महामारी तक छात्रों से केवल 'ट्यूशन फीस' वसूल सकते हैं स्कूल, कर्मचारियों को देना होगा नियमित वेतनः मध्य प्रदेश हाईकोर्ट

LiveLaw News Network

6 Nov 2020 9:09 AM GMT

  • महामारी तक छात्रों से केवल ट्यूशन फीस वसूल सकते हैं स्कूल, कर्मचारियों को देना होगा नियमित वेतनः मध्य प्रदेश हाईकोर्ट

    अभिभावकों और स्कूल स्टाफ को राहत देते हुए, मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की जबलपुर बेंच ने गुरुवार (05 नवंबर) को कहा कि स्कूल महामारी के दौर में छात्रों से केवल ट्यूशन शुल्क ही वसूल सकते हैं।

    कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय यादव और न्यायमूर्ति राजीव कुमार दुबे की खंडपीठ ने यह भी आदेश दिया कि शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों का वेतन नियत तिथि पर नियमित रूप से भुगतान किया जाएगा।

    मामला

    प्रिंसिपल बेंच ने यह आदेश अदालत के समक्ष दायर 10 याचिकाओं पर दिया है, जिन्हें केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड और स्कूल शिक्षा विभाग, मध्य प्रदेश राज्य द्वारा 17.04.2020, 24.04.2020 और 16.05.2020 को जारी किए गए नोटिफिकेशनों के विरोध में दायर किया गया था। नोटिफिकेशन COVID 19 महामारी के मद्देनजर लागू किए गए लॉक-डाउन में निजी और गैर सहायता प्राप्त स्कूलों के माता-पिता को शुल्क के भुगतान संबंध में जारी किया गया था।

    वास्तव में, राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों से अनुरोध किया गया था कि वे महामारी की अवधि में शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों के लिए लागू वेतनों और स्कूल फीस के भुगतान की समय-सीमा के संबंध में उपयुक्त निर्देश जारी करें।

    इसके बाद, मध्य प्रदेश सरकार ने अपने स्कूल शिक्षा विभाग के माध्यम से विभिन्न निर्देश / परिपत्र जारी किए थे।

    मध्य प्रदेश सरकार द्वारा स्कूल शिक्षा विभाग के माध्यम से जारी निर्देशों के आधार पर, जिला मजिस्ट्रेट / कलेक्टरों ने संस्थानों को आदेश जारी करना शुरू कर दिया कि यदि शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों को पूरा वेतन नियमित रूप से भुगतान नहीं किया जाता है, तो कार्रवाई होगी और संबद्धता रद्द कर दी जाएगी।

    यह भी कहा गया कि चूंकि संस्थानों को स्कूल शिक्षा विभाग के माध्यम से मध्य प्रदेश राज्य द्वारा निर्देशित किया गया है ‌कि शुल्क न जमा होने के स्थिति में छात्रों को अटकाएं नहीं; इसलिए, अभिभावक फीस जमा नहीं कर रहे हैं।

    यह भी कहा गया कि चूंकि प्रबंधन को शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों के वेतन जैसे स्थापना व्यय का वहन करना पड़ता था, जिसे शिक्षण शुल्क, परिवहन शुल्क, मेस शुल्क, खेल शुल्क और वार्षिक शुल्क आदि के तहत प्राप्त शुल्क से भुगतान किया जाता है।

    तदनुसार, यह कहा गया था कि विभिन्न मदों के तहत फीस न प्राप्त करने की स्थिति में, संस्थान शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों को वेतन का भुगतान नहीं करेंगे, और परिवहन, मेस में लगे कर्मचारियों और अन्य सहायक स्टाफ को हटाने के लिए बाध्य हो जाएंग और ऋणों की किस्तों का भुगतान करने में सक्षम नहीं होंगे और अंततः संस्थान को बंद करने पर मजबूर हों जाएंगे।

    कोर्ट का आदेश

    न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि हितधारकों के बीच एक संतुलन बनाने के लिए, जिसमें छात्र / अभिभावक, शिक्षक और प्रबंधन / संस्थान शामिल हैं, हमारा मानना है कि,

    · गैर सहायता प्राप्त निजी संस्थान यह सुनिश्चित करेंगे कि भारत सरकार द्वारा "प्रज्ञाता" (डिजिटल शिक्षा के लिए दिशानिर्देश, एमएचआरडी 14.07.2020) के तहत विकसित डिजिटल / ऑनलाइन शिक्षा मंच को अपनाकर सभी श्रेणी के छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा/ सीखने से वंचित नहीं किया जाएगा।

    · चूंकि स्कूल वर्तमान में बंद हैं और कोई पाठ्येतर गतिविधियां नहीं हैं; हालांकि, शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों/ स्टाफ पर होने वाले खर्चों को पूरा किया जाना है और चूंकि ये निजी गैर-शैक्षणिक संस्थान सरकार से धन प्राप्त नहीं करते हैं और शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों के वेतन और अन्य दैनिक खर्च को पूरा करने के लिए पूरी तरह से फीस पर निर्भर हैं, 01.09.2020 के आदेश के अनुसार छात्रों/ अभिभावकों ‌को ट्यूशन शुल्क का भुगतान करना होगा जिसमें पुस्तकालय शुल्क, अध्ययन कक्ष शुल्क, खेल शुल्क, प्रयोगशाला शुल्क,कम्‍प्यूटर शुल्क, प्रैक्टिकल शुल्क, परीक्षा शुल्क (अगर परीक्षाएं आयोजित नहीं होती हैं) और राष्ट्रीय त्योहारों पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों, वार्षिक समारोह, खेल कार्यक्रमों और विकास शुल्क जैसे मदों के शुल्क नहीं लिए जाएंगे।

    · यद्यपि फीस और संबंधित मुद्दों को विनियमित करने के लिए जिला और राज्य समिति मौजूद है, जिसे मध्य प्रदेश निजी विद्यालय (फीस तथा संबंध‌ित विषयों के नियमन आदि) अधिनियम, 2017, (संक्षेप में, 'अधिनयम, 2017') की धारा 11 की उप-धारा (1) और धारा (7) की उप-धारा (1) के तहत गठित किया गया है, जिसका कार्य शुल्क में वृद्धि को विनियमित करना है। हालांकि, इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि विद्यालयों में संपूर्ण शारीरिक गतिविधियां रुकी हुई हैं और शिक्षण को वर्चुअल मोड में प्रदान किया जा रहा है; इसलिए, हम निर्देश देते हैं कि सत्र 2020-21 के लिए शुल्क में वृद्धि नहीं होगी, जब स्थिति सामान्य हो जाती है, जब सरकार यह घोषणा करती है कि महामारी समाप्त हो गई है और स्कूल सामान्य शारीरिक कार्यों पर लौट आए हैं, तो जिला समिति ऐसी घोषणा के तीस दिनों के भीतर, अधिनयम, 2017 की धारा 5 की उपधारा (2) में निहित शर्त के अनुसार शैक्षणिक सत्र 2020-21 की शेष अवधि के लिए फीस वृद्धि के संबंध में निर्णय लेगी।

    · शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों का वेतन नियत तिथि पर नियमित रूप से भुगतान किया जाएगा। यदि कम वेतन का भुगतान किया जाता है, तो कमी 20% से अधिक नहीं होगी और कमी के रूप में बकाया राशि का भुगतान छह मासिक समान किश्तों में सामान्य स्थिति की बहाली के बाद किया जाएगा।

    न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि यह दिशा-निर्देश अभूतपूर्व स्थिति में जारी किए गए हैं और महामारी तक जारी रहेंगे और इन्हें भविष्य में सामान्य स्थिति की बहाली के बाद इसे मिसाल नहीं माना जाएगा।

    केस - नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच और अन्य बनाम मध्य प्रदेश राज्य और अन्य और संबंध‌ित याचिकाएं

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