सड़क दुर्घटना- न्यायालय को अनुचित सहानुभूति दिखाते हुए धारा 304-ए आईपीसी के तहत अपराध के लिए मामूली सजा नहीं देनी चाहिए: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट

LiveLaw News Network

18 Nov 2021 1:08 PM GMT

  • सड़क दुर्घटना- न्यायालय को अनुचित सहानुभूति दिखाते हुए धारा 304-ए आईपीसी के तहत अपराध के लिए मामूली सजा नहीं देनी चाहिए: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट

    Madhya Pradesh High Court

    मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने एक एक अपराधी की आपराधिक पुनरीक्षण याचिका को खारिज कर दिया, जिसने मोटर साइकिल से दो लोगों को टक्कर मार दी थी ओर उनकी मौत हो गई थी। कोर्ट ने फैसले में कहा कि अनुचित सहानुभूति दिखाते हुए आईपीसी की धारा 304-ए के तहत अपराध के लिए मामूली सजा नहीं देनी चाहिए।

    धारा 304-ए आईपीसी लापरवाही के कारण हुई मौत से संबंध‌ित है। (जो कोई भी लापरवाही भरा काम करके किसी व्यक्ति की मृत्यु का कारण बनता है, जो गैर इरादतन मानव हत्या की श्रेण‌ि में नहीं आता, उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास, जिसे दो वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, या जुर्माने से, या दोनों से दंडित किया जाएगा।)

    जस्टिस जीएस अहलूवालिया की पीठ ने यह टिप्पणी की, जिन्होंने कहा कि दोषी जेल की सजा में कमी के लिए भी योग्य नहीं था क्योंकि आवेदक/दोषी के कारण दो व्यक्तियों की जान चली गई, जो दुर्घटना के कारण से पूरी तरह अनभ‌िज्ञ थे...।

    मामला

    न्यायालय प्रथम अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, गंजबासौदा, लिंक कोर्ट कुर्वई, जिला विदिशा द्वारा पारित 15 सितंबर, 2021 के फैसले और सजा के खिलाफ दायर एक आपराधिक संशोधन को ‌निस्तारित कर रहा था, जिसमें निर्णय और सजा की पुष्टि की गई थी, जिसके द्वारा आवेदक को आईपीसी की धारा 279, 338 और 304-ए के तहत दोषी ठहराया गया था।

    आवेदक के वकील ने यह प्रस्तुत किया कि चार व्यक्ति, दो पुरुष और एक महिला एक नाबालिग लड़की के साथ मोटरसाइकिल पर सवार थे और इस प्रकार, यह स्पष्ट था कि वे स्वयं लापरवाह थे क्योंकि मोटरसाइकिल पर केवल दो व्यक्ति सवार हो सकते हैं।

    यह आगे प्रस्तुत किया गया था कि वास्तव में, आवेदक की मोटरसाइकिल से कोई दुर्घटना नहीं हुई थी और चूंकि मोटरसाइकिल का चालक मोटरसाइकिल को नियंत्रित नहीं कर सकता था, इसलिए वह फिसल गया और परिणामस्वरूप उक्त मोटरसाइकिल पर सवार दो व्यक्तियों की मृत्यु हो गई।

    न्यायालय की टिप्पणियां

    पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट को देखते हुए, बेंच ने देखा कि मृतक (प्रीति और चंद्रशेखर) को कई फ्रैक्चर सहित कई बाहरी और आंतरिक चोटें लगी थीं, परिणामस्वरूप, उनकी मौके पर ही मौत हो गई और दोनों व्यक्तियों की मौत प्रकृति में आकस्मिक थी।

    इसके अलावा, पुलिस द्वारा तैयार किए गए स्पॉट मैप को ध्यान में रखते हुए न्यायालय ने निष्कर्ष निकाला कि दुर्घटना सड़क के किनारे पर हुई थी और इस प्रकार न्यायालय ने कहा, " ... गवाहों के साक्ष्य कि मृतक वाहन को बायीं ओर चला रहा था, जबकि आवेदक ने गलत साइड से आकर मोटरसाइकिल को टक्कर मार दी, सही प्रतीत होता है।"

    कोर्ट ने आगे कहा कि आवेदक के अनुसार, मृतक व्यक्ति उनके बायीं ओर थे और चूंकि दुर्घटना सड़क के एकदम बायीं ओर हुई थी, इसलिए न्यायालय ने निष्कर्ष निकाला, " ...यह स्पष्ट है कि आवेदक गलत दिशा में मोटरसाइकिल चला रहा था और मृतक चंद्रशेखर की मोटरसाइकिल को टक्कर मार दी, जबकि वे सड़क के बिल्कुल बाईं ओर थे। इस प्रकार, यह आवेदक की गलती है। केवल इसलिए कि मोटरसाइकिल पर तीन पुरुष और एक नाबालिग लड़की सवार थे, आवेदक को गलत दिशा से आकर उक्त मोटरसाइकिल को टक्कर मारने का कोई अधिकार नहीं है।"

    न्यायालय ने कहा कि यह आवेदक स्वयं था, जो आपत्तिजनक वाहन चला रहा था और गलत साइड से आकर मृतक की मोटरसाइकिल को टक्कर मार दी, जिसके परिणामस्वरूप दो व्यक्तियों की मौत हो गई।

    चूंकि नीचे की अदालतों द्वारा दर्ज तथ्यों के निष्कर्षों को रिकॉर्ड के विपरीत नहीं कहा जा सकता है। तदनुसार, अदालत ने आईपीसी की धारा 279, 338 और 304-ए के तहत अपराधों के लिए आवेदक की सजा को बरकरार रखा।

    केस शीर्षक - देवेंद्र वाल्मीकि बनाम मध्य प्रदेश राज्य

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