आरटीआई एक्ट| धारा 2(j) के तहत किसी सार्वजनिक प्राधिकरण के 'कार्य के निरीक्षण' में 'संपत्ति का निरीक्षण' शामिल नहीं: दिल्ली हाईकोर्ट
Avanish Pathak
15 July 2022 2:22 PM IST
दिल्ली हाईकोर्ट ने माना है कि सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम, 2005 की धारा 2 (जे) के तहत "कार्य का निरीक्षण" शब्दों के दायरे में "संपत्ति का निरीक्षण" शामिल नहीं है।
धारा 2(जे) में कहा गया है कि सूचना के अधिकार का अर्थ अधिनियम के तहत सुलभ सूचना का अधिकार है, जो किसी भी सार्वजनिक प्राधिकरण के पास या उसके नियंत्रण में है और इसमें निम्नलिखित अधिकार शामिल हैं- (i) कार्य, दस्तावेजों, रिकॉर्ड्स का निरीक्षण; (ii) दस्तावेजों या रिकॉर्ड्स के नोट्स, उद्धरण या प्रमाणित प्रतियां लेना; आदि।
जस्टिस यशवंत वर्मा की एकल न्यायाधीश की पीठ ने कहा कि इस तरह, उपरोक्त धारा के तहत "काम" शब्द को "दस्तावेज" और "अभिलेख" के संयोजन के साथ पढ़ा जाना चाहिए, न कि संपत्ति।
संक्षेप में मामले के तथ्य यह हैं कि याचिकाकर्ता आवंटित सरकारी क्वार्टर में कुछ सिविल कार्यों के पूरा न होने से व्यथित था। इस प्रकार, उन्होंने संपत्ति का निरीक्षण करने के लिए आरटीआई अधिनियम, 2005 के प्रावधानों को लागू करने के लिए एक रिट याचिका दायर की। याचिकाकर्ता का तर्क था कि परिसर और संपत्तियों का निरीक्षण अधिनियम की धारा 2(जे) के दायरे में आता है।
अदालत ने माना कि याचिकाकर्ता का उपरोक्त प्रस्तुतीकरण पूरी तरह से गलत था।
कोर्ट ने कहा,
"अधिनियम अनिवार्य रूप से नागरिकों को सूचना प्राप्त करने का अधिकार प्रदान करता है। यह उन्हें ऐसी जानकारी सुरक्षित करने में सक्षम बनाता है जो सार्वजनिक प्राधिकरणों के नियंत्रण और कब्जे में हो सकती है। जब धारा 2 (जे) "कार्य" शब्द का उपयोग करती है, तो यह दस्तावेजों और अभिलेखों के निरीक्षण का उल्लेख करती है और उस रोशनी में उक्त वाक्यांश को समझा जा सकता है। "कार्य" शब्द को "दस्तावेज़" और "अभिलेखों" के संयोजन के साथ पढ़ा जाए। जैसा कि यह न्यायालय अधिनियम के प्रावधानों को मानता है, यह प्रकट होता है कि जो आवेदन किया गया था वह पूरी तरह से गलत था।"
तदनुसार रिट याचिका 5,000/ रुपये के जुर्माने के साथ खारिज कर दिया गया था। जुर्माने को दिल्ली हाईकोर्ट कानूनी सेवा समिति [डीएचसीएलएससी] में जमा करने का निर्देश दिया गया।
केस टाइटल: वीना जोशी बनाम सीपीआईओ, केंद्रीय सूचना आयोग और अन्य।