यूपीवीएटी एक्ट के तहत बही खातों की अस्वीकृति, केंद्रीय बिक्री कर अधिनियम के तहत बही खातों की अस्वीकृति का आधार नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट

LiveLaw News Network

25 Nov 2023 2:03 PM GMT

  • यूपीवीएटी एक्ट के तहत बही खातों की अस्वीकृति, केंद्रीय बिक्री कर अधिनियम के तहत बही खातों की अस्वीकृति का आधार नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट

    Allahabad High Court

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में दोहराया कि रिकॉर्ड पर किसी भी सामग्री के अभाव में, स्थानीय कानूनों के तहत बही खाते (Book of Accounts) की अस्वीकृति केंद्रीय बिक्री कर अधिनियम के तहत बही खाते की अस्वीकृति का एकमात्र आधार नहीं हो सकती है।

    जस्टिस पीयूष अग्रवाल ने कहा,

    "सिर्फ इसलिए कि स्थानीय बिक्री कानून के तहत बही खातों को खारिज कर दिया गया है, रिकॉर्ड पर उपलब्ध किसी भी ठोस सामग्री के अभाव में केंद्रीय बिक्री कर अधिनियम के तहत बही खामों को खारिज करने का आधार जरूरी नहीं है।"

    मामले में रिवीजनिस्ट यूपी वैट अधिनियम के तहत एक पंजीकृत डीलर है और रेडीमेड कपड़ों के व्यापार में लगा हुआ है। रिवीजनिस्ट ने एसेसमेंट ईयर 2014-15 से काम शुरू किया। व्यावसायिक परिसर में किए गए सर्वेक्षण, जबकि रिवीजनिस्ट उपस्थित नहीं था, पिछले एसेसममेंट ईयर से संबंधित दस्तावेज मिले, जो पुराने किरायेदार के थे.

    मेसर्स आरडी गुप्ता एंड कंपनी बनाम सीएसटी और गुरु प्रसाद रोलर फ्लोर मिल्स प्रा लिमिटेड बनाम वाणिज्यिक कर आयुक्त, उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए‌ रिवीजनिस्ट की ओर से पेश वकील ने तर्क दिया कि केवल इसलिए कि बही खातों को उत्तर प्रदेश वैट एक्ट के तहत अस्वीकार कर दिया गया था, केंद्रीय बिक्री कर के ‌डिस्‍क्लोज्ड टर्नओवर को अस्वीकार नहीं किया जा सकता है। यह नहीं कहा जा सकता कि केवल बही खातों की अस्वीकृति के आधार पर टर्नओवर को दबाया गया है।

    यह तर्क दिया गया कि केंद्रीय बिक्री कर के किसी भी भौतिक छुपाव के अभाव में, टर्नओवर में वृद्धि कानून में उचित नहीं है।

    न्यायालय ने पाया कि रिवीजनिस्ट के व्यावसायिक परिसरों पर किए गए सर्वेक्षण के आधार पर रिवीजनिस्ट के बही खातों को यूपी वैट एक्ट के तहत खारिज कर दिया गया था। हालांकि, यह नोट किया गया कि टर्नओवर की वृद्धि को न्यायालय ने रद्द कर दिया था।

    न्यायालय ने मेसर्स आरडी गुप्ता पर भरोसा जताया, जिसमें इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना कि केंद्रीय बिक्री कर अधिनियम के तहत बही खातों और ‌डिस्क्लोज्ड टर्नओवर को केवल इसलिए खारिज नहीं किया जा सकता क्योंकि स्थानीय कर के तहत बही खातों को खारिज कर दिया गया है। केंद्रीय बिक्री कर अधिनियम के तहत कारोबार में वृद्धि को केवल स्थानीय कर कानूनों के तहत बही खातों की अस्वीकृति के आधार पर उचित नहीं ठहराया जा सकता है।

    इसके अलावा, गुरु प्रसाद रोलर फ्लोर मिल्स प्राइवेट लिमिटेड पर भरोसा किया गया था, जिसमें इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा था कि "केवल इस आधार पर कि निर्धारिती के बही खातों को यूपी वैट एक्ट के तहत खारिज कर दिया गया था, इससे यह निष्कर्ष नहीं निकलेगा कि निर्धारिती वास्तव में सेंट्रल सेल्स में प्रवेश किया था, वह भी रिकॉर्ड पर उपलब्ध किसी भी सामग्री के अभाव में।''

    न्यायालय ने माना कि नीचे के अधिकारियों ने यह दिखाने के लिए कोई निष्कर्ष दर्ज नहीं किया या रिकॉर्ड पर कोई सामग्री नहीं रखी कि रिवीजनिस्ट ने कोई केंद्रीय बिक्री की थी। इस प्रकार, टर्नओवर की वृद्धि को न्यायालय ने रद्द कर दिया था।

    केस टाइटलः एम/एस श्री शांति रेडीमेड बनाम आयुक्त, वाणिज्यिक कर, उत्तर प्रदेश [SALES/TRADE TAX REVISION No. - 99 of 2023]


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