धर्म परिवर्तन| इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शुआट्स वीसी और निदेशक को अग्रिम जमानत देने से इनकार किया, कहा-'धर्मार्थ कार्यों के पीछे उनकी मंशा संदिग्ध'

Avanish Pathak

1 March 2023 9:40 AM GMT

  • धर्म परिवर्तन| इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शुआट्स वीसी और निदेशक को अग्रिम जमानत देने से इनकार किया, कहा-धर्मार्थ कार्यों के पीछे उनकी मंशा संदिग्ध

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को सामूहिक धर्म परिवर्तन मामले में इलाहाबाद स्थित सैम हिगिनबॉटम यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर, टेक्नोलॉजी एंड साइंसेज, जिसे पूर्व में इलाहाबाद कृषि संस्थान के रूप में जाना जाता है, के कुलपति (डॉ.) राजेंद्र बिहारी लाल और संस्थान के निदेशक विनोद बिहारी लाल की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी।

    यह देखते हुए क‌ि वे प्रभावशाली व्यक्ति हैं और धर्मार्थ कार्यों के पीछे उनकी मंशा संदिग्ध लगती है, यह समाज के हाशिये के लोगों के हितों को प्रभावित कर रहा है, जस्टिस मंजू रानी चौहान की पीठ ने कहा कि वे अग्र‌िम जमानत पर रिहा अन्य व्यक्तियों के साथ समानता का दावा नहीं कर सकते हैं।

    पीठ ने कहा कि जांच एजेंसियों ने धर्मांतरण के संबंध में भौतिक साक्ष्य एकत्र किए है, इसलिए यह एक चिंताजनक मामला है। इसे हल्के तरीके से नहीं लिया जा सकता है।

    कोर्ट ने फैसले में आगे कहा कि आवेदकों के खिलाफ मामला अग्रिम जमानत के लिए एक साधारण मामले से आगे बढ़ गया है। मौजूदा आवेदन की लंबितता के दरमियान पीड़ितों, जिन्हें अनुचित प्रभाव से या लोभ देकर धर्मांतरित किया गया है, कई एफआईआर दर्ज कराई हैं।

    न्यायालय ने स्पष्ट किया कि वह इस तथ्य से आंखें नहीं मूंद सकता है कि व्यक्तियों के सामूहिक धर्मांतरण के संबंध में भौतिक साक्ष्य एकत्र किए गए हैं और इस मामले ने कहीं अधिक गंभीर मोड़ ले लिया है, जहां पीड़ित साक्ष्य देने के लिए आगे आ रहे हैं। इस प्रकार, यदि संरक्षण प्रदान किया जाता है तो यह जांच की प्रक्रिया को बाधित करेगा।

    अदालत ने यह भी कहा कि पहले याचिका की लंबिततता के दरमियान आवेदकों को जांच अधिकारी के सामने पेश होने की शर्त के साथ अंतरिम संरक्षण दिया गया था, हालांकि, आवेदकों ने अदालत के निर्देशों का पालन नहीं किया। अदालत ने कहा कि उनकी गैर-मौजूदगी दिखाती है कि उन्हें जांच में सहयोग करने का कोई इरादा नहीं है।

    आवेदकों के खिलाफ मामला

    इस मामले में एफआईआर पिछले साल अप्रैल में हिमांशु दीक्षित नामक कार्यकर्ता की शिकायत पर दर्ज की गई थी। उसने शिकायत में कहा था कि हिंदू धर्म के लगभग 90 व्यक्तियों को इवेंजेलिकल चर्च ऑफ इंडिया, हरिहरगंज, फतेहपुर में धर्मांतरण के इरादे से इकट्ठा किया गया है।

    शिकायत के बाद मौके पर पहुंचे अधिकारियों ने पादरी विजय मसीहा से पूछताछ की, जिन्होंने कथित तौर पर बताया कि धर्मांतरण की प्रक्रिया 34 दिनों से चल रही थी और यह प्रक्रिया 40 दिनों के भीतर पूरी की जाएगी।

    उन्होंने कथित तौर पर यह भी बताया कि वे मिशन अस्पताल में भर्ती मरीजों का भी धर्मांतरण करने की कोशिश कर रहे हैं, और कर्मचारी इसमें सक्रिय भूमिका निभाते हैं। इसके बाद ने 35 व्यक्तियों (एफआईआर में नामित) और 20 अज्ञात व्यक्तियों को हिंदू समुदाय के 90 व्यक्तियों के ईसाई धर्म में धर्मांतरण में शामिल पाया।

    मामले में धारा 153A, 506, 420, 467, 468 आईपीसी, और उत्तर प्रदेश विधिविरुद्ध धर्म परिवर्तन निषेध अधिनियम की धारा-3/5(1) के तहत एफआईआर दर्ज की गई। वर्तमान आवेदक का नाम एफआईआर में नहीं था, हालांकि, उसे बाद के चरण में दो इच्छुक गवाहों और जांच अधिकारी कर ओर से दिए गए बयानों के आधार पर शामिल किया गया था।

    केस टाइटलः विनोद बिहारी लाल बनाम यूपी राज्य अन्य और जुड़ा मामला

    केस साइटेशन: 2023 लाइवलॉ (एबी) 81

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