अगर ड्राइवरों की 'लापरवाही' को अनदेखा किया गया तो केरल की सड़कें जानलेवा बन जाएंगी, वडक्कनचेरी बस त्रासदी पर हाईकोर्ट ने कहा

Avanish Pathak

7 Oct 2022 7:46 AM GMT

  • केरल हाईकोर्ट

    केरल हाईकोर्ट

    केरल हाईकोर्ट ने गुरुवार को वडक्कनचेरी बस दुर्घटना पर दुख प्रकट करते हुए, राज्य में सड़कों की खराब स्थिति से संबंधित एक लंबित मामले में परिवहन आयुक्त को अतिरिक्त प्रतिवादी के रूप में शामिल किया। परिवहन आयुक्त सड़क सुरक्षा आयुक्त भी हैं।

    अधिकारी को शुक्रवार को अदालत के समक्ष व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहने का निर्देश देते हुए अदालत ने कहा कि "परिवारों, माता-पिता, बच्चों, पतियों और पत्नियों" के दर्द में तत्काल हस्तक्षेप की आवश्यकता है और अब और समय नहीं गंवाया जा सकता है।

    पलक्कड़ जिले के वडक्कनचेरी में स्कूली बच्चों को ले जा रही एक पर्यटक बस केएसआरटीसी की बस से टकरा गई, जिसमें पांच छात्रों सहित नौ लोगों की मौत हो गई और 50 से अधिक अन्य घायल हो गए।

    जस्टिस देवन रामचंद्रन ने कहा कि बार-बार दुर्घटनाएं कानून को सख्‍ती से न लागू करने के कारण हो रही हैं। आदेश की शुरुआत में अदालत ने कहा कि जबकि वे राज्य में सड़क सुरक्षा की झलक पाने के लिए संघर्षरत हैं, "दुर्घटना की भयानक सूचना ने उन्हें सुबह जगाया"।

    अदालत ने कहा कि आमतौर पर सड़कों पर जो "लापरवाही" दिखाई देती है, उसे या तो मान लिया जाता है या यह सोचकर माफ कर दिया जाता है कि यह जीवन का एक तरीका है।

    कोर्ट ने कहा कि यह हादसा नहीं होता अगर "लापरवाही के तत्वों पर" पहले ही बात हो गई होती। कोर्ट ने कहा ड्राइवर, जिनमें दोपाहिया वाहनों के चालक भी शामिल हैं, लगातार जैसी लापरवाहियों का प्रदर्शन कर रहे हैं, उससे कई ऐसी दुर्घटनाएं होने की आशंका है। ज्यादातर समयों में लागू कानूनों में से किसी का भी पालन नहीं किया जाता है।

    जस्टिस रामचंद्रन ने कहा, "केरल की सड़कें किलिंग फिल्ड बन जाएंगी, अगर इन्हें अनदेखा किया गया।"

    कोर्ट ने जोर देकर कहा कि कानूनों की संख्या में कोई कमी नहीं है और न ही इसे लागू करने के जिम्‍मेवार कर्मियों की कमी है। कोर्ट ने यह भी नोट किया कि भले ही हाईकोर्ट की विभिन्न पीठों ने सड़क सुरक्षा और वाहन आवश्यकताओं के विभिन्न पहलुओं पर कई निर्णय पारित किए हों, लेकिन जमीन पर कोई ठोस परिणाम दिखाई नहीं दे रहा है।

    पीठ ने कहा, "यदि ऐसा होता तो निश्चित रूप से इस न्यायालय को यह आदेश लिखने की आवश्यकता नहीं होती। सड़कों के उपयोग और वाहनों के चालकों को अब सख्ती के साथ यह बताने की जरूरत है कि उनसे कैसे व्यवहार और कार्य करने की उम्मीद की जाती है।"

    आदेश में कहा गया कि प्रवर्तन एजेंसियों और अधिकारियों को सशक्त बनाने और लगातार जांच और जवाबदेह बनाने की जरूरत है।

    अदालत ने मामले में अतिरिक्त प्रतिवादी के रूप में परिवहन आयुक्त, जो सड़क सुरक्षा आयुक्त का पद भी संभाल रहे हैं, को पक्षकार बनाते हुए और उन्हें शुक्रवार को उसके सामने उपस्थित रहने का निर्देश दिया। हाईकोर्ट की एक खंडपीठ ने पहले भी दुर्घटना का स्वत: संज्ञान लिया था।

    केस टाइटल: पॉली वडक्कन बनाम कोचीन निगम

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