राज्य से वित्तीय सहायता न मिलने की दलील देकर सेवानिवृत्त कर्मचारी को पेंशन लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता: इलाहाबाद हाईकोर्ट

LiveLaw News Network

5 Jan 2021 5:16 AM GMT

  • Allahabad High Court expunges adverse remarks against Judicial Officer

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार (04 जनवरी) को एक मामले में यह देखा कि राज्य से वित्तीय सहायता न मिलने की दलील देकर एक सेवानिवृत्त कर्मचारी को उसके पेंशन लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता है।

    मुख्य न्यायमूर्ति गोविंद माथुर एवं न्यायमूर्ति रमेश सिंह की खंडपीठ ने एक मामले में यह अवलोकन करते हुए कहा कि नगर पालिका परिषद, सीतापुर के लिए यह अनिवार्य था कि वे, जिस तारीख को कर्मचारी ने सेवानिवृत्ति की आयु प्राप्त की थी, उस दिन वो उसके पेंशन मामले को अंतिम रूप देते।

    न्यायालय के समक्ष मामला

    यह अपील नगर पालिका परिषद, सीतापुर द्वारा 24 जुलाई, 2010 को एकल पीठ के आदेश की वैधता को चुनौती देते हुए दायर की गई। दरअसल, लागू किए गए आदेश के तहत, सिंगल बेंच ने अपीलकर्ता-प्रतिवादी (नगर पालिका परिषद, सीतापुर) को यह निर्देश दिया था कि संबंधित कर्मचारी (प्रतिवादी-याचिकाकर्ता) के सभी पुराने रिटायरल लाभ जारी किए जाएँ (8% की ब्याज दर के साथ)।

    अपीलकर्ताओं की ओर से पेश वकील द्वारा यह प्रस्तुत किया गया कि संबंधित अवधि के दौरान, अपीलकर्ताओं (नगर पालिका परिषद, सीतापुर) को राज्य से सहायता प्राप्त नहीं हुई है और इसलिए, सेवानिवृत्त लाभ जारी नहीं किए गए थे।

    हालांकि, इस तर्क में कोई गुण न पाते हुए अदालत ने यह माना कि पात्रता के बावजूद, अपीलकर्ताओं द्वारा सेवानिवृत्त लाभ जारी नहीं किए गए थे, इसके पीछे का कारण भले ही राज्य से सहायता प्राप्त न करना हो, लेकिन यह एक सेवानिवृत्त कर्मचारी को पेंशन लाभ से वंचित करने का कारण नहीं हो सकता है।

    अंत में, अदालत ने यह फैसला सुनाया कि एकल पीठ द्वारा 8% प्रति वर्ष की दर से देय ब्याज के साथ कर्मचारी को उसके पुराने रिटायरल लाभ प्रदान करते हुए फैसला सुनाने में एकल बेंच द्वारा कोई त्रुटि नहीं की गई है।

    ऑर्डर डाउनलोड करने के लिये यहां क्लिक करें



    Next Story