खुद को अलग करना इतना आसान नहीं होना चाहिए, हालांकि सवाल पूर्वाग्रह की धारणा, जज के 'कम्फर्ट लेवल' का है: जी न्यूज के खिलाफ मामले में जस्टिस भंभानी ने कहा

Avanish Pathak

21 March 2023 2:29 PM GMT

  • खुद को अलग करना इतना आसान नहीं होना चाहिए, हालांकि सवाल पूर्वाग्रह की धारणा, जज के कम्फर्ट लेवल का है: जी न्यूज के खिलाफ मामले में जस्टिस भंभानी ने कहा

    दिल्ली हाईकोर्ट जज जस्टिस अनूप जयराम भंभानी ने मंगलवार को कहा कि किसी मामले से खुद को अलग करना जज के लिए आसान नहीं होना चाहिए, हालांकि जब फैसला करने की बात आए तो जज के 'कम्फर्ट लेवल' पर भी विचार किया जाना चाहिए।

    उन्होंने कहा,

    "खुद को अलग करना इतना आसान नहीं होना चाहिए... किसी को कभी भी यह महसूस नहीं होना चाहिए कि यह मामला एक या दूसरे तरीके से चला गया ... यह वास्तविक पूर्वाग्रह नहीं बल्कि पूर्वाग्रह की धारणा है। यहां तक ​​कि एक आवेदन पर निर्णय लेते हुए मेरे पास कम्फर्ट लेवल होना चाहिए। मैं कभी भी ऐसे मामले में नहीं पड़ता, जहां मैं खुद अपनी आजादी से सहज नहीं हूं।"

    ज‌स्टिस भंभानी आसिफ इकबाल तन्हा की याचिका पर सुनवाई कर रहे थे, जिसने दिल्ली दंगा मामलों अपने स्वीकारोक्ति बयान के कथित रूप से मीडिया में लीक होने के खिलाफ याचिका दायर की थी।

    तन्हा ने विभिन्न समाचार रिपोर्टों के खिलाफ याचिका दायर की थी, जिसमें दावा किया गया था कि उसने कथित तौर पर दिल्ली के दंगों को आयोजित करने और उकसाने की बात कबूल की थी। जी न्यूज़ इस मामले में उत्तरदाताओं में से एक है।

    अदालत मामले में जस्टिस भंभानी के संभावित इनकार के सवाल पर अगले महीने सुनवाई जारी रखेगी।

    जस्टिस भंभानी के इस मामले से संभावित इनकार का सवाल न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन (एनबीडीए) और न्यूज ब्रॉडकास्टर्स फेडरेशन (एनबीएफ) की ओर से दायर आवेदनों के कारण पैदा हुआ है। दोनों को आशंका है कि मामले में फैसले से पत्रकारों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जा सकती है और सूत्रों के खुलासे के सवाल पर भी प्रभाव पड़ेगा।

    हाईकोर्ट के जज के रूप में पदोन्नति से पहले, जस्टिस भंभानी मीडिया कानून में प्रैक्टिस करते थे। किसी भी पक्ष ने स्पष्ट रूप से जस्टिस भंभानी के सुनवाई से अलग होने की मांग नहीं की है। बल्कि यह प्रस्तुत किया गया है कि वे केवल न्यायालय की सहायता करना चाहते हैं।

    जस्टिस भंभानी ने कहा, "आप दोनों को कोई पूर्वाग्रह नज़र आ सकता है या नहीं भी आ सकता है[लेकिन] मेरे पास मामले को तय करने के लिए कम्‍फर्ट लेवन होना चाहिए।"

    उन्होंने यह भी कहा, "पूर्वाग्रह की आपकी धारणा या उनकी धारणा अलग मामला है, लेकिन मैं निश्चित रूप से इस मामले की अपने कम्फर्ट लेवन को देख सकता हूं। "

    तन्‍हा की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ अग्रवाल ने तर्क दिया कि कम्फर्ट लेवल जज की ओर से दायित्व निर्वहन नहीं करने का बेंचमार्क नहीं होगा। उन्होंने कहा कि जज का कम्फर्ट लेवन सर्वोपरि है लेकिन "यह शुरुआती बिंदु नहीं है"।

    अग्रवाल ने कहा, "इसे एक निश्चित स्थान पर पहुंचना होगा, इससे पहले कि आप कहेंगे कि मैं इस विशेष मुद्दे के कारण अपने दायित्व का निर्वहन क्यों नहीं कर सकता और यह मुद्दा निश्चित सीमा तक पहुंचना चाहिए।"

    जस्टिस भंभानी इससे पहले भी मामले से खुद को अलग करने के संकेत दे चुके हैं। हालांकि कोर्ट ने अग्रवाल को मामले से अलग करने के खिलाफ दलीलें देने की अनुमति दी, लेकिन अदालत ने कहा कि मामले से अलग करने के बारे में अंतिम निर्णय उसे लेना होगा।

    अदालत के समक्ष लंबित याचिका में पुलिस द्वारा कथित रूप से लीक की गई संवेदनशील सूचनाओं को हटाने के लिए मीडिया संस्‍थानों को निर्देश देने की मांग की गई है। इससे पहले, दिल्ली पुलिस ने अदालत को सूचित किया था कि पूछताछ के दौरान, जांच अधिकारी उन अधिकारियों या कार्यालय को स्थापित नहीं कर सका जहां से कथित तौर पर मीडिया के साथ जांच विवरण साझा किया गया था। इसने यह भी कहा कि जांच अधिकारी ने विभिन्न मीडिया कर्मियों से पूछताछ की, जिन्होंने अपने स्रोतों का विवरण साझा करने से इनकार कर दिया, जहां से उन्होंने जांच संबंधी दस्तावेजों तक पहुंच बनाई थी।

    जस्टिस भंभानी ने तन्हा को आपराधिक मामले में जमानत भी दी थी। 11 जनवरी को पक्षकारों की ओर से पेश वकील ने प्रस्तुत किया, "वर्तमान याचिका किसी भी तरह से याचिकाकर्ता के खिलाफ किसी भी आरोप के गुणों से संबंधित नहीं है, चाहे वह प्रथम दृष्टया हो या अन्यथा, जिसका पूर्वोक्त निर्णय में उल्लेख किया गया हो; और तदनुसार, वर्तमान याचिका पर सुनवाई में कोई बाधा नहीं है।"


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