सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने न्यायमूर्ति मुरलीधर को उड़ीसा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में और तेलंगाना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के लिए जस्टिस हिमा कोहली के नाम की सिफारिश की

LiveLaw News Network

16 Dec 2020 12:49 PM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने न्यायमूर्ति मुरलीधर को उड़ीसा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में और तेलंगाना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के लिए जस्टिस हिमा कोहली के नाम की सिफारिश की

    सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने बुधवार को उड़ीसा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति मुरलीधर को नियुक्त करने की सिफारिश की है। इसके साथ ही कॉलेजियम ने तेलंगाना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में जस्टिस हिमा कोहली को नियुक्त करने की सिफारिश की।

    सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति एस मुरलीधर को उड़ीसा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने की सिफारिश की है। साथ ही कॉलेजियम ने दिल्ली हाईकोर्ट की न्यायाधीश न्यायमूर्ति हिमा कोहली को तेलंगाना हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने की भी सिफारिश की है।

    अन्य मुख्य न्यायाधीशों की नियुक्ति की सिफारिश भी इस प्रकार की गई,

    संजीब बनर्जी: मद्रास हाईकोर्ट

    पंकज मिथल: जम्मू और कश्मीर हाईकोर्ट

    सुधांशु धूलिया: गुवाहाटी हाईकोर्ट

    जस्टिस मुरलीधर के बारे में

    जस्टिस मुरलीधर ने अपनी लॉ प्रैक्टिस वर्ष 1984 में चेन्नई से शुरू की। तीन साल बाद, 1987 में वह सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाईकोर्ट में स्थानांतरित हो गए। वह सुप्रीम कोर्ट कानूनी सेवा समिति के वकील के रूप में सक्रिय थे और बाद में दो कार्यकालों के लिए इसके सदस्य बने।

    उन्हें पीआईएल के कई मामलों में और मृत्युदंड पर दोषियों से जुड़े मामलों में सुप्रीम कोर्ट द्वारा एमिकस क्यूरिया नियुक्त किया गया था। उनके निशुल्क कार्य में भोपाल गैस आपदा के पीड़ितों और नर्मदा पर बांध से विस्थापित लोगों के मामले शामिल थे। उन्होंने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और भारत निर्वाचन आयोग के लिए भी परामर्श दिया और विधि आयोग के अंशकालिक सदस्य रहे।

    मई 2006 में, उन्हें दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था। वर्ष 2003 में, उन्हें दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा पीएचडी से सम्मानित किया गया।

    दिल्ली हाईकोर्ट में न्यायाधीश के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान न्यायमूर्ति मुरलीधर ने न्यायाधीशों को "लॉर्डशिप" के रूप में संबोधित करने से रोका। वह कई महत्वपूर्ण बेंच का हिस्सा रहे हैं, जिसमें 2010 में पूर्ण पीठ शामिल है जिसने सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों के अपनी संपत्ति की जानकारी आरटीआई में घोषित करने के पक्ष में फैसला सुनाया था।

    वह हाईकोर्ट की खंडपीठ का एक हिस्सा थे, जिसने 2009 के नाज फाउंडेशन मामले में समलैंगिकता को वैध घोषित किया था।

    उन्होंने उस खंडपीठ का भी नेतृत्व किया जिसने हाशिमपुरा नरसंहार मामले में उत्तर प्रदेश प्रांतीय सशस्त्र कांस्टेबुलरी (PAC) के सदस्यों और 1984 के सिख विरोधी दंगों के मामले में कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को दोषी ठहराया था।

    उन्हें फरवरी 2020 में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में स्थानांतरित किया गया था।

    जस्टिस हिमा कोहली के बारे में

    जस्टिस हिमा कोहली ने बार काउंसिल ऑफ दिल्ली में एक वकील के रूप में दाखिला लिया।

    उन्हें 29 मई, 2006 को दिल्ली उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था और उन्होंने 29.08.2007 को स्थायी न्यायाधीश के रूप में शपथ ली।

    उन्हें 11.3.2020 से दिल्ली न्यायिक अकादमी की समिति के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था।

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