''वास्तविक शिक्षण अनुभव की आवश्यकता'' : केरल हाईकोर्ट ने कन्नूर यूनिवर्सिटी को सीएम के निजी सचिव की पत्नी प्रिया वर्गीज की प्रामाणिकताओं की फिर से जांच करने का निर्देश दिया
Manisha Khatri
17 Nov 2022 7:15 PM IST
केरल हाईकोर्ट ने गुरुवार को उस याचिका को स्वीकार कर लिया है,जिसमें मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के निजी सचिव के.के. रागेश की पत्नी प्रिया वर्गीज को कन्नूर यूनिवर्सिटी के मलयालम विभाग में एक एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में चयनित करने के निर्णय को चुनौती दी गई थी। कोर्ट ने यूनिवर्सिटी के सक्षम प्राधिकारी को निर्देश दिया है कि वें प्रतिवादी नंबर-5 (प्रिया वर्गीस) की प्रामाणिकताओं पर पुनर्विचार करें और यह तय करें कि क्या उन्हें रैंक सूची में बनाए रखना चाहिए। इस तरह की जांच पूरी होने और रैंक सूची को पर्याप्त रूप से संशोधित करने के बाद नियुक्ति करने के लिए आगे की कार्रवाई को आगे बढ़ाया जा सकता है।
जस्टिस देवन रामचंद्रन ने रिट याचिका की अनुमति देते हुए कहा किः
शिक्षण अनुभव केवल एक वास्तविक तथ्य हो सकता है, न कि कोई कल्पना या अनुमान। व्याख्या करने के लिए, जब तक कोई उम्मीदवार यूजीसी विनियम 2018 के अनुसार शिक्षण में वास्तविक अनुभव दिखाने में सक्षम नहीं होता है, तब तक उसके आवेदन को विश्वविद्यालय की जांच समिति द्वारा अनुमोदित नहीं किया जा सकता था, जो कि एक वैधानिक भी है। इस मामले में, जांच समिति कुछ मान्यताओं पर आगे बढ़ी, जिसे उन्होंने सच माना था, विशेष रूप से 5 वीं प्रतिवादी द्वारा दावा की गई सेवा की अवधि के संबंध में, जब वह पूर्णकालिक शोध में लगी हुई थी और छात्र सेवा निदेशक और राष्ट्रीय सेवा योजना के समन्वयक के रूप में कर्तव्यों का निर्वहन कर रही थी। निश्चित रूप से, इस तरह की गतिविधियां एक अच्छे शिक्षक के रूप में एक व्यक्ति के विकास को बढ़ावा देने के लिए जाती हैं, लेकिन शिक्षण के अपेक्षित अनुभव के अभाव में यह अपने आप में पर्याप्त नहीं होगी। शिक्षण के लिए दोनों के अच्छे मिश्रण की जरूरत होती है ताकि एक शिक्षक अपने छात्रों का मार्गदर्शन कर सके।
द्वितीय रैंक धारक द्वारा दायर याचिका में कन्नूर यूनिवर्सिटी और उसकी चयन समिति को प्रिया वर्गीज को हटाने के बाद मलयालम विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर के पद के लिए रैंक सूची को फिर से तैयार करने का निर्देश देने की मांग की गई थी।
याचिकाकर्ता ने यह भी तर्क दिया कि श्रीमती वर्गीज साक्षात्कार के लिए बुलाए जाने के लिए पर्याप्त योग्य नहीं थीं क्योंकि उनके पास अपेक्षित शिक्षण अनुभव नहीं था। हालांकि, उनका साक्षात्कार हुआ और चयन समिति ने उन्हें पहली रैंक दी।
जब इस मामले को पहले उठाया गया था, तो याचिकाकर्ता ने जोर देकर कहा था कि प्रिया वर्गीज कन्नूर यूनिवर्सिटी के क़ानून और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के नियमों के अनुसार एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में नियुक्त होने के योग्य नहीं है। वर्गीज की नियुक्ति पर रोक लगाते हुए, अदालत ने आदेश दिया था कि रैंक सूची से कोई नियुक्ति नहीं की जानी चाहिए खासकर इसलिए कि इसे केवल ''प्रोविजनल'' के रूप में दिखाया गया है। बाद में कोर्ट ने स्थगन आदेश को बढ़ा दिया था।
केस टाइटल- डॉ जोसेफ स्कारिया बनाम कुलपति (चयन समिति अध्यक्ष)