूरी फीस जमा नहीं करने की छूट दी गई है और दूसरी ओर, स्कूलों को शिक्षकों के वेतन कम नहीं करने का निर्देश दिया गया है।
इन दलीलों के आधार पर जस्टिस रितु बाहरी की बेंच ने याचिकाकर्ता को अंतरिम राहत देते हुए आदेश दिया कि-
"वर्तमान परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, अंतरिम निर्देश दिया जा रहा है कि प्रवेश शुल्क, जिसे माता-पिता एक बार भुगतान करते हैं, छह-छह महीने के अंतर पर दो समान किस्तों में भुगतान करेंगे और उन्हें कुल स्कूल फीस का 70 फीसदी जमा करना होगा। साथ ही इस रिट पिटीशन के लंबित रहने तक शिक्षकों को 70 फीसदी वेतन का भुगतान किया जाएगा।"
याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि पंजाब स्कूल एजुकेशन बोर्ड ने एक "रिजर्व फंड" बनाया है, जिसमें सभी सहायता रहित निजी स्कूल पैसे जमा करते हैं; और फिलहाल यह राशि 77 करोड़ रुपए है। उन्होंने कहा कि, इसके बाद भी पंजाब सरकार ने स्कूलों की मदद नहीं की।
इसके मद्देनजर, पीठ ने राज्य सरकार के वकील को निर्देश दिए कि वे निर्देश प्राप्त करें कि "कैसे उत्तरदाता निजी स्कूलों को स्कूल भवनों को सैनिटाइज़ करने के लिए 'रिजर्व फंड' में जमा राशि से मदद कर सकते हैं।"
कोर्ट ने राज्य सरकार से याचिका में उठाए गए मुद्दों के संबंध में विस्तृत जवाब दाखिल करने को कहा है। इस मामले पर अगली सुनवाई 6 जून को होगी।
उत्तराखंड जैसे राज्यों में, हाईकोर्ट ने लॉकडाउन को देखते हुए, राज्य के सभी निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों को ट्यूशन फीस लेने से रोक दिया है। हाइकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि केवल वो छात्र, जो निजी शिक्षण संस्थानों द्वारा पेश किए जा रहे ऑनलाइन पाठ्यक्रम का उपयोग कर पा रहे हैं, उन्हें ही ट्यूशन फीस का भुगतान करने की आवश्यकता होगी। जो बच्चे ऑनलाइन पाठ्यक्रम का उपयोग नहीं कर पा रहे हैं, उन्हें ट्यूशन फीसी जमा करने के लिए नहीं कहा जा सकता है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि ट्यूशन फीस वसूलना उचित है क्योंकि स्कूल ऑनलाइन कक्षाएं ले रहे हैं, अध्ययन सामग्री दे रहे हैं और कर्मचारियों के वेतन का भुगतान भी कर रहे हैं।
मामले का विवरण:
केस टाइटल: इंडिपेंडेंट स्कूल्स एसोसिएशन चंडीगढ़ (पंजीकृत) और अन्य बनाम पंजाब राज्य और अन्य
केस नं: CWP No. 7409/2020
कोरम: जस्टिस रितु बाहरी
प्रतिनिधित्व: एडवोकेट आशीष चोपड़ा (याचिकाकर्ता के लिए); उप महाधिवक्ता अनु पाल (राज्य के लिए)
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