सेक्‍शन 406 सीआरपीसी | दूसरे राज्य में स्थानांतरित मामले में अपील स्थानांतरी राज्य के हाईकोर्ट के समक्ष होगी न कि स्‍थानांतरणकर्ता राज्य के हाईकोर्ट के समक्ष: इलाहाबाद हाईकोर्ट

LiveLaw News Network

22 Feb 2022 9:45 AM GMT

  • सेक्‍शन 406 सीआरपीसी | दूसरे राज्य में स्थानांतरित मामले में अपील स्थानांतरी राज्य के हाईकोर्ट के समक्ष होगी न कि स्‍थानांतरणकर्ता राज्य के हाईकोर्ट के समक्ष: इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना है कि एक बार धारा 406 सीआरपीसी के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए सुप्रीम कोर्ट एक मामले को एक राज्य की अधीनस्थ आपराधिक अदालत से दूसरे राज्य की अधीनस्थ आपराधिक अदालत में स्थानांतरित करता है, उक्त मामले में किसी आदेश के खिलाफ कोई अपील स्‍थानांतरी (transferee) हाईकोर्ट में होगी।

    जस्टिस सुनीत कुमार और जस्टिस ओम प्रकाश त्रिपाठी की पीठ ने एक आपराधिक अपील का निस्तारण करते हुए यह टिप्पणी की, जिसमें सीबीआई ने प्रारंभिक आपत्ति उठाई थी कि अपील इलाहाबाद हाईकोर्ट के समक्ष विचार योग्य नहीं है क्योंकि राजस्थान में कार्रवाई का कारण पैदा हुआ है।

    यह देखते हुए कि मुकदमे को धारा 406 सीआरपीसी के तहत यूपी की एक स्थानीय अदालत में स्थानांतरित कर दिया गया था, कोर्ट ने कहा, "सत्र मामले में फैसले और सजा के खिलाफ अपील स्‍थानांतरी राज्य (उत्तर प्रदेश) के हाईकोर्ट के समक्ष सुनवाई योग्य होगी, न कि स्‍थानांतरणकर्ता (transferor) राज्य (राजस्थान) की।"

    इस मामले में राजस्थान की विशेष अदालत में आरोप पत्र दायर किया गया था, जिसे बाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश से मथुरा सेशन कोर्ट में स्थानांतरित कर दिया गया था। बाद में, मौजूदा मामले में मथुरा कोर्ट द्वारा मुकदमे के बाद आरोप तय किए गए और फैसला दिया गया। जिसके बाद वर्तमान अपील दायर की गई।

    अपीलकर्ता

    अपीलकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि प्रतिवादियों द्वारा किए गए सबमिशन गलत थे क्योंकि मामला जो मुख्य रूप से राजस्थान में दर्ज किया गया था, सीबीआई को स्थानांतरित कर दिया गया था और उसके बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश से मथुरा में मुकदमे को स्थानांतरित कर दिया गया। उन्होंने आगे कहा कि अपीलकर्ताओं को सत्र न्यायालय, मथुरा द्वारा दोषी ठहराया गया था और इस प्रकार अपील राजस्थान हाईकोर्ट के बजाय इलाहाबाद हाईकोर्ट में होगी।

    वकील ने विकास यादव बनाम यूपी राज्य [2008 (7) एडीजे 567 (डीबी)] के मामले पर भरोसा किया, जिसमें अपराध की घटना जिला गाजियाबाद में हुई थी और मुकदमे को गाजियाबाद से तीस हजारी कोर्ट, नई दिल्ली में स्थानांतरित कर दिया गया था। कोर्ट की राय थी कि दोषसिद्धि और सजा के आदेश के खिलाफ अपील दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा संज्ञेय थी।

    प्रतिवादी

    प्रतिवादी सीबीआई के वकील ने कहा कि कार्रवाई/घटना का कारण मूल रूप से राजस्थान में हुआ था और इस प्रकार राजस्थान हाईकोर्ट के पास आपराधिक अपील पर विचार करने का क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र होगा।

    वकील ने पारितोष कुमार बनाम यूनियन ऑफ इंडिया और अन्य [2014 (2) एएलजे 403] के फैसले पर भरोसा किया, जिसमें यह माना गया था कि लखनऊ में विशेष न्यायाधीश, सीबीआई द्वारा पारित एक आदेश के खिलाफ सीआरपीसी की धारा 482 के तहत एक याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट में विचारणीय है।

    जजमेंट

    इसके अलावा, इस उद्देश्य के लिए अदालत ने जयेंद्र सरस्वती स्वामीगल उर्फ ​​सुब्रमण्यम बनाम तमिलनाडु राज्य [(2008) 10 एससीसी 180] में सुप्रीम कोर्ट की तीन-जजों की खंडपीठ पर भरोसा किया, जहां यह माना गया था कि एक बार मामला धारा 406 सीआरपीसी के अनुसार स्थानांतरित हो गया हो तो दूसरे राज्य का यानी स्‍थानांतरणकर्ता राज्य का किसी भिन्न राज्य में, जिसमें मामला स्थानांतरित किया गया है, स्थित अदालत में चलाए जाने वाले अभियोजन पर नियंत्रण नहीं है।

    पीठ ने के अंबाझगन बनाम कर्नाटक राज्य और अन्य [(2015) 6 एससीसी 158] के फैसले पर भी भरोसा किया, जहां पहले के मामले में भी ऐसा ही देखा गया था।

    मामले के अजीबोगरीब तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए, अदालत ने माना कि सत्र मामले में फैसले और सजा के खिलाफ अपील स्‍थानांतरी राज्य (उत्तर प्रदेश) के हाईकोर्ट के समक्ष सुनवाई योग्य होगी, न कि स्‍थानांतरणकर्ता राज्य (राजस्थान) के समक्ष।

    अदालत ने अपील पर विचार करने के लिए इस न्यायालय के अधिकार क्षेत्र के बारे में प्रतिवादी-सीबीआई द्वारा उठाई गई प्रारंभिक आपत्ति को भी खारिज कर दिया और कहा कि वर्तमान अपील इलाहाबाद हाईकोर्ट के समक्ष सुनवाई योग्य है।

    अदालत ने स्पष्ट किया कि पारितोष कुमार (सुप्रा) पर भरोसा करना गलत है क्योंकि तथ्य और उक्त मामले के कानून का प्रस्ताव मामले के समान नहीं है। वर्तमान मामला सीआरपीसी की धारा 406 के तहत शक्ति का प्रयोग करते हुए सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक राज्य से दूसरे राज्य में मुकदमे के स्‍थानांतरण से संबंधित है।

    केस टाइटल: वीरेंद्र सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य

    केस नंबर: 2020 की आपराधिक अपील संख्या 2101

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