सीआरपीसी की धारा 482- एफआईआर/आरोप पत्र रद्द की मांग वाली याचिका में साक्ष्य की सराहना नहीं की जा सकती : कर्नाटक हाईकोर्ट

LiveLaw News Network

10 Jan 2022 2:05 PM GMT

  • सीआरपीसी की धारा 482- एफआईआर/आरोप पत्र रद्द की मांग वाली याचिका में साक्ष्य की सराहना नहीं की जा सकती : कर्नाटक हाईकोर्ट

    Karnataka High Court

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने दोहराया कि सीआरपीसी की धारा 482 के तहत एफआईआर/आरोप पत्र रद्द करने के लिए याचिका की सुनवाई करने वाली अदालत साक्ष्य की सराहना नहीं कर सकती, क्योंकि यह ट्रायल कोर्ट के क्षेत्र में है।

    जस्टिस श्रीनिवास हरीश कुमार ने कहा,

    "यह एक स्थापित सिद्धांत है कि सीआरपीसी की धारा 482 के तहत याचिका पर फैसला करते समय सबूतों की सराहना नहीं की जा सकती, क्योंकि यह ट्रायल कोर्ट के क्षेत्र में है।"

    याचिकाकर्ता प्रदीप मोपार्थी और अन्य भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 323, 504, 506 और 498-ए और दहेज निषेध अधिनियम की धारा तीन और चार और आईपीसी की धारा 34 के तहत आरोपी हैं। इन्होंने अपने खिलाफ दायर आरोपपत्र रद्द करने की मांग को लेकर अदालत का दरवाजा खटखटाया।

    शिकायतकर्ता मोपार्थी की पत्नी का यह मामला था कि उनकी शादी 05.09.2015 को हैदराबाद में हुई थी। दहेज की मांग को लेकर आरोपितों ने उसे प्रताड़ित किया। ऐसे में एफआईआर दर्ज की गई। जांच की गई और चार्जशीट दाखिल की गई।

    याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश अधिवक्ता अर्जुन रेगो ने तर्क दिया कि यदि गवाहों के बयानों पर आधारित पूरे आरोप पत्र पर विचार किया जाता है तो यह कहा जा सकता है कि याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कोई अपराध नहीं बनता।

    उसी पर विचार करने पर अदालत ने कहा,

    "सीआरपीसी की धारा 482 के तहत चार्जशीट रद्द किया जा सकता है, लेकिन सबूतों की सराहना करके चार्जशीट को रद्द करने के लिए उक्त अधिकार क्षेत्र का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।"

    इसमें कहा गया,

    "यह एक स्थापित सिद्धांत है कि सीआरपीसी की धारा 482 के तहत याचिका पर फैसला करते समय साक्ष्य की सराहना नहीं की जा सकती, क्योंकि यह ट्रायल कोर्ट के क्षेत्र में है।"

    कोर्ट ने कहा,

    "इस विचार में मुझे इस याचिका पर विचार करने का कोई आधार नहीं मिलता है। तदनुसार, याचिका खारिज की जाती है।"

    केस शीर्षक: प्रदीप मोपार्थी बनाम कर्नाटक राज्य

    केस नंबर: आपराधिक याचिका संख्या 2860/2021

    आदेश की तिथि: 15 दिसंबर, 2021

    प्रशस्ति पत्र: 2022 लाइवलॉ (कर) 9

    उपस्थिति: याचिकाकर्ताओं के लिए अधिवक्ता अर्जुन रेगो; R1 . के लिए एडवोकेट रोहित बी.जे

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