धारा 149 मोटर वाहन अधिनियम| वाहन मालिक को अगर ड्राइवर के लाइसेंस की वास्तविकता पर भरोसा हो तो वह उत्तरदायी नहींः केरल हाईकोर्ट

Avanish Pathak

21 Sep 2022 7:22 AM GMT

  • केरल हाईकोर्ट

    केरल हाईकोर्ट

    केरल हाईकोर्ट ने गुरुवार को कहा कि जब एक वाहन मालिक संतुष्ट है कि ड्राइवर के पास लाइसेंस है और ड्राइविंग में सक्षम है तो मोटर वाहन अधिनियम की धारा 149 (2) (ए) (ii) का कोई उल्लंघन नहीं होगा, और बीमा कंपनी पीड़ित को क्षतिपूर्ति करने की अपनी देयता से मुक्त नहीं होगी।

    जस्टिस सोफी थॉमस ने कहा,

    "अगर यह पाया जाता है कि लाइसेंस नकली था तो भी बीमा कंपनी उत्तरदायी बनी रहेगी, जब तक कि वे यह साबित नहीं करते कि मालिक-बीमित को पता था या देखा था कि लाइसेंस नकली था और फिर भी उस व्यक्ति को ड्राइव करने की अनुमति दी। ऐसे मामलों में बीमा कंपनी निर्दोष तीसरे पक्ष के लिए भी उत्तरदायी होगी, हालांकि उसे बीमित व्यक्ति से रिकवर किया जा सकता है।"

    मामला

    मौजूदा मामले में अपीलकर्ता एक स्टेज कैरियर का मालिक था। दूसरा प्रतिवादी संतोष उसका ड्राइवर था। नेशनल इंस्योरेंस कंपनी लिमिटेड के साथ वाहन का बीमा किया गया था। जब वाहन दुर्घटनाग्रस्त हुआ, उसे दूसरा प्रतिवादी चला रहा था। मोटर एक्सिडेंट्स क्लेम ट्रिब्यूनल, पेरुम्बवूर के समक्ष यह तेज और लापरवाह ड्राइव‌िंग का मामला साबित हुआ।

    ट्रिब्यूनल के समक्ष बीमाकर्ता कंपनी ने दावा किया कि दूसरे प्रतिवादी के पास वैध और प्रभावी ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था और चूंकि मालिक ने वाहन को दूसरे प्रतिवादी को सौंपा था, इसलिए उन्होंने पॉलिसी के नियमों और शर्तों का उल्लंघन किया, और इस प्रकार कंपनी क्षतिपूर्ति के लिए उत्तरदायी नहीं थी।

    ट्रिब्यूनल ने घायलों को 5,66,061 रुपये का मुआवजा दिया और बीमा कंपनी को उसी को जमा करने का निर्देश दिया। चूंकि दूसरे प्रतिवादी के ड्राइविंग लाइसेंस को नकली पाया गया था, इसलिए बीमा कंपनी को मालिक और वाहन चालक, दोनों से मुआवजा राशि को रिकवर करने की अनुमति दी गई।

    दूसरे प्रतिवादी को मोटर वाहन अधिनियम की धारा 181 सहपठित धारा 3 (1) के तहत इस अनुमान पर चार्ज किया गया कि उसके पास कोई वैध ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था, क्योंकि वह उसे पेश कर पाने में विफल रहा था।

    ट्रिब्यूनल के फैसले के खिलाफ मौजूदा अपील दायर की गई।

    निष्कर्ष

    मामले में अदालत ने अपीलकर्ता की दलील को स्वीकार किया कि उसे भरोसा था कि दूसरे प्रतिवादी का लाइसेंस वास्तविक था। अदालत ने ऋषि पाल सिंह बनाम न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड और अन्य के फैसले पर भरोसा किया, जिसमें यह कहा गया था कि वाहन के मालिक से अपेक्षा की जाती है कि वह संतुष्ट हो कि ड्राइवर ड्राइविंग में सक्षम है। वह ड्राइविंग लाइसेंस की वास्तविकता को सत्यापित करेगा, ऐसी उम्मीद नहीं होगी। कोर्ट ने कहा कि बीमा कंपनियां मालिकों से आरटीओ के साथ पूछताछ करने की उम्मीद नहीं कर सकती।

    कोर्ट ने कहा कि मौजूदा मामले में, बीमाकर्ता का यह मामला नहीं था कि मालिक को इस तथ्य की जानकारी थी कि दूसरे प्रतिवादी का ड्राइविंग लाइसेंस नकली था, और यह मानने का कारण है कि मालिक को वाकई में भरोसा था कि नवीनीकृत लाइसेंस वास्तविक था, और इसलिए संशोधित अधिनियम, 2019 की धारा 150 (2) (ए) (ii) का कोई उल्लंघन नहीं होगा। इस प्रकार यह यह माना गया कि बीमा कंपनी को उसके दायित्व से मुक्त नहीं किया जा सकता है।

    बीमा कंपनी की ओर से बीमाकर्ता और ड्राइवर के बीच अनुबंध के अस्तित्व को नकारने को कोर्ट ने ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड बनाम सिवन (2014) में स्थिति पर भरोसा करके खारिज कर दिया।

    इस प्रकार, अदालत ने पाया कि चालक (दूसरा प्रतिवादी) पीड़ित को क्षतिपूर्ति करने का उत्तरदायी है। यह भी माना गया कि चूंकि वाहन को तीसरे प्रतिवादी द्वारा बीमित किया गया था, जहां तक एक निर्दोष तीसरे पक्ष का संबंध है, मुख्य रूप से, बीमाकर्ता को उसे क्षतिपूर्ति करनी होगी और वे ड्राइवर से राशि को रिकवर कर सकते हैं, क्योंकि ड्राइवर और बीमाकर्ता के बीच अर्ध अनुबंध है। इस प्रकार अपील को अनुमति दी गई।

    केस टाइटल: आएशा वी बनाम जेवियर एंड अन्य

    साइटेशन: 2022 Livelaw (KER) 495

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